एक तरफ महिला सशक्तिकरण तो दूसरी ओर महिलाओं पर देश की लचर कानून व्यवस्था भारी

एक तरफ महिला सशक्तिकरण तो दूसरी ओर महिलाओं पर देश की लचर कानून व्यवस्था भारी

  • …आज जो हुआ है वह मिसाल, ऐसे अपराधियों का अंजाम यही होना चाहिए
  • आम आदमी की सुरक्षा का जिम्मा हर पुलिस की नैतिक जिम्मेदारी
  • इस प्रकार के मामलों में हर राज्य की पुलिस को तेलंगाना पुलिस से सीख लेने की आवश्यकता
  • …जब महिलाओं व बच्चियों के साथ घिनौने अपराध होते हैं तब क्यों नहीं अपनी कड़ी प्रतिक्रिया देते ये आला नेता और मंत्री

हैदराबाद एनकाउंटर होने से तेलंगाना पुलिस की जमकर तारीफ हुई। लोगों तथा नेताओं की इसे लेकर कई तरह की प्रतिक्रियाएं आनी भी शुरू हो गई। यह काफी संवेदनशील मामला था और लाखों लोगों को इस पर काफी गुस्सा था। ऐसे मामलों के लिए आवश्यकता है सख्त कानून बनने की, ताकि इस किस्म के अपराधों पर रोक लगाई जा सके।

लोगों का कहना है कि इस प्रकार के मामलों में हर राज्य की पुलिस को तेलंगाना पुलिस से सीख लेने की आवश्यकता है। जहां की पुलिस ऐसे संवेदनशील मामलों को दबाने और रफ-दफा करने की कोशिश करती है, ऐसे में अपराधियों को तो शय मिलती ही है लेकिन इस प्रकार की घटनाओं में बढ़ोतरी भी होती है। बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने तेलंगाना पुलिस की सराहना की है। मायावती ने कहा कि हैदराबाद में पुलिस ने जो सख्त एक्शन लिया है वो सराहनीय है। इसके साथ ही बसपा सुप्रीमो ने उत्तर प्रदेश पुलिस को हैदराबाद पुलिस से सीख लेने की बात कही है।

वहीं कुछ देर बाद देश की कानून व्यवस्था पर सैंकड़ो सवाल भी उठने शुरू हो गए। जब कानून हैं नियम हैं तो इस तरह का एकाउंटर क्योंइस मामले में बीजेपी सांसद मेनका गांधी ने कहा, ‘’अगर कल पैसे के किसी मामले में ठगी हो रही होगी तो गोली मार दो? कोई बीवी को मारता है तो उसे भी मार दोगे क्या? आप कहां तक लक्ष्मण रेखा तोड़ोगे। आरोपियों की तरफ से पुलिस पर पत्थरबाजी करने की पुलिस की थ्योरी पर मेनका गांधी ने कहा कि चार लोग जो निहत्थे थे, उन्हें आपने जेल से निकाला। वो वहां पर पत्थर फेंक रहे थे तो आपने उन्हें बंदूक से मार दिया। मेनका गांधी ने ये भी कहा कि यह देश के लिए बहुत खतरनाक है। हमारे देश में कानून है। अदालत है। लोग हैं। कानून के मुताबिक सजा देने के लिए लोग हैं तो पहले से बंदूक चलाकर क्यों मार रहे हैं।  उन्होंने कहा एक मामले में देरी हो रही है तो क्या हम सब लोगों को बंदूक लेकर मारने लगेंगे।

  • देश की कानून व्यवस्था को महिलाओं की सुरक्षा के लिए सख्त और जल्द फैसले सुनाकर उन पर कार्यवाई करने की जरूरत

