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दिल्ली हाट में हिम महोत्सव का समापन, 2 करोड़ का हुआ कारोबार

शिमला: राज्य की सांस्कृतिक विरासत, शिल्प और व्यंजनों का भव्य जश्न मनाने वाला 15 दिवसीय हिमाचल प्रदेश हिम महोत्सव कल देर शाम दिल्ली हाट में अपार सफलता के साथ संपन्न हुआ।
हिम महोत्सव का आयोजन हिमाचल प्रदेश सरकार ने केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (एमएसएमई) के सहयोग से किया गया। महोत्सव में न केवल राज्य की कलात्मक विरासत को प्रदर्शित किया गया, बल्कि स्थानीय कारीगरों को 2 करोड़ रुपये का कारोबार भी दिया गया। महोत्सव से जहां कारीगरों के उत्पादों को व्यापक स्तर पर पहचान मिली वहीं सांस्कृतिक संरक्षण के साथ-साथ आर्थिक प्रगति भी सुनिश्चित हुई।
उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत करते हुए कहा कि हिम महोत्सव ने हिमाचल प्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक परंपराओं और आधुनिक व्यावसायिक दुनिया में अलग पहचान बनाई है। हिम महोत्सव ने राज्य के विविध हस्तशिल्प, पारंपरिक परिधानों और व्यंजनों को पहचान दिलाने के साथ-साथ कारीगरों के लिए सफलतापूर्वक नए व्यावसायिक अवसर सृजित किए हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह की पहल से पारंपरिक शिल्पकला को समसामयिक व्यापार गतिविधियों के साथ-साथ आगे बढ़ने में मदद मिलेगी।
उद्योग विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव आर.डी. नजीम ने आगंतुकों से मिली प्रतिक्रिया की सराहना करते हुए कहा कि इससे हिमाचली शिल्प में देश की बढ़ती रुचि की झलक दिखती है। उन्होंने कहा कि इस सफलता से कारीगरों के लिए नए अवसर सृजित होंगे और राष्ट्रीय मंच पर हिमाचल की उपस्थिति और मजबूत होगी।
महोत्सव में विभिन्न प्रकार के 60 स्टॉल लगाए गए जहां कारीगरों ने ऊनी शॉल, चंबा रूमाल, कांगड़ा पेंटिंग और पारंपरिक आभूषणों सहित हस्तनिर्मित उत्पादों की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदर्शित की।
इसके अतिरिक्त राज्य के प्रसिद्ध व्यंजन हिमाचली धाम के जायके ने आगंतुकों को आकर्षित किया जिससे प्रदेश की संस्कृति का अनुभव और समृद्ध हुआ। हिमाचल की जीवंत सांस्कृतिक परंपराओं का जश्न मनाते हुए कार्यक्रम में कांगड़ा के गद्दी नृत्य और सिरमौर की नाटी भी शानदार प्रस्तुित दी गई। ग्रैंड फिनाले में हिमाचली फैशन शो भी हुआ जिसमें पारंपरिक परिधानों का प्रदर्शन किया गया जो इस उत्सव का मुख्य आकर्षण रहा।
उत्सव में दो करोड़ रुपये का कारोबार हुआ जिससे हिमाचल प्रदेश के दूर-दराज के क्षेत्रों के कारीगरों की आर्थिकी सुदृढ़ हुई। आगंतुकों के साथ सीधे संपर्क ने कारीगरों को उन्हें अपने बाजार की पहुंच बढ़ाने, वित्तीय स्थिरता बढ़ाने और व्यापक स्तर पर पहचान बनाने में मदद की।

हिम महोत्सव प्रदेश के कारीगरों के लिए एक उम्मीद की किरण बन गया है, जिसमें पारंपरिक कला को आधुनिक व्यवसायिक गतिविधियों के साथ जोड़ा गया है। महोत्सव ने हिमाचल की समृद्ध विरासत के लिए एक राष्ट्रीय मंच प्रदान किया है और भविष्य की पीढ़ियों के लिए संस्कृति के संरक्षण तथा विकास को सुनिश्चित करने में मदद की है।

