


मुख्यमंत्री ने 13 अग्निशमन वाहनों को हरी झंडी दिखाई, दो शहीदों के परिजनों को 5-5 लाख रुपये की घोषणा
शिमला: मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने शिमला जिला के बलदेयां में राज्य अग्निशमन प्रशिक्षण केंद्र में अग्निशमन सेवा सप्ताह के समापन समारोह की अध्यक्षता की। समापन समारोह के दौरान अग्निशमन विभाग के कर्मियों द्वारा अग्निशमन और बचाव कार्यों का प्रभावशाली प्रदर्शन किया गया। मुख्यमंत्री ने विभाग की आपातकालीन प्रतिक्रिया क्षमताओं को बढ़ाने के लिए 13 नए अग्निशमन वाहनों को भी हरी झंडी दिखाई।
समारोह के दौरान मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने अग्निशमन सेवा कर्मियों को उनकी अनुकरणीय सेवाओं के लिए सम्मानित किया और 14 से 20 अप्रैल तक आयोजित अग्निशमन सेवा सप्ताह के दौरान आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कार प्रदान किए। उन्होंने शहीद स्मारक पर श्रद्धांजलि भी अर्पित की और सोलन जिला के नालागढ़ में वर्ष 2009 में ड्यूटी के दौरान शहीद हुए दो अग्निशमन कर्मियों, शहीद जोगिंद्र पाल और शहीद घनश्याम के परिवारों को 5-5 लाख रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान करने की घोषणा की।
मुख्यमंत्री ने अग्निशमन, होमगार्ड और पुलिस कर्मियों की बहादुरी और कार्य के प्रति समर्पण भाव की सराहना करते हुए कहा कि आग की भयावता के बीच जान-माल की रक्षा करना कर्तव्य के निर्वहन के साथ-साथ एक महान सेवा भी है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि भौगोलिक परिस्थितियों के दृष्टिगत हिमाचल प्रदेश की प्राकृतिक आपदाओं के प्रति संवेदनशीलता को देखते हुए राज्य सरकार अग्निशमन सेवाओं को सुदृढ़ करने के लिए सक्रिय रूप से कार्य कर रही है।
उन्होंने कहा कि सरकार होमगार्ड विभाग में रिक्त पदों को भरने के लिए प्रयास कर रही है और शीघ्र ही 700 नए होमगार्ड कर्मियों की भर्ती प्रक्रिया शुरू जाएगी। मुख्यमंत्री ने वर्ष 2023 की आपदा के दौरान अग्निशमन सेवाओं, होमगार्ड और एसडीआरएफ कर्मियों द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका की सराहना की।
श्री सुक्खू ने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार ने प्राकृतिक आपदाओं और राजनीतिक चुनौतियों को सफलतापूर्वक पार किया है और हिमाचल को आत्मनिर्भर राज्य बनाने की दिशा में कार्य किया जा रहा है। सरकार कल्याणकारी नीतियों और कानूनों में सुधार कर आम नागरिकों के जीवन को बेहतर बनाने का प्रयास कर रही है।
पिछली भाजपा सरकार पर सार्वजनिक धन के कुप्रबंधन का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार ने भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाया है और भ्रष्टाचार के दरवाजे बंद करके 2200 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व अर्जित किया है। उन्होंने कहा कि सरकार शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में महत्वपूर्ण सुधार कर रही है। राज्य सरकार 100 स्कूलों से शुरुआत करते हुए सरकारी स्कूलों में सीबीएसई पाठ्यक्रम शुरू करने पर विचार कर रही है। प्रदेश के लोगों को बेहतर चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने के लिए स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार किए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया कि इन प्रयासों के सुखद और सकारात्मक परिणाम भविष्य में सामने आएंगे।
मुख्यमंत्री ने अग्निशमन विभाग द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने परेड की सलामी भी ली जिसका नेतृत्व नितिन धीमान ने किया।
