किड्स (विशेष)/ कैरियर/ मनोरंजन

दिवाली का पौराणिक महत्व, पंच-पर्वों का त्‍यौहार: दीपावली

दिवाली का पौराणिक महत्व, पंच-पर्वों का त्‍यौहार: दीपावली

“धनतेरस” दीपावली पर्व की शुरुआत का प्रतीक… दीपावली की पूरी रात दीपक प्रज्‍वलित रखते हैं, जिसके संदर्भ में हिन्‍दु धर्म में कई मान्‍यताऐं हैं, जिनमें से कुछ का वर्णन पिछले पोस्‍ट क्‍यों...

“बच्चे” क्यों करते हैं...“जिद्द”

“बच्चे” हो जाते हैं…“जिद्दी”

बच्चों की जिद्द के पीछे कोई ठोस कारण प्रस्तुत नहीं किए जा सकते क्योंकि सभी बच्चों की रूचियां व भावनाएं भिन्न-भिन्न होती हैं। कोई वस्तु यदि एक बालक के लिए आकर्षण का केंद्र बिंदु है तो दूसरा...

...पापा भी बनें बच्चों के दोस्त

…”पापा” भी बनें बच्चों के दोस्त

 बच्चों की परवरिश में माँ और पापा दोनों की अपनी खास जगह होती है। बदलते वक्त के साथ-साथ आज के दौर के माता-पिता के व्यवहार में काफी बदलाव आये हैं, लेकिन व्यस्तता भरे माहौल में आज हर परिवार...

बच्चों के मनोरंजन के लिए प्रेरणादायक छोटी-छोटी कहानियाँ (जैसे को तैसा)

कहानी (जैसे को तैसा) एक बार की बात है कि एक लोमड़ी किसी बगुले के आभार तले आ गई। आभार का बदला चुकाने के लिए उसने न चाहते हुए भी बगुले को रात्रि के भोजन पर अपने घर बुला लिया। उसने प्रीतिभोज के लिए...

वो दिन…जब सूरज ढलते ही बच्चे घर आंगन की गलियों में कबड्डी, गिट्टी-छिपाना, किकली, छुपन-छुपाई, बैट बॉल जैसे खेल खेलते थे

बचपन में पुराने समय में खेले जाने वाले खेल समय-समय के साथ हमारे जीवन शैली में भी आज बहुत परिवर्तन हो गया है। चाहे बात हमारे रहन-सहन की हो या खान-पान की या खेलकूद, वर्तमान में बहुत कुछ बदल गया है।...

अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा कल से, ना होगा विधिवत शुभारंभ और ना ही समापन

कुल्लू दशहरा उत्सव की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक परम्परा और इतिहास…

कुल्लू के दशहरे का अपना इतिहास, पृष्ठभूमि व सांस्कृतिक परम्परा देवी-देवताओं के महासंगम का गवाह : कुल्लू दशहरा कुल्लू में दशहरे का शुभारंभ 17वीं शताब्दी में हुआ देश भर में मनाया जाने वाला...

जीवन में हमें “डर” से डरना नहीं है;….बल्कि “डर” को हराकर अपनी जीत तय करनी है

मुश्किल, परेशानियाँ, मायूसी आनी जानी चीजें हैं ख़ुशी नहीं रही तो दुःख भी नहीं रहेगा.. तो डरना क्यों अपने “डर” से करें मुकाबला; क्योंकि “डर” से आगे है जीत… “डर” जी हाँ “डर” से डर से मनुष्य...