CM सुक्खू बोले- प्रदेश में चार मंदिरों के सौंदर्यीकरण के लिए तैयार होगा मास्टर प्लान; सांस्कृतिक कार्यक्रमों के कुल व्यय की 33 प्रतिशत राशि स्थानीय कलाकारों को दिए जाने का किया जाएगा प्रावधान

शिमला: मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने आज यहां भाषा एवं संस्कृति विभाग की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि बाबा बालक नाथ, माता चिंतपूर्णी, श्री नैनादेवी और ज्वालाजी मंदिर परिसरों के सौन्दर्यीकरण के लिए मास्टर प्लान तैयार किया जाएगा। इन मंदिरों में श्रद्धालुओं के लिए विश्व स्तरीय सुविधाओं का सृजन किया जाएगा, जिससे प्रदेश में धार्मिक पर्यटन को भी प्रोत्साहन मिलेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आगामी वित्त वर्ष से सभी जिलों में ‘जिला स्तरीय उत्सव’ आयोजित किए जाएंगे। प्रदेश में आयोजित किये जाने वाले मेलों एवं उत्सवों में कम से कम एक सांस्कृतिक संध्या स्थानीय कलाकारों के लिए आरक्षित की जाएगी। सांस्कृतिक कार्यक्रमों के कुल व्यय की 33 प्रतिशत राशि स्थानीय कलाकारों को दिए जाने का प्रावधान किया जाएगा। उन्होंने कलाकारों का मानदेय निर्धारित करने तथा मानदेय का युक्तिकरण करने के भी निर्देश दिए।
 सुक्खू ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा 107 मेले अधिसूचित किए गए हैं जिनमें 4 अन्तर्राष्ट्रीय स्तर, 5 राष्ट्रीय स्तर, 29 राज्य स्तर तथा जिला स्तर के 69 मेले शामिल हैं। प्रदेश सरकार द्वारा वित्त वर्ष 2024-25 में अभी तक इन मेलों के आयोजन के लिए 1.10 करोड़ रुपये सहायता अनुदान राशि प्रदान की गई है।
उन्होंने कहा कि शिमला स्थित बैंटनी कैसल में डिजिटल संग्रहालय की स्थापना का कार्य इस वर्ष पूर्ण कर लिया जाएगा और अंतर्राष्ट्रीय रौरिक स्मारक ट्रस्ट को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने और शिमला विंटर कार्निवाल के आयोजन को अधिसूचित करने के निर्देश भी दिये।
मुख्यमंत्री ने विभाग द्वारा कार्यान्वित की जा रही अन्य योजनाओं की विस्तृत समीक्षा भी की।
बैठक में उप-मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री, स्वास्थ्य मंत्री डॉ. (कर्नल) धनी राम शांडिल, लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह, मुख्यमंत्री के सचिव राकेश कंवर, मुख्यमंत्री के ओएसडी गोपाल शर्मा, निदेशक भाषा एवं संस्कृति डॉ. पंकज ललित और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।

राज्यपाल व मुख्यमंत्री ने मकर सक्रांति पर दीं शुभकामनाएं

शिमला: राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल और मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने मकर सक्रांति के अवसर पर प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं दीं।
अपने सन्देश में राज्यपाल ने कहा कि यह त्यौहार सर्दियों के अन्त और फसल कटाई के मौसम का द्योतक है।
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने मकर सक्रांति पर लोगों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि इस त्यौहार का ऋतु के अनुसार धार्मिक महत्व भी है। इस दिवस को अति शुभ माना जाता है। इस दिवस से उत्तरायण का प्रारम्भ भी माना गया है।
उन्होंने आशा व्यक्त की कि यह त्यौहार प्रदेश के लोगों के जीवन में खुशहाली और समृद्धि लाएगा।

शिमला: मुख्यमंत्री ने ओकओवर में मनाई लोहड़ी

शिमला: मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविन्द्र सिंह सुक्खू व उनकी धर्मपत्नी विधायक कमलेश ठाकुर ने आज शाम ओक ओवर, शिमला में शिमला शहर के लोगों के साथ लोहड़ी मनाई। इस अवसर पर समाज के विभिन्न वर्गों के लोग ओक ओवर पहुंचे तथा मुख्यमंत्री को लोहड़ी के पावन पर्व की बधाई दी।