अग्निशमन सेवा निदेशक सतवंत अटवाल ने मुख्यमंत्री का स्वागत किया और विभाग की गतिविधियों के बारे में विस्तृत जानकारी दी।

शिमला: भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं केन्द्रीय मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने आज रविवार को हिमाचल प्रदेश में स्थित भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश कार्यालय में प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए हिमाचल प्रदेश की सुस्त सुक्खू सरकार पर जमकर हमला बोला। नड्डा ने कहा कि हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार परफॉर्म नहीं कर पा रही है, मगर उसका दोष केंद्र सरकार पर मढ़ने का प्रयास कर रही है। मोदी सरकार हिमाचल प्रदेश के कई कल्याणकारी योजनाओं के पैसे आवंटित कर चुकी है, मगर कुम्भकर्णी नींद में सोई कांग्रेस सरकार उन योजनाओं के लिए जमीन तक आवंटित नहीं कर पाई है। हिमाचल प्रदेश की जनता इस सरकार से दुखी है औ आने वाले समय में वह अपना जवाब भी देगी। प्रेस वार्ता के दौरान हिमाचल प्रदेश भाजपा अध्यक्ष राजीव बिंदल, सांसद राजीव भारद्वाज, राज्यसभा सांसद हर्ष महाजन और विधायक श्री विपिन परमार सहित अन्य वरिष्ठ नेता उपस्थित रहे।
नड्डा ने कहा कि वर्ष 2018 में एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट की परिकल्पना यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने की थी और हिमाचल प्रदेश से चंबा जिला इस योजना से जोड़ा गया था। वर्ष 2018 से अब तक के पैरामीटर्स और इंडिकेटर्स देखें जाए, चंबा जिले ने शिक्षा, संरचना, कृषि, सिंचाई और वित्तीय समावेशन जैसे 45 विषयों में चंबा ने सराहनीय प्रगति की है। लेकिन कुछ बिंदुओं में थोड़ी कमी दिखाई दी, जिसे जिला प्रशासन को इंगित किया गया है। अगर इन विषयों पर केंद्र सरकार से किसी प्रकार की सहायता, इनपुट या समर्थन की आवश्यकता हो, तो केंद्र सरकार हरसंभव सहायता देने को तैयार हैं।
राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार केंद्र सरकार द्वारा हीमचल प्रदेश की उपेक्षा किए जाने का झूठा नैरेटिव गढ़ने की कोशिश कर रही है, सच तो यह है कि यदि देश के किसी भी राज्य में विकास हुआ है, तो वह तब हुआ है जब केंद्र में एनडीए की सरकार रही है। जब भारत रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे, तब हिमाचल को स्पेशल पैकेज मिला था। इसके विपरीत, जब कांग्रेस सत्ता में थी, तब उन्होंने हिमाचल को “स्पेशल हिली स्टेट” के लाभों से वंचित कर दिया था। कांग्रेस का यही इतिहास रहा है। कांग्रेस पार्टी का हिमाचल प्रदेश के किसी भी बड़े प्रोजेक्ट में कोई ठोस योगदान नहीं रहा है। आज जो भी बड़े विकास कार्य हिमाचल प्रदेश में हो रहे हैं, वे या तो श्रद्धेय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के समय शुरू हुए या बीते 11 वर्षों में माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पूरे हो रहे है।
नड्डा ने कहा कि वित्त वर्ष 2025 में हिमाचल प्रदेश के सालभर के विकास कार्यों के लिए केंद्र सरकार ने ₹11,806 करोड़ का बजट आवंटित किया है। टैक्स रिवेन्यू शेयर के तहत हिमाचल को ₹10,681 करोड़ मिलना था, जिसमें से ₹8,915 करोड़ राज्य को 10 जनवरी 2025 तक मिल चुका है और ग्रांट्स एंड एड में ₹13,285 करोड़ दिए गए हैं। कैपिटल इन्वेस्टमेंट, इंडस्ट्री डेवलपमेंट और भूमि रिकॉर्ड डिजिटलीकरण के लिए ₹1,050 करोड़ की राशि प्रदान की गई है। रेलवे बजट के तहत इस वर्ष ₹2,700 करोड़ हिमाचल के लिए आवंटित किए गए हैं। बिलासपुर के किसानों को आज तक कांग्रेस सरकार ने अधिग्रहीत भूमि का मुआवजा नहीं दिया है और अब सरकार नई भूमि अधिग्रहण भी नहीं कर रही है जबकि केंद्र सरकार की ओर से यह धनराशि राज्य को प्रदान की जा चुकी है। किसान क्रेडिट कार्ड की सीमा ₹3 लाख से बढ़ाकर ₹5 लाख की गई है, जिससे हिमाचल प्रदेश के लगभग 10 लाख किसानों को लाभ हुआ है। इसी प्रकार ₹12 लाख तक की आय पर इनकम टैक्स छूट का फायदा प्रदेश के करीब 6.5 लाख लोगों को मिल रहा है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत हिमाचल में अब तक 12,000 किलोमीटर सड़कों का निर्माण किया जा चुका है, और 700 नए बस्तियों को जोड़ा गया है।
राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि इसके अलावा और भी अनेक कार्य हुए हैं, जिनकी सूची बहुत लंबी है। प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत भाजपा सरकार ने 38,000 पक्के मकान बनाकर दिए गए हैं। हिमाचल प्रदेश को ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट और ट्रिपल आई टी आदरणीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने दिया है। कोल डैम श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी ने दिया था और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हिमाचल प्रदेश को हाइड्रो इंजीनियरिंग कॉलेज सेंट्रल यूनिवर्सिटी भी प्रदान की है। जब प्राकृतिक आपदा आई थी, तब भारत सरकार ने ₹1782 करोड़ की सहायता प्रदान की थी। 10 जुलाई को गृह मंत्रालय ने ₹180 करोड़ रिलीज़ किए। 14 जुलाई 2023 को फिर से हिमाचल प्रदेश के लिए ₹180 करोड़ जारी किए गए। 1 अगस्त को ₹400 करोड़ जारी किए गए और 7 अगस्त को ₹189 करोड़ फिर से रिलीज किए गए। माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में हिमाचल प्रदेश के लिए कुल ₹1,782 करोड़ जारी किए गए।
नड्डा ने कहा कि अब प्रश्न यह उठता है कि राज्य सरकार ने उस पैसे का वितरण कैसे किया? क्या उसमें बंदरबांट हुई? हिमाचल प्रदेश की यह कांग्रेस सरकार अब तक की सबसे भ्रष्ट और कुप्रबंधित सरकारों में से एक है। यह सरकार अपनी नाकामी की जिम्मेदारी खुद नहीं लेती, बल्कि केंद्र पर आरोप लगाती है। केंद्र के पास ऐसा कौन-सा फंड है जो यहां की कांग्रेस सरकार को नहीं दिया गया? कांग्रेस खुद अपनी नालायकी के कारण सरकार चला नहीं पा रही और दोष केंद्र सरकार पर मढ़ रही है। अगर राज्य सरकार चल नहीं रही है तो उसे छोड़ दीजिए, लेकिन दूसरों पर दोष मत लगाइए। दूसरों को दोष देना, अपनी असफलताओं को छुपाने के लिए “ब्लेम गेम” खेलना अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। 31 मार्च को हर साल ट्रेजरी देर रात तक खुली रहती थी, लेकिन इस बार पहली बार ट्रेजरी बंद रही। राज्य की सुक्खू सरकार व्हाट्सएप पर चल रही है। नेशनल हेराल्ड जैसे अखबार, जो छपते ही नहीं, उन पर करोड़ों के विज्ञापन दे दिए गए और बेशर्मी से कहा जा रहा है कि “यह मेरा पेपर है, मैं तो दूंगा।” सुक्खू सरकार ने कुप्रबंधन के इतने बड़े उदाहरण स्थापित किए हैं। कांग्रेस सरकारों में यह सबसे भ्रष्ट और सबसे कुप्रशासित सरकार है, जिसने कुप्रबंधन की हर सीमा पार कर दी है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जब मैं पहली बार केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री बना था, तब मैंने हिमाचल प्रदेश को मेडिकल डिवाइस पार्क के लिए 100 करोड़ रुपये की योजना स्वीकृत करवाई थी। इसमें ₹25 करोड़ रिलीज भी किए गए थे, लेकिन यह देश की एकमात्र राज्य सरकार है जिसने यह कहते हुए पैसा लौटाया कि हमसे यह नहीं बन पाएगा। बद्दी जैसे क्षेत्र में इतना बड़ा मेडिकल डिवाइस पार्क बनना चाहिए था। बल्क ड्रग पार्क के लिए केंद्र सरकार ने ₹1,000 करोड़ की योजना दी, जिसमें से ₹225 करोड़ 2023 में दे दिए गए, लेकिन राज्य अभी तक उस पैसे का उपयोग नहीं कर पाया है। 2014-15 से लेकर 15वें वित्त आयोग तक की स्वास्थ्य योजनाओं में केंद्र सरकार ने मेडिकल कॉलेजों, नर्सिंग ब्लॉकों और 12 क्रिटिकल केयर ब्लॉकों की मंजूरी दी, लेकिन एक भी पूरा नहीं हुआ। मोदी सरकार ने 11 मातृ एवं शिशु अस्पतालों को मंजूरी दी, जिनमें से एक भी चालू नहीं है। पिछली बार जिस अस्पताल का शिलान्यास किया था, आज वह अस्पताल बंद पड़ा है।
राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि इंटीग्रेटेड पब्लिक हेल्थ लैब्स में से एक भी पूर्ण नहीं हुई है। पिछली सरकार में जब मैं केंद्रीय मंत्री था, तब शिमला में पीलिया से लोगों की मृत्यु हुई थी। तब मैंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आशीर्वाद से नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल की स्थापना करवाई थी, लेकिन आज तक जमीन अलॉटमेंट में ही सरकार सोई हुई है। यह सरकार किस तरह से चल रही है? क्या यह कुंभकर्णी नींद नहीं है? जब किसी कार्य का प्रदर्शन ही नहीं है, तो जिम्मेदारी कौन लेगा? प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पाँच वर्षों में एम्स जैसी संस्था को चला कर दिखाया है, तो इसका मतलब है कि कमी दिल्ली में नहीं, हिमाचल प्रदेश में लागू करने वालों में है। अगर तीन वर्ष में इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट सिरमौर में शुरू किया जा सकता हैं, तो यहां पर क्यों नहीं? हिमाचल की सुक्खू सरकार एक नॉन-परफॉर्मिंग गवर्नमेंट है। हिमाचल प्रदेश की जनता इस सरकार से दुखी है और अपने निर्णय पर प्रायश्चित कर रही है। आने वाले समय में वह अपना जवाब भी देगी

सोलन: मुख्यमंत्री के प्रधान मीडिया सलाहकार नरेश चौहान ने आज यहां एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि प्रदेश सरकार जिला सोलन के नालागढ़ में बनने वाले मेडिकल डिवाइस पार्क का कार्य तेजी से कर रही है। उन्होंने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा द्वारा प्रदेश सरकार पर मेडिकल डिवाइस पार्क पर ताला लगाने और भ्रष्टाचार जैसे गम्भीर आरोपों को निराधार और हास्यास्पद बताया। नरेश चौहान ने कहा कि पिछले दस वर्षों से जगत प्रकाश नड्डा भाजपा और केन्द्रीय सरकार में महत्त्वपूर्ण पदों पर हैं, जिसकी सभी को खुशी है क्योंकि छोटे पहाड़ी क्षेत्र से कम ही लोगों को इस स्तर पर पहुंचने के अवसर मिलते हैं। लेकिन इस बात का खेद है कि इसके बावजूद आज हिमाचल में एक भी ऐसी बड़ी परियोजना या कार्य हमारे सामने नहीं है जिनका श्रेय हम जगत प्रकाश नड्डा या केंद्र सरकार को दे पाएं। उन्होंने कहा कि नड्डा राष्ट्रीय स्तर के बहुत बड़े नेता हैं और उन्हें बिना समझ और तथ्यों के बात करना शोभा नहीं देता।
नरेश चौहान ने केंद्रीय मंत्री को नसीहत दी कि वह अपने पद की गरिमा को बनाए रखें और बीबीएनडी में फंसे धन, जल विद्युत परियोजनाओं में राज्य की हिस्सेदारी, आपदा पूर्व अवश्यकता आकलन का पैसा और एनपीएस जैसे प्रदेश हित के अनेक मुद्दों पर खुले दिल से हिमाचल की सहायता करें।
मेडिकल डिवाइस पार्क परियोजना को बंद करने और भ्रष्टाचार के निराधार आरोपों पर जगत प्रकाश नड्डा को घेरते हुए नरेश चौहान ने कहा कि केंद्र सरकार नाम लेकर बताए कि हिमाचल सरकार में कौन भ्रष्ट है। वह तथ्यहीन बयानबाजी अवश्य कर सकते हैं लेकिन प्रमाण नहीं दे सकते क्योंकि हमारी सरकार पिछले अढाई वर्षों से पूर्ण पारदर्शिता से कार्य कर रही है और जवाबदेही जनता के समक्ष सुनिश्चित कर रही है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार ने कभी भी किसी भी मुद्दे पर प्रदेश हित से समझौता नहीं किया जबकि पूर्व सरकार ने मेडिकल डिवाइस पार्क से लेकर अनेक परियोजनाओं में