धर्म/ संस्कृति

चमत्कारों से आस्था की ज्योत जगाने वाला दियोट सिद्ध “श्री बाबा बालकनाथ मन्दिर”

आधुनिक ढंग के निर्माण शिल्प के साथ शिखरनुमा शैली में बना है मन्दिर गुफा मन्दिर में स्थापित है बाबा बालकनाथ की श्यामवर्णी संगमरमर की मूर्ति हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर की धौलगिरि पर्वतश्रेणी...

हिमाचल: किन्नौर जनपद की विवाह परंपरा, शादी में न तो मंडप बनाया जाता है, और न ही अग्नि के लिए जाते हैं फेरे

सतलुज नदी किन्नौर क्षेत्र को दो भागों में बाँटती है। यहाँ का मौसम वर्षभर सुहावना रहता है। हिमाचल की इस पावन भूमि पर हिमाच्छादित पर्वत श्रेणियों से घिरा किन्नौर एक अत्यंत रमणीय क्षेत्र है।...

हिमाचल: रिवालसर का छेश्चू (छेत्शु) मेला व वैशाखी मेला

लोमस ऋषि ने की थी रिवालसर झील के तट पर भगवान शिव की अराधना ‘छेश्चू‘ शब्द में ‘छ‘ का भाव पानी और ‘श्चू‘ का भाव है मेला पूजा में वाद्य यन्त्रों के स्वर के साथ ‘ओम् माने पेमे हूं‘...

श्री अयोध्यानाथ मन्दिर रामपुर बुशहर रियासत के शाही मन्दिरों में से एक

रानी अपने मायके से श्री राम की मूर्ति साथ लेकर आईं पुरातात्त्विक महत्त्व की संरचना श्री अयोध्यानाथ मन्दिर भी जिला के रामपुर उपमण्डल मुख्यालय में स्थित है। यह मन्दिर शिमला से 130 किलोमीटर की...

रामपुर बुशहर में स्थित तिब्बतीयन शैली में निर्मित दुम्ग्युर नामक बौद्ध मंदिर

रामपुर बुशहर में स्थित तिब्बतीयन शैली में निर्मित दुम्ग्युर बौद्ध मंदिर

बुशहर रियासत के टीका रघुनाथ सिंह ने सन 1895 ई. को स्थापित करवाया शिमला जिला के रामपुर उपमंडल में समुद्रतल से 1000 मीटर की ऊंचाई पर बौद्ध मंदिर रामपुर बस स्टैंड के पास स्थित है। रामपुर में तिब्बतीयन...

लाहौल और स्पीति के “भोट” में फलदार वृक्ष नहीं अपितु प्राकृतिक जड़ी-बूटियाँ अधिक पाई जाती हैं

लाहौली एवं स्पीति भोट द्वारा बोली जाने वाली भोटी भाषा  भुटोरियां पंगवाल गांव से काफी दूर लाहौल और स्पीति “भोट” की जीवन शैली उनकी निकटता के कारण समान… ईसा की सातवीं शताब्दी में पहली बार...

हिमाचल प्रदेश (पश्चिमी हिमालय) की प्राचीनता : प्राचीन भारतीय इतिहास को जानने के लिए वेदों के माध्यम से मानवीय सभ्यता के उन दिनों का पता चलता है…,

जब… विश्व के शेष भागों में अन्धकार छाया हुआ था और भारत में पूर्ण प्रकाश की उपासना हो रही थी प्राचीन भारत के ऋषियों ने सृष्टि सम्वत् का प्रयोग इतिहास लेखन में किया है। सृष्टि सम्वत्, कलियुग...