मुख्यमंत्री ने लोहड़ी पर्व के अवसर पर प्रदेशवासियों को बधाई दी तथा कामना की कि यह पर्व उनके जीवन में उन्नति व समृद्धि लेकर आए।

मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर लोगों को गच्चक, रेवड़ी, गुड़ भी भेंट किया।

प्रदेश सरकार खिलाड़ियों को बेहतर प्रोत्साहन देने के लिए कृत संकल्प-विक्रमादित्य सिंह

शिमला: लोक निर्माण एवं शहरी विकास मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि वर्तमान प्रदेश सरकार राज्य में विभिन्न स्थानों पर आवश्यकतानुसार खेल स्टेडियम निर्मित कर रही है ताकि स्थानीय खिलाड़ियों को अपनी प्रतिभा तराशने के लिए उचित मंच मिल सके। विक्रमादित्य सिंह आज सोलन ज़िला के अर्की उपमण्डल की ग्राम पंचायत कुनिहार के महाराजा पदम सिंह मेमोरियल खेल मैदान में हिम एकादश ओपन क्रिकेट टूर्नामेंट के सीजन-4 के समापन समारोह को सम्बोधित कर रहे थे।

इस प्रतियोगिता का आयोजन एहसास क्लब कुनिहार द्वारा किया गया। लगभग दो माह तक आयोजित इस प्रतियोगिता में प्रदेश की 64 टीमों के लगभग 700 खिलाड़ियों ने भाग लिया।

विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि प्रदेश सरकार यह सुनिश्चित बना रही है कि राज्य के खिलाड़ियों को बेहतर प्रोत्साहन मिले ताकि वह अपना शतप्रतिशत प्रदान कर सकें। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने ओलम्पिक एवं एशियन तथा राष्ट्र मण्डल खेलों की व्यक्तिगत स्पर्धाओं में स्वर्ण, रजत तथा कांस्य पदक जीतने वाले खिलाड़ियों की पुरस्कार राशि में ऐतिहासिक वृद्धि की है। उन्होंने कहा कि खेलों के माध्यम से खिलाड़ी न केवल देश व प्रदेश का नाम रोशन कर रहे हैं अपतिु अन्य के लिए प्रेरणास्त्रोत भी बन रहे हैं।

लोक निर्माण मंत्री ने कहा कि खेल युवाओं के व्यक्तित्व में विकास के साथ-साथ उनकी ऊर्जा को उचित दिशा भी प्रदान करते हैं।

शहरी विकास मंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार युवाओं के समग्र विकास के लिए प्रतिबद्ध है और इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए शिक्षा के साथ-साथ खेलों को समुचित प्रोत्साहन दिया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि कुनिहार क्षेत्र में सुचारू जलापूर्ति के लिए योजनाबद्ध प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कुनिहार क्षेत्र में योजनाबद्ध विकास के लिए बेहतर योजनाओं का समन्वय किया जाएगा ताकि लोगों को उचित आधारभूत सुविधाएं मिल सकें। उन्होंने कहा कि क्षेत्रवासियों की समस्याओं को चरणबद्ध तरीके से निपटाया जाएगा। उन्होंने कहा कि क्षेत्र में विभिन्न सड़कों के रखरखाव एवं मुरम्मत का कार्य भी पूरा करवाया जाएगा।

उन्होंने एहसास क्लब कुनिहार से अन्य खेलों को भी प्रतियोगिता में सम्मिलित करने को कहा। उन्होंने युवाओं से आग्रह किया कि नशे से सदैव दूर रहें और शिक्षा तथा खेल के माध्यम से अपने जीवन को नई ऊंचाई प्रदान करें।

विक्रमादित्य सिंह ने अपनी ऐच्छिक निधि ने एहसास क्लब कुनिहार को 31 हजार रुपए देने की घोषणा की।

लोक निर्माण मंत्री ने इस अवसर पर प्रतियोगिता में विजेता टीम कमांडो इलेवन को एक लाख रुपए की राशि, ट्रॉफी तथा रनरअप रही टीम हाट कोट वॉरियर्स को पचास हजार रुपए की राशि व ट्रॉफी देकर सम्मानित किया।