निजी स्वार्थ के चलते प्रदेश के हितों को नीलाम किया। इस पार्क के निर्माण से हिमाचल को किसी भी प्रकार का नुकसान और प्रदेश के हित सुरक्षित रहें, इसी सोच से राज्य सरकार ने पार्क के लिए केंद्र से प्राप्त 25 करोड़ रुपये ब्याज सहित वापिस लौटाए हैं तथा 300 करोड़ इस परियोजना को स्वयं पूरा करने का निर्णय लिया है। इस परियोजना के लिए केंद्र सरकार की ओर से 100 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता का प्रावधान था जिसके साथ कई शर्तें थीं, जिनसे राज्य के संसाधनों का नुकसान होता। राज्य सरकार केंद्र का पैसा वापस नहीं लौटाती, तो उसे उद्योगपतियों को एक रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से भूमि देनी पड़ती। लगभग 300 एकड़ भूमि मात्र 12 लाख रुपये में उद्योगपतियों को देनी पड़ती, जिसकी असल कीमत लगभग 500 करोड़ रुपये है।
मेडिकल डिवाइस पार्क की अन्य शर्तों में उद्योगपतियों को तीन रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली प्रदान का प्रावधान था जबकि राज्य सरकार स्वयं सात रुपये की दर से बिजली बाज़ार से खरीदती है। इसके अलावा पानी, रख-रखाव तथा गोदाम की सुविधा दस वर्षों तक बिना किसी शुल्क के उपलब्ध कराने की शर्त भी केंद्र सरकार ने लगा रखी थी। इस पर राज्य सरकार के करोड़ों रुपये बर्बाद होते। इस पार्क के निर्माण से जीएसटी भी हिमाचल को नहीं मिलना था, क्योंकि जीएसटी उस प्रदेश को मिलता है, जहां उपकरण की बिक्री होती है। केंद्र की शर्तों के अनुसार स्टेट जीएसटी में 10 वर्षों के लिए 70 प्रतिशत छूट का प्रावधान भी था, जिससे प्रदेश की संपदा को भारी नुकसान होता। ये शर्तें किसी भी तरह प्रदेश के लोगों के हित में नहीं थी।
उन्होंने बताया कि वर्तमान में इस मेडिकल डिवाइस पार्क में 130 करोड़ रुपये के कार्य प्रदेश सरकार द्वारा किए जा रहे है। पानी पहुंचाने का कार्य अंतिम चरण में है, बिजली का काम प्रगति पर है, साईट ड्वैलपमेंट, सड़क निर्माण सहित अधोसंरचना विकास के कार्य तीव गति से चल रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस पार्क में राज्य सरकार विश्व स्तर की सुविधाएं प्रदान करेगी और इसमें निवेशक भी आएंगे लेकिन भाजपा की तरह प्रदेश हित से समझौता नहीं होने देंगे। 300 एकड़ जमीन को मार्केट वैल्यू पर देंगे और प्रत्येक निर्णय प्रदेश व जनता के हितों को सर्वोपरि रखकर लिए जाएंगे।
नरेश चौहान ने कहा कि भारत के प्रत्येक राज्य से कर के रूप में जो पैसा इक्ट्ठा होता है वह केंद्र के पास जाता है और प्रत्येक माह राज्यों को इसमें से हिस्सा मिलता है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2024-25 में हिमाचल को 10,600 करोड़ रुपये कर में राज्य की हिस्सेदारी के रूप में प्राप्त हुए, राजस्व घाटा अनुदान राशि भी हिमाचल को मिली और एनडीआरएफ द्वारा दो किश्तों में आपदा की तैयारी के लिए हिमाचल को केंद्र से वित्तीय सहायता प्राप्त हुई। यह राशि जा मिली वह हिमाचल का हक था खैरात नहीं, लेकिन जगत प्रकाश नड्डा इस राशि को ऐसे गिना गए जैसे केंद्र सरकार ने हिमाचल को पैसा देकर विशेष रूप से सहायता की हो।
नरेश चौहान ने कहा कि केंद्रीय मंत्री को हिमाचल के लिए बड़ी परियोजनाएं आरम्भ करने और अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए कदम उठाने चाहिए। ओछी और निराधार ब्यानबाजी के लिए भाजपा की पूरी फौज हिमाचल में भरी पड़ी है जो पिछले ढाई वर्षों से दिन-रात हिमाचल के विकास को रोकने का प्रयास कर रही है।