हमारे देश की कानून व्यवस्था को महिलाओं की सुरक्षा के लिए वाकये ही सख्त और जल्द फैसले सुनाकर उन पर कार्यवाई करने की जरूरत है। बहुत ही चिंताजनक और गंभीर विषय है कि देश में अपराध और अपराधियों पर तमाम तरह के अंकुश की कोशिशों और दावों के बावजूद, अपराध कम होने के बजाय बढ़ते ही जा रहे हैं   हैदराबाद एनकाउंटर की घटना का होना सही है या गलत, ये सबकी अपनी निजी राय है। लेकिन जब शिमला के लोगों से इस बारे में हमारी संवावदाता ने बात की तो लोगों का कहना था कि बच्चियों, महिलाओं के साथ दरिन्दगी होती है तो इन घटनाओं पर आवाज उठाने वाले यही लोग कहां चले जाते हैं। तब क्यों नहीं कानून व्यस्वस्था की लेट-लतीफी के लिए अपनी कड़ी प्रतिक्रिया देतीं मेनका गांधी।

कांग्रेस की वरिष्ठ नेता कुमारी शैलजा का कहना है कि अगर कुछ आरोपियों को कानून की प्रक्रिया के तहत सजा मिलती तो ज्यादा बेहतर होता। ऐसे दोषियों का

देश की कानून व्यवस्था को महिलाओं की सुरक्षा के लिए सख्त और जल्द फैसले सुनाकर उन पर कार्यवाई करने की जरूरत

देश की कानून व्यवस्था को महिलाओं की सुरक्षा के लिए सख्त और जल्द फैसले सुनाकर उन पर कार्यवाई करने की जरूरत

अंजाम यही होना चाहिए था, लेकिन कानूनी प्रक्रिया के तहत होता तो एक और अच्छा संदेश जाता। परन्तु वास्तविकता देखें तो हमारे देश की कानून प्रकिया प्रणाली इतनी लचर है कि सालों बाद भी ऐसे मामलों में आरोपियों को कोई सजा नहीं होती। कभी-कभी पुलिस की पकड़ से ही आरोपी बच निकलते हैं तो कहीं-कहीं पुलिस की मदद से।

हैदराबाद एनकाउंटर पर निर्भया की मां ने कहा है कि मैं चाहती हूं कि इस एनकाउंटर के बाद पुलिस पर कोई कार्रवाई नहीं होनी चाहिए। आज एक नज़ीर पेश की गई है। मैं पुलिस को बहुत-बहुत धन्यवाद देती हूं। मुझे सात साल बाद भी इंसाफ नहीं मिला है। लेकिन आज जो हुआ है वह मिसाल है, अब अपराधियों के अंदर डर बैठेगा।

  • शिक्षा और नौकरी को लेकर लड़कियों को घर व शहर से बाहर भेजना हर माता-पिता के लिए अब किसी खतरे से कम नहीं

अगर हम महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर नजर डालें तो साफ नजर आता है कि हमारे देश में महिलाएं और बच्चियां कितनी सुरक्षित हैं। जब आए दिन दिल दहला देने वाली घटनाएं सामने आती हैं तो हर माता-पिता अपनी बेटियों की सुरक्षा को लेकर चितिंत हो जाते हैं। उनके घर से बाहर निकलने से लेकर घर वापस तक आने की चिंता अब बढ़ने लगी है। शिक्षा और नौकरी को लेकर लड़कियों को शहर से बाहर भेजना हर माता-पिता के लिए अब किसी खतरे से कम नहीं लगता।

  • आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो 2010 के बाद महिलाओं के खिलाफ अपराधों में 7.5 फीसदी वृद्धि