विक्रमादित्य सिंह ने इससे पूर्व महाराजा पदम सिंह की प्रतिमा पर पुष्पांजलि भी अर्पित की।

 

मुख्यमंत्री ने की विभिन्न विभागों की समीक्षा बैठक; विकास कार्यों में तेजी लाने के दिए निर्देश

शिमला: मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने आज यहां लोक निर्माण, शिक्षा और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की विकासात्मक परियोजनाओं व निर्माण कार्यों की समीक्षा की।
उन्होंने अधिकारियों को उन निर्माण कार्यों को प्राथमिकता के आधार पर अति शीघ्र पूर्ण करने के निर्देश दिए जिनका कार्य 80 प्रतिशत से अधिक पूर्ण किया जा चुका है। उन्होंने लोक निर्माण विभाग को ‘टेंडर फार्म’ की फीस के युक्तिकरण करने के निर्देश भी दिए। उन्होंने विभागों की अन्य परियोजनाओं की विस्तृत जानकारी ली और जरूरी दिशा-निर्देश दिए।
बैठक में स्वास्थ्य मंत्री डा. (कर्नल) धनी राम शांडिल, लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह, मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना, प्रधान सचिव वित्त देवेश कुमार, सचिव वित्त डा. अभिषेक जैन, मुख्यमंत्री के सचिव राकेश कंवर, मुख्यमंत्री के ओएसडी गोपाल शर्मा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, लोक निर्माण तथा शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

हिमाचल : बैजनाथ में मनाया जाएगा राज्य स्तरीय पूर्ण राज्यत्व दिवस; सीएम करेंगे शिरकत, तैयारियों में जुटा प्रशासन

धर्मशाला: पूर्ण राज्यत्व दिवस 25 जनवरी को राज्य स्तरीय समारोह जिला कांगड़ा के उपमंडल बैजनाथ में आयोजित किया जाएगा। समारोह की तैयारियों को लेकर सोमवार को उपायुक्त कार्यालय के सभागार में आयोजित बैठक की अध्यक्षता करते हुए उपायुक्त कांगड़ा हेमराज बैरवा ने बताया कि मुख्यमंत्री श्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू इस अवसर पर बैजनाथ के इंदिरा ग्राउंड में राज्य स्तरीय समारोह की अध्यक्षता करेंगे। 25 जनवरी 2025 को सुबह 11 बजे बैजनाथ के इंदिरा गांधी स्टेडियम में राज्य स्तरीय समारोह की शुरूआत होगी।

डीसी ने बताया कि बैजनाथ में राज्य स्तरीय समारोह के लिए पुलिस विभाग, लोक निर्माण विभाग, जल शक्ति विभाग, भाषा विभाग, नगर परिषद देहरा सहित अन्य सभी विभागों के अधिकारियों के साथ बैठक कर उनकी भूमिका से अवगत करा दिया गया है। राज्य स्तरीय पूर्ण राज्यत्व दिवस समारोह के लिए जिला प्रशासन पूरी तरह तैयारियों में जुट गया है। उन्होंने बताया कि जिला प्रशासन द्वारा राज्य स्तरीय समारोह के सफल संचालन को लेकर विभागों की जिम्मेदारियां तय की गई हैं। विभागीय अधिकारियों को संबंधित कार्यों और व्यवस्थाओं के लिए निर्देश दिए गए हैं।

कार्यक्रम में शिक्षण संस्थानों द्वारा देशभक्ति से ओत-प्रोत सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए जाएंगे। उपायुक्त ने अधिकारियों व विभागों को समारोह के सफल आयोजन के लिए पूर्व योजना एवं पूर्ण योजना से तैयारी करने के निर्देश दिए। साथ ही जिला के सभी विभागों के अधिकारी-कर्मचारियों को समारोह में उपस्थिति सुनिश्चित करने के निर्देश दिये।