सोलन: शूलिनी विश्वविद्यालय ने हाल ही में यूनाइटेड किंगडम (यूके) के एडिनबर्ग विश्वविद्यालय से एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल की मेजबानी की। इस यात्रा का समन्वय शूलिनी विश्वविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय मामलों के कार्यालय (OIA) द्वारा किया गया था और इसका उद्देश्य दोनों संस्थानों के बीच शैक्षणिक साझेदारी को मजबूत करना था।
एडिनबर्ग विश्वविद्यालय से सिविल और पर्यावरण इंजीनियरिंग के डिग्री प्रोग्राम मैनेजर डॉ. क्रिस बेकेट और छात्र भर्ती अधिकारी अला रॉस शामिल थे।
पहले दिन, मेहमानों ने शूलिनी परिसर का दौरा किया और नैनो टेक्नोलॉजी लैब और PURSE लैब जैसी शोध सुविधाओं का दौरा किया। इस दौरे में विश्वविद्यालय के स्थिरता प्रयासों को भी प्रदर्शित किया गया। 2+2 कार्यक्रम, दोहरे डिग्री पाठ्यक्रम और ऑनलाइन और दूरस्थ शिक्षा में अवसरों जैसे भविष्य के सहयोग का पता लगाने के लिए अकादमिक प्रस्तुतियाँ आयोजित की गईं। दिन का समापन विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित औपचारिक नेटवर्किंग डिनर के साथ हुआ।
दूसरे दिन संकाय और छात्रों के साथ बातचीत पर ध्यान केंद्रित किया गया। डॉ. क्रिस बेकेट ने इंजीनियरिंग छात्रों के लिए अतिथि व्याख्यान दिया, जबकि श्रीमती अला रॉस ने एडिनबर्ग विश्वविद्यालय में अध्ययन के अवसरों पर एक सत्र का नेतृत्व किया, विशेष रूप से अंतिम वर्ष के छात्रों के लिए। अतिथियों ने विश्वविद्यालय के प्राकृतिक परिवेश और आधुनिक बुनियादी ढांचे की सराहना की। रॉस ने कहा कि उन्होंने अपने प्रवास का भरपूर आनंद लिया और इसे “यादगार अनुभव” कहा। डॉ. बेकेट ने शूलिनी विश्वविद्यालय के आतिथ्य और शैक्षणिक क्षमता की भी प्रशंसा की। शैक्षणिक पक्ष से, स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग के डीन प्रोफेसर वीरेंद्र रिहानी और स्कूल ऑफ मैकेनिकल, सिविल और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर एम.एस. ठाकुर ने एडिनबर्ग विश्वविद्यालय के साथ दोहरे डिग्री समझौते को अंतिम रूप देने के लिए अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की। सहयोग के प्रयासों को अंतर्राष्ट्रीय मामलों के कार्यालय की उप निदेशक डॉ. रोज़ी धान्ता द्वारा सक्रिय रूप से समर्थन किए जिन्होंने इस शैक्षणिक साझेदारी के लिए महत्वपूर्ण कार्य किए।

मुख्यमंत्री ने उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की, विभिन्न परियोजनाओं की समीक्षा की
शिमला: मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड लिमिटेड (एचपीएसईबीएल) को राज्य में बिजली क्षति का सही आकलन करने और बिजली चोरी रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि अधिकारियों को बिजली क्षति को रोकने के लिए फीडर मीट्रिंग जैसे प्रभावी कदम उठाने चाहिए। यह बात उन्होंने आज यहां एचपीएसईबीएल और ऊर्जा विभाग के अधिकारियों के साथ आयोजित बैठक की अध्यक्षता करते हुए कही। उन्होंने वाणिज्यिक, औद्योगिक और घरेलू उपभोक्ताओं की फीडर मैपिंग करने के भी निर्देश दिए ताकि सभी जानकारी एक क्लिक पर उपलब्ध हो सके।
हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड लिमिटेड (एचपीएसईबीएल) के अध्यक्ष संजय गुप्ता, मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार राम सुभग सिंह, सचिव ऊर्जा राकेश कंवर, एचपीएसईबीएल के प्रबन्ध निदेशक संदीप कुमार, निदेशक ऊर्जा राकेश प्रजापति, हिमाचल प्रदेश पॉवर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन लिमिटेड के प्रबंध निदेशक राजीव सूद, विशेष सचिव ऊर्जा अरिंदम चौधरी और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी बैठक में उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि एचपीएसईबीएल के जो अधिकारी और कर्मचारी वर्तमान में ऊर्जा निदेशालय, हिमाचल