भारत के नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार, 2010 के बाद से महिलाओं के खिलाफ अपराधों में 7.5 फीसदी वृद्धि हुई है। साल 2012 के दौरान देश में 24,923 मामले दर्ज हुए, जो 2013 में बढ़कर 33,707 हो गए। रेप पीड़ितों में ज्‍यादातर की उम्र 18 से 30 साल के बीच थी। हर तीसरे पीड़ित की उम्र 18 साल से कम है। वहीं, 10 में एक पीड़ित की उम्र 14 साल से भी कम है। भारत में हर छह घंटे में एक लड़की का रेप हो जाता है। महिलाओं के साथ रेप के मामले में 4,882 की संख्या के साथ 2017 में मध्य प्रदेश सबसे आगे था। एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार 2017 में देश में 28,947 महिलाओं के साथ बलात्कार की घटना दर्ज की गईं। इस मामले में उत्तर प्रदेश 4,816 और महाराष्ट्र 4,189 रेप की घटनाओं के साथ देश में दूसरे व तीसरे स्‍थान पर था। नाबालिग बच्चियों के साथ रेप के मामले में भी मध्य प्रदेश देश में सबसे ऊपर है। राज्‍य में ऐसे 2,479 मामले दर्ज किए गए, जबकि महाराष्ट्र 2,310 और उत्तर प्रदेश 2,115 ऐसी घटनाओं के साथ दूसरे व तीसरे स्थान पर रहे। पूरे देश में 16,863 नाबालिग बच्चियों के साथ रेप के मामले दर्ज किए गए थे। भारत में रेप के कुछ ऐसे मामले भी हुए, जिसने पूरी दुनिया को हिला दिया था। इनमें 2012 का निर्भया गैंगरेप, 2013 का 22 वर्षीय फोटो जर्नलिस्ट का गैंगरेप, 2015 का 71 वर्षीय नन का पश्चिम बंगाल के रानाघाट में गैंगरेप, 2016 का दलित लड़की की हत्या व रेप, 2018 का कठुआ रेप केस शामिल है।

  • पुलिस का ईमानदारी से अपने काम के प्रति लोगों में अपना विश्वास कायम रखना सबसे अहम और महत्वपूर्ण

हैदराबाद एनकाउंटर के बाद हर तरफ तेलंगाना पुलिस की तारीफ हो रही है, जो होनी भी चाहिए। हमारे प्रदेश और अन्य राज्यों की पुलिस को भी अपनी ईमानदारी के साथ इस प्रकार की भूमिका निभाने के लिए आगे आना चाहिए। आज तेलंगाना में महिलाओं ने पुलिसवालों को राखियां बांधी। साथ ही लोगों ने एनकाउंटर वाली जगह पर पुलिस पर फूल भी बरसाए और हैदराबाद पुलिस जिंदाबाद के नारे लगाए। आम आदमी की सुरक्षा का जिम्मा हर पुलिस वाले की नैतिक जिम्मेदारी है। अगर बात महिलाओं, बच्चियों और बुजुर्गों की सुरक्षा की हो तो उसके लिए पुलिस का ईमानदारी से अपने काम के प्रति लोगों में अपना विश्वास कायम रखना सबसे अहम और महत्वपूर्ण है। आज के दौर में लोगों का पुलिस से इस हद तक यकीन खत्म होने लगा है कि लोग पुलिस की कार्रवाई पर ही विश्वास नहीं कर पाते।

  • देश की लचर कानून व्यवस्था, और भ्रष्ट लोगों की शय की वजह से सालों से इन पर न कोई रोक लग सकी, न ही सख्त कानून बन सका….!!

एक तरफ आज भी निर्भया की माँ अपनी बेटी के साथ हुई दरिन्दगी के आरोपियों की सजा का 7 साल से इन्तजार कर रही है तो वहीं उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में रेप पीड़िता को जलाकर मारने की कोशिश के मामले में पीड़िता की हालत बेहद गंभीर बनी हुई है। ना जाने कितनी ही ऐसी दिल-दहला देने वाली वारदातें परोक्ष-अपरोक्ष होती हैं। लेकिन हमारे देश की लचर कानून व्यवस्था, और भ्रष्ट लोगों की शय की वजह से सालों से इन पर न कोई रोक लग सकी, न ही सख्त कानून बन सका….!!

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