पुलिस ग्राउंड धर्मशाला में आयोजित होगा जिला स्तरीय गणतंत्र समारोह

उपायुक्त हेमराज बैरवा ने कहा कि 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य पर जिला स्तरीय समारोह धर्मशाला के पुलिस ग्राउंड में आयोजित किया जाएगा। उन्होंने विभागीय अधिकारियों को समारोह के सफल आयोजन के लिए आवश्यक तैयारियां करने के निर्देश दिए इसके साथ ही गणतंत्र दिवस पर परेड तथा सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए प्रारूप तैयार करने के लिए भी कहा गया। उन्होंने कहा कि समारोह में स्वतंत्रता सेनानियों, सैन्य सम्मान प्राप्त विशिष्ट जनों को आमंत्रित करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं।

जोगिन्दरनगर : लडभड़ोल के सिमस गांव में स्थित है ‘अजियापाल’ देवता का प्राचीन मंदिर;

अजिया पाल हैं गांव के रक्षक, अच्छी फसल के साथ-साथ जान माल की भी करते हैं सुरक्षा

जोगिन्दर नगर: अजिया पाल देवता की अनेकों कथाएं प्रचलित हैं। अगर बात करें तो अजियापाल देवता से जुड़े बहुत से मंदिर हिमाचल प्रदेश के मंडी व कांगड़ा जिलों के पधर, जोगिन्दर नगर, लडभड़ोल, चौहारघाटी, छोटा व बड़ा भंगाल इत्यादि क्षेत्रों में स्थापित हैं। स्थानीय लोग अपने-अपने तरीकों व आस्था के चलते अजिया पाल देवता की पूजा अर्चना करते हैं।

कहते हैं कि जोगिन्दर नगर उपमंडल की ग्राम पंचायत सिमस में भी अजियापाल देवता से जुड़ा एक ऐसा मंदिर है जिसका इतिहास काफी प्राचीन है। गांव सिमस की सबसे ऊंची पहाड़ी जिसे ‘अजियापाल’ के नाम से भी जाना जाता है, यहां पर अजियापाल देवता जी का पवित्र स्थान मौजूद है। गांव के बड़े बुजुर्गों का कहना है कि अजियापाल देवता की ग्रामीण पुरातन समय से ही पूजा अर्चना करते रहे हैं। वर्तमान स्थान पर उनका एक प्राचीन मंदिर हुआ करता था, लेकिन वक्त के साथ यह ध्वस्त हो गया था। यहां मात्र कुछ मूर्तियां ही शेष रह गई थीं। लेकिन अब ग्रामीणों ने सामूहिक श्रमदान कर इस मंदिर का पुनरुद्धार का कार्य किया है।

स्थानीय बुजुर्ग कहते हैं कि आज से लगभग 25-30 वर्ष पूर्व तक गांव में सौंझी जातर यानि की सभी ग्रामीण मिलकर मई व जून माह में सामूहिक जातर का आयोजन किया करते थे। इस दौरान स्थानीय ग्रामीण पूरे गाजे बाजे के साथ संतान दात्री मां शारदा (सिमसा) के अलावा अजिया पाल देवता की पूजा अर्चना करते थे। कहते हैं कि अजिया पाल गांव के रक्षक हैं तथा किसानों की अच्छी फसल के साथ-साथ जान माल की भी सुरक्षा करते हैं। यह प्रथा प्राचीन समय से ही जारी रही है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों से सौंझी जातर जैसे सामुदायिक कार्यक्रम न होने के चलते यह मंदिर उपेक्षा का शिकार हो गया था। इस बीच कुछ स्थानीय ग्रामीणों के प्रयासों के चलते इसका जीर्णोद्धार कर यहां एक नया मंदिर स्थापित किया है। इस स्थान पर न तो पानी, न ही बिजली की आपूर्ति उपलब्ध है। ऐसे में ग्रामीण सामूहिक श्रमदान व सहयोग के माध्यम से ही मंदिर निर्माण की दिशा में आगे बढ़े हैं।

