शिमला: हाटू शिखर मन्दिर पहुंचकर होता है अद्भुत शांति का अनुभव; बर्फ हरियाली और पहाड़ों की खूबसूरती देखकर ख़ुशी से झूम उठता है मन

दैविक लीलाओं के लिए प्रसिद्ध हाटू शिखर

शिमला: हाटू शिखर-

शिमला के नारकण्डा के समीप ऊंची पर्वतमाला हाटू पीक की चोटी पर स्थित हाटू माता मंदिर यहां के आकर्षण का मुख्य केंद्र है। मनमोहक सुंदर प्राकृतिक दृश्य अद्भुत शांति का अनुभव कराते हैं। हाटू चोटी पर स्थित माता का मन्दिर श्रदालुओं की आस्था का अटूट केंद्र है। वहीं हाटू पीक की चोटी के आस पास हरे भरे पेड़ पहाड़ एक मन दृश्य मन को मोह लेते हैं जिन्हें देखकर यहाँ आने का बार बार मन करता है।

चोटी से चारों ओर बर्फ से ढकी हिमालय पर्वत की चोटियां देखी जा सकती हैं

यह पर्यटक स्थल नारकण्डा के समीप ऊंची पर्वतमाला हाटू की चोटी पर स्थित है। यह समुद्रतल से लगभग 3300 मीटर की ऊंचाई पर है। नारकण्डा से हाटू तक रई, देवदार, खरेऊ आदि के जंगल में चढ़ाई दार मार्ग है। यहां भगवती काली का एक छोटा मन्दिर है। हाटू शिखर दैविक लीलाओं के लिए मशहूर है। इस चोटी से चारों ओर बर्फ से ढकी हिमालय पर्वत की चोटियां देखी जा सकती हैं। यहां एक किले के खंडहर भी हैं। यहां सन् 1809 ई० से 1815 ई० तक गोरखा आक्रान्ताओं की सशक्त सैन्य चौकी रही है। यहां से सन् 1815 ई० को ब्रिटिश सरकार ने गोरखों को बाहर निकाला था। कैप्टन हॉजसन और लेफ्टिनेंट हरबट ने इस चोटी को हिमालय पर्वत श्रृंखला की बर्फ से ढकी पर्वतमालाओं की समुद्रतल से ऊंचाई मापने के त्रिवर्गीय स्थान के तौर पर चयन किया था। यह शिखर नारकाण्डा से आठ किलोमीटर की दूरी पर है।

मंदिर का निर्माण ठेठ हिमाचली शैली में किया गया है

हाटू पीक की चोटी पर स्थित हाटू माता मंदिर के बारे में ऐसी मान्यता है कि पांडव अपने एक साल के गुप्त वनवास (अज्ञात वास) के दौरान इस स्थान पर रहे थे। यहां रहने के दौरान, उन्होंने देवी दुर्गा को समर्पित एक मंदिर का निर्माण किया। इसी पर चलकर स्वर्ग की ओर पांडवों की अंतिम यात्रा के दौरान द्रौपदी की मृत्यु हुई थी। इस मंदिर का निर्माण ठेठ हिमाचली शैली में किया गया है। यह मंदिर पूरी तरह से लकड़ी से निर्मित है और इनके पटलो पर रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्यों की कथाएं प्रतिबिंबित है।

नारकंडा से करीब 10 किमी की दूरी पर ऊंचे ऊंचे देवदार के पेड़ो से घिरी हुई तानी जुब्बर झील बहुत ही खूबसूरत है। झील के किनारे ‘नाग देवता’ को समर्पित  मंदिर है, जो साँपों के देवता हैं। यह स्थानीय देवता को समर्पित छोटा सा मंदिर हैऔर दूसरे छोर पर एक सराय भी  है जहां आप आराम भी कर सकते हैं।

तानी जुब्बर झील

हाटू माता मंदिर से थोड़ा आगे चलने पर आपको तीन बड़े चट्टान दिखाई देंगे, जिनके बारे में कहा जाता है ये भीम का चूल्हा है। ऐसी मान्यता है कि अज्ञात वास के दौरान पाण्डव इस जगह पर रुके थे और यहीं पर उन्होंने खाना भी बनाया था। कहा जाता है कि इन्ही चट्टानों पर बर्तन रखकर भीम खाना पकाते थे।

वहीं कुछ दूरी पर थानेदार नामक स्थान पर स्थित, स्टोक्स एप्पल फार्म है। जहां पर आप सेब के सुंदर बागान देख सकते हैं। यह बागान 18 वीं शताब्दी में एक अमेरिकी सत्यानंद स्टोक्स (जन्म सैमुअल इवांस स्टोक्स, जूनियर) द्वारा स्थापित सेब का प्रसिद्ध बाग हैं। आमतौर पर अप्रैल यहां तक ​​जाने का सबसे अच्छा समय है। उस समय सेब पेड़ो पर लदे होते हैं और देखने में बहुत सुंदर लगते हैं।

सर्दियों में नारकंडा की पहाड़ियां बर्फ से ढंकी होती हैं और यहां स्कीइंग करने वाले पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है। मन्दिर पहुंचकर अद्भुत शांति का अनुभव होता है और वहीं दूसरी प्रकृति के बर्फ, हरियाली, पहाड़ों की खूबसूरत के नजारे देखकर मन ख़ुशी से झूम उठता है।

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