प्रदेश पॉवर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन और पॉवर कॉरपोरेशन में प्रतिनियुक्ति पर कार्यरत है, उन्हें 30 अपै्रल तक विभाग चुनने का विकल्प दिया जाए। उन्होंने कहा कि सिविल विंग के कर्मचारी भी लोक निर्माण विभाग या अन्य विभाग में जाने का विकल्प चुन सकते हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि इसका कर्मचारियों की पदोन्नति और अन्य लाभों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा और वे वर्तमान सेवा शर्तों के अंतर्गत ही कार्य करेंगे। सरकार आवश्यक नीतियां संशोधित कर उनके सभी लाभों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार एचपीएसईबीएल की कार्य प्रणाली को बेहतर बनाने तथा इसे और अधिक सुदृढ़ करने के दृष्टिगत आगामी महीनों में टी-मेट्स और लाइनमैन के 2000 पद भरेगी।
सुक्खू ने 450 मेगावाट शोंग-टोंग जल विद्युत परियोजना की प्रगति की भी समीक्षा की और अधिकारियों को इस परियोजना को समयबद्ध पूरा करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने इस परियोजना को नवम्बर, 2026 तक पूर्ण करने का लक्ष्य तय किया है। इसके साथ ही उन्होंने परियोजना शुरू होने से पूर्व विद्युत निकासी (इवैक्वेशन) की योजना तैयार करने के भी निर्देश दिए ताकि आपातकाल स्थिति में राजस्व की हानि न हो।
मुख्यमंत्री ने औद्योगिक क्षेत्र में लंबे समय से तैनात अधिकारियों और कर्मचारियों का तबादला करने के लिए कहा इससे शासन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित होगी।

एफसीए प्रस्तावों की समीक्षा हेतु बैठक आयोजित
मण्डी: उपायुक्त मण्डी अपूर्व देवगन की अध्यक्षता में सोमवार को मण्डी में वन संरक्षण अधिनियम (एफसीए) के अंतर्गत लंबित प्रस्तावों की समीक्षा के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में संबंधित विभागों के अधिकारियों और वन विभाग के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
बैठक में कुल 64 एफसीए मामलों पर बिंदुवार चर्चा की गई, जिनमें 40 प्रस्ताव परिवेश 1.0 पोर्टल से और 24 प्रस्ताव परिवेश 2.0 पोर्टल से संबंधित थे। इन मामलों में न्याययिक परिसरों, सड़कों, भवनों, और अन्य हाईडल परियोजनाओं से जुड़े प्रस्ताव शामिल थे।
इसके अतिरिक्त ऐसे 25 प्रस्तावों पर भी चर्चा की गई जिन्हें विगत 5 से 10 वर्षों से स्टेज-1 (सैद्धांतिक) का अनुमोदन मिल चुका है, किंतु वे अभी तक स्टेज-2 (अंतिम) अनुमोदन के लिए लंबित हैं। उन्होंने अधिकारियों को इन लंबित मामलों की मंजूरी के लिए शीघ्रता से प्रक्रिया पूरी करने के निर्देश दिए गए।
उपायुक्त ने इस दौरान बताया कि करसोग वन मंडल के अंतर्गत मणिमहेश इंटरप्राइजेज द्वारा बनाए जाने वाले विद्युत परियोजना को अंतिम स्वीकृति मिल गई है। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि 17 मार्च 2023 से लेकर अप्रैल 2025 तक विभिन्न विभागों के कुल 24 एफसीए प्रस्तावों को अंतिम मंजूरी मिल चुकी है।
बैठक में सचिव, जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण विवेक कायस्थ सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।

शिमला: प्रदेश युवा कांग्रेस ने शनिवार को छोटा शिमला स्थित प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) कार्यालय के सामने कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के खिलाफ नेशनल हेराल्ड मामले में झूठा आरोपपत्र दायर करने के विरोध में धरना-प्रदर्शन किया। कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पुतला फूंका। प्रदेशाध्यक्ष छतर सिंह ठाकुर ने ईडी की आलोचना करते हुए कहा कि जिस मामले में उन्होंने आरोपपत्र दायर किया है, वह समझ से परे है। नेशनल हेराल्ड कांग्रेस के स्वामित्व का समाचारपत्र है और इसमें किसी भी प्रकार का कोई भी भ्रष्टाचार नहीं हुआ है। छतर ठाकुर ने कहा कि आज राहुल गांधी देश के ज्वलंत मुद्दों मसलन बढ़ती बेरोजगारी व महंगाई के खिलाफ लोगों की आवाज उठा रहे है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ राहुल गांधी बोलने की हिम्मत रखते हैं और यही कारण है कि केंद्र सरकार उनकी इस आवाज को दबाने का प्रयास कर रही है।