यह स्थान काफी ऊंचाई पर स्थित होने के कारण यहां से आसपास का विहंगम नजारा देखते ही बनता है। अजिया पाल के इस पवित्र स्थान से एक तरफ जहां हमीरपुर, सुजानपुर, जयसिंहपुर, चढिय़ार, मां आशापुरी, संधोल, धर्मपुर, सरकाघाट इत्यादि क्षेत्रों को देखा जा सकता है तो वहीं दूसरी ओर बर्फ से ढक़ी धौलाधार पर्वत श्रृंखला का नजारा बरबस ही अपनी ओर आकर्षित करता है। इसके अलावा बैजनाथ, संपूर्ण लडभड़ोल क्षेत्र, भभौरी धार, मां चतुर्भुजा का भी खूबसूरत नजारा यहां से देखा जा सकता है। इस स्थान से सर्दियों के मौसम में बर्फबारी के बाद जो धौलाधार पर्वत श्रृंखला का बेहद खूबसूरत नजारा बनता है मानों ऐसा लगता है कि प्रकृति ने अपनी पूरी छटा बिखेर कर रख दी हो। साथ ही ब्यास नदी व विनवा नदी के पवित्र संगम त्रिवेणी महादेव के भी दर्शन यहां से किये जा सकते हैं। इसके अलावा पूरे सिमस गांव का खूबसूरत दृश्य देखते ही बनता है। इस स्थान पर सिमस बस स्टैंड से महज 25 से 30 मिनट की खड़ी चढ़ाई चढक़र पैदल ही पहुंचा जा सकता है। वर्तमान में ग्राम पंचायत सिमस द्वारा मनरेगा के माध्यम से रास्ते का सुधार कार्य भी किया जा रहा है ताकि श्रद्धालुओं को आने जाने में असुविधा न हो।

हिमाचल: इस माह घरेलू गैस सिलिंडर के दाम में कोई बदलाव नहीं

घरेलू गैस सिलेंडर की बिक्री दरें निर्धारित

मण्डी:जिला दंडाधिकारी मंडी अपूर्व देवगन ने मंडी जिला में कार्यरत विभिन्न गैस एजेंसियों के माध्यम से घरेलू उपभोक्ताओं को प्रदान किए जाने वाले रसोई गैस सिलेंडर की बिक्री दरें निर्धारित करने संबंधी अधिसूचना जारी की है। अधिसूचना के अनुसार गैस एजेंसियों द्वारा 14.2 किलोग्राम, 10 किलोग्राम तथा 5 किलोग्राम के रसोई गैस सिलेंडर की आपूर्ति निर्धारित दरों पर ही की जा सकेगी ।

अधिसूचना के अनुसार प्रत्येक गैस वितरक उपभोक्ताओं के दूरभाष या व्यक्तिगत अनुरोध पर रिफिल बुक करना भी सुनिश्चित करेंगे। इसके अतिरिक्त प्रत्येक गैस वितरक जिला दंडाधिकारी द्वारा निर्धारित दर, जिसमें ढुलाई भाड़ा भी शामिल है, से अधिक की राशि वसूल नहीं कर सकेगा। घर-द्वार शुल्क तभी लिया जाए जब घरेलू गेस सिलंडर उपभोक्ता के घर के अंदर दिया जाए।

अधिसूचना के अनुसार गैस वितरक उपभोक्ता द्वारा गैस लीकेज संबंधी शिकायत का तुरंत निपटारा करना सुनिश्चित करेंगे। इसके अतिरिक्त प्रत्येक गेैस वितरक संबंधित क्षेत्र में वितरण वाहन में लाउडस्पीकर लगाकर लोगों को इस बारे में अवगत करवाना सुनिश्चित करेंगे। उन्होंने इसके अतिरिक्त जिला के सभी एसडीएम को भी अपने स्तर पर संबंधित क्षेत्र का रूट चार्ट जारी करने के निर्देश दिए हैं।

“मकर संक्रांति” जानें स्नान-दान और पूजा का महत्व : आचार्य महिंदर शर्मा

हर साल मकर संक्रांति का त्योहार 14 जनवरी को मनाया जाता है।  कालयोगी आचार्य महिंदर शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार, मकर संक्रांति पर महा पुण्यकाल की शुरुआत यानि मकर संक्रांति के दिन स्नान करने उपरांत दान करने का महत्व होता है। इसलिए पुण्य और दान करने का शुभ मुहूर्त सुबह 09 बजकर 03 मिनट पर होगी। वहीं, इसकी समाप्ति सुबह 10 बजकर 48 मिनट पर होगी। इसके साथ ही पुण्य काल सुबह 09 बजकर 03 मिनट से शाम 05 बजकर 46 मिनट तक रहेगा। इसके अलावा ब्रह्म मुहूर्त सुबह 05 बजकर 27 मिनट से 06 बजकर 21 मिनट तक रहेगा। आचार्य ने बताया कि मकर संक्रांति के दिन खरमास की समाप्ति हो रही है और सूर्य के राशि परिवर्तन करने के साथ सूर्य उत्तरायण हो जाएगा। जिससे वह 6 महीने तक वह उत्तरायण दिशा में ही रहेंगे। इस दिन से सभी प्रकार के मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे। मकर संक्रांति से गृह प्रवेश, सगाई, विवाह, मुंडन अन्य सभी प्रकार के मांगलिक काम शुरू हो जाएंगे।

मकर संक्रांति पर सूर्य और भगवान विष्णु की पूजा का विधान

भगवान को तांबे के पात्र में जल, गुड़ और गुलाब की पत्तियां डालकर दें अर्घ्य

कालयोगी आचार्य महिंदर शर्मा ने बताया कि इस दिन तीर्थ धाम पर नदी या सरोवर में आस्था की डुबकी लेने का बड़ा महत्व बताया गया है। यदि किसी कारणवश आप ऐसा नहीं कर पा रहे हैं तो पानी में गंगाजल, तिल और थोड़ा सा गुड़ मिलाकर स्नान कर लें।

आचार्य महिंदर शर्मा

मकर संक्रांति पर सूर्य और भगवान विष्णु की पूजा का विधान है। यह व्रत भगवान सूर्य नारायण को समर्पित है। इस दिन भगवान को तांबे के पात्र में जल, गुड़ और गुलाब की पत्तियां डालकर अर्घ्य दें। गुड़, तिल और मूंगदाल की खिचड़ी का सेवन करें और इन्हें गरीबों में बांटें। इस दिन गायत्री मंत्र का जाप करना भी बड़ा शुभ बताया गया है। आप भगवान सूर्य नारायण के मंत्रों का भी जाप कर सकते हैं।

 मकर संक्रांति के सुबह जल्दी उठकर नहा लेना चाहिए और उसके बाद सूर्य देव को जल अर्घ्य देकर प्रणाम करना चाहिए। एक थाली में रोली, मौली, लौंग, हल्दी, गुड़, दूध, घी लेकर सूर्य देव की प्रतिमा के सामने पूजा करते हुए अर्पित कर सकते हैं। मकर संक्रांति पर तिल मिले हुए जल से भगवान ​सूर्य देव की पूजा करनी चाहिए। इस दिन एक साफ लोटे में काला तिल, साफ पानी, अक्षत्, लाल फूल, शक्कर और रोली डालें। फिर सूर्य मंत्र का उच्चारण करते हुए या उन्हें प्रणाम करते हुए अर्पण करें।

मान्यता के अनुसार, इस दिन काले तिल से पूजा करने पर सूर्य देव प्रसन्न होते हैं और शनि देव की तरह ही भक्तों को भी धन और संतान आदि की प्राप्ति का आशीर्वाद देते हैं। ऐसा करने से इंसान के जीवन में सुख, समृद्धि और सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस दिन कंबल, गर्म कपड़े, घी, दाल चावल की खिचड़ी और तिल का दान करने से गलती से भी हुए पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख समृद्धि आती है। मकर संक्रांति के दिन स्नान करने के पानी में काले तिल डालें। तिल के पानी से स्नान करना बेहद ही शुभ माना जाता है। साथ ही ऐसा करने वाले व्यक्ति को रोग से मुक्ति मिलती है।

यदि कोई बीमार है तो, उसे मकर संक्रांति के दिन तिल का उबटन लगाकर स्नान करना चाहिए. ऐसा करने से व्यक्ति की काया निरोगी बनी रहती है।

क्या है उत्तरायण और दक्षिणायन?