उन्होंने आरोप लगाया कि ईडी भाजपा सरकार की कठपुतली बनकर रह गई है। भाजपा विपक्ष को निशाना बना रही है, जो लोकतंत्र के लिए बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। भाजपा बदले की भावना से उन पर करवाई कर रही है। कांग्रेस इससे डरने वाली नहीं है और देश की जनता सब देख रही है।

रेलवे अंडरपास और पंडोगा-त्यूड़ी पुल से क्षेत्रीय विकास को मिलेगी नई रफ्तार
ऊना: हिमाचल प्रदेश के लोक निर्माण, वित्त, योजना, आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग के सचिव अभिषेक जैन ने शनिवार को ऊना जिले के मलाहत में निर्माणाधीन रेलवे अंडरपास तथा स्वां नदी पर बन रहे पंडोगा-त्यूड़ी पुल का निरीक्षण किया। इस अवसर पर राष्ट्रीय उच्च मार्ग और लोक निर्माण विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित रहे। निरीक्षण के दौरान अभिषेक जैन ने निर्माण कार्यों की प्रगति की समीक्षा की और निर्माण कार्यों में तेजी लाने के लिए संबंधित अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए ताकि सभी विकास परियोजनाएं तय समय-सीमा के भीतर पूरी की जा सकें। उन्होंने कहा कि इन दोनो परियोजनाओं के पूर्ण होने से क्षेत्रीय विकास को नई रफ्तार मिलेगी।
अभिषेक जैने ने बताया कि ऊना विधानसभा क्षेत्र के मलाहत में लगभग 11 करोड़ रुपये की लागत से बन रहे रेलवे अंडरपास का 45 प्रतिशत निर्माण कार्य पूर्ण कर लिया गया है। उन्होंने बताया कि रेलवे अंडरपास कार्य को 13 अगस्त, 2025 तक पूर्ण करने का लक्ष्य रखा है। इस अंडरपास के बन जाने से राष्ट्रीय राजमार्ग पर यातायात सुगम होगा तथा पीरनिगाह जैसे धार्मिक स्थलों की ओर जाने वाले श्रद्धालुओं सहित आमजन को राहत मिलेगी। उन्होंने बताया कि रेलवे क्रॉसिंग के चलते लोगों को लंबे समय तक प्रतीक्षा करनी पड़ती है, जिससे आपातकालीन सेवाओं को भी बाधा पहुंचती है। अंडरपास बनने से यह समस्या समाप्त हो जाएगी।
इसके अतिरिक्त सचिव ने हरोली विधानसभा क्षेत्र के पंडोगा गांव में 50.60 करोड़ रुपये की लागत से बन रहे पंडोगा-त्यूड़ी पुल के कार्यों की भी समीक्षा की। उन्होंने बताया कि 560 मीटर लंबा यह पुल का निर्माण कार्य मार्च 2026 तक पूर्ण किया जाएगा। इस पुल के निर्माण से हरोली और कुटलैहड़ विधानसभा क्षेत्रों के लोगों को प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा। साथ ही पंडोगा, खड्ड, पंजावर एवं पंडोगा इंडस्ट्रियल एरिया के लिए आवागमन और मालवहन की सुविधा में सुधार होगा। साथ ही बसाल, त्यूड़ी तथा महाराज सुग्रीवानंद जी आश्रम बसाल आने-जाने वाले श्रद्धालुओं को भी विशेष सुविधा प्राप्त होगी। सचिव अभिषेक जैन ने कहा कि प्रदेश सरकार राज्यवासियों को बेहतर सड़क कनेक्टिविटी और समयबद्ध विकास कार्यों के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
इस अवसर पर अधीक्षण अभियंता लोक निर्माण विभाग हर्ष पुरी, अधिशासी अभियंता लोक निर्माण विभाग हरोली बलदेव सिंह, अधिशासी अभियंता लोक निर्माण विभाग बंगाणा अरविंद लखनपाल, अधिशासी अभियंता लोक निर्माण विभाग भरवाईं हरगोबिन्द कौशल, एसडीओ अरविन्द चौधरी, अधिशासी अभियंता राष्ट्रीय एनएच हरि राम तथा एसडीओ एनएच राजेश कुमार उपस्थित रहे।