उत्तरायण देवताओं का दिन है और दक्षिणायन देवताओं की रात्रि हैदक्षिणायन की तुलना में उत्तरायण में अधिक मांगलिक कार्य किए जाते हैं। ये बड़ा शुभ फल देने वाले होते हैं। भगवान श्रीकृष्ण ने खुद गीता में कहा है कि उत्तरायण का महत्व विशिष्ट है। उत्तरायण में प्राण त्यागने वाले व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। यही वजह थी कि भीष्म पितामाह भी दक्षिणायन से उत्तरायण की प्रतीक्षा करते रहे। सूर्य जब कर्क राशि में प्रवेश करते हैं तो दक्षिणायन शुरू हो जाता है और सूर्य जब मकर में प्रवेश करते ही उत्तरायण प्रारंभ हो जाता है।

दान करने पुण्य तो मिलता ही है हिंदू धर्म में मकर संक्रांति के दिन का बेहद ही खास महत्व बताया गया है। कहा जाता है कि, यदि कोई व्यक्ति साल भर या पूरे महीने में कभी दान पुण्य ना कर सके तो उसे मकर संक्रांति के दिन दान पुण्य ज़रुर करना चाहिए। ऐसा करने से इंसान के जीवन में सुख, समृद्धि और सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस दिन कंबल, गर्म कपड़े, घी, दाल चावल की खिचड़ी और तिल का दान करने से गलती से भी हुए पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख समृद्धि आती है। इसके अलावा भी कई उपाय हैं जो इस दिन किए जाते हैं।

मकर संक्रांति को पूजा विधि

मकर संक्रांति के दिन स्नान दान का विशेष महत्व है। इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान आदि करके साथ-सुथरे वस्त्र धारण कर लें। अगर आप गंगा स्नान कर लें, तो आप भी बेहतर है। लेकिन किसी कारणवश गंगा स्नान के लिए नहीं जा पा रहे हैं, तो घर में ही नहाने के पानी में थोड़ा सा गंगाजल डाल लें। मकर संक्रांति के दिन स्नान के पहले कुछ भी खाना-पीना नहीं चाहिए।

स्नान करने के बाद भगवान सूर्यदेव की विधिवत पूजा करनी चाहिए। इसके लिए एक तांबे के लोटे में जल, थोड़ा तिल, सिंदूर, अक्षत और लाल रंग का फूल डालकर अर्घ्य दें। इसके साथ ही भोग लगाएं। पूजा पाठ करने के बाद अपनी योग्यता के अनुसार दान करें।मकर संक्रांति के दिन मुहूर्त पर अन्न, तिल, गुड़, वस्त्र, कंबल, चावल, उड़द की दान, मुरमुरे के लड्डू आदि का दान करें। ऐसा करने से सूर्य के साथ-साथ शनिदेव भी प्रसन्न होते हैं।  मकर संक्रांति के दिन तिल का दान करना बहुत शुभ होता है। 

मकर संक्रांति के दिन काले तिल से सूर्य देव की पूजा की जाती है। इस दिन अगर आपके घर पर कोई भिखारी, साधु, बुजुर्ग या असहाय व्यक्ति आता है तो उसे कभी भी खाली हाथ न जाने दें।

मकर संक्राति के दिन सूर्य देव की पूजा का विशेष महत्व होता है। इस दिन उन्हें प्रसन्न करने के लिए सूर्य देव मंत्रों का जाप जरूर करें। इस दिन सूर्य के खास मंत्र ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमःका जाप करते हुए उन्हें अर्घ्य दें।

सूर्य-शनि से जुड़ी पौराणिक कहानी

मकर संक्रांति से जुड़ी शनि देव और सूर्य देव की एक पौराणिक कथा है। मान्यताओं के मुताबिक पिता सूर्य देव से शनि देव के संबंध अच्छे नहीं थे। शनि देव और सूर्य देव की आपस में नहीं बनती है। देवी पुराण में बताया गया है कि सूर्य देव जब पहली बार अपने पुत्र शनि देव से मिलने गए थे, तब शनि देव ने उनको काला तिल भेंट किया था और उससे ही उनकी पूजा की थी। इससे सूर्य देव अत्यंत प्रसन्न हुए थे। सूर्य ने शनि को आशीष दिया कि जब वे उनके घर मकर राशि में आएंगे, तो उनका घर धन-धान्य से भर जाएगा। तभी से मकर संक्रांति मनाई जाती है।