ऊँ अर्थात् ओउम् तीन अक्षरों से बना है, जो सर्व विदित है । अ उ म्। अ का अर्थ है उत्पन्न होना, उ का तात्पर्य है उठना, उडऩा अर्थात् विकास, म का मतलब है मौन हो जाना अर्थात् ब्रह्मलीन हो जाना। ऊँ सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति और पूरी सृष्टि का द्योतक है। ऊँ का उच्चारण शारीरिक लाभ प्रदान करता है। इलाज से पहले दवा के बारे में जानना जरूरी है। दरअसल ॐ शब्द, अ, उ और म अक्षर से मिलकर बना है। जिनमें “अ” का अर्थ है उत्पन्न होना, “उ” का तात्पर्य है उठना तथा उड़ना अर्थात् विकास एवं “म” का मतलब है मौन हो जाना अर्थात् “ब्रह्मलीन” हो जाना। इसका असर भी मानसिक स्तर पर आप महसूस करते है।
ॐ के उच्चारण का रहस्य : ओम का यह चिन्ह ‘ॐ’ अद्भुत है। यह संपूर्ण ब्रह्मांड का प्रतीक है। बहुत-सी आकाश गंगाएँ इसी तरह फैली हुई है। ब्रह्म का अर्थ होता है विस्तार, फैलाव और फैलना। ओंकार ध्वनि के 100 से भी अधिक अर्थ दिए गए हैं। यह अनादि और अनंत तथा निर्वाण की अवस्था का प्रतीक है। ओंकार ध्वनि ‘ॐ’ को दुनिया के सभी मंत्रों का सार कहा गया है। यह उच्चारण के साथ ही शरीर पर सकारात्मक प्रभाव छोड़ती है। भारतीय सभ्यता के प्रारंभ से ही ओंकार ध्वनि के महत्त्व से सभी परिचित रहे हैं। पांच अवयव- ‘अ’ से अकार, ‘उ’ से उकार एवं ‘म’ से मकार, ‘नाद’ और ‘बिंदु’ इन पांचों को मिलाकर ‘ओम’ एकाक्षरी मंत्र बनता है।
आइंसटाइन भी यही कह कर गए हैं कि ब्राह्मांड फैल रहा है। आइंसटाइन से पूर्व भगवान महावीर ने कहा था। महावीर से पूर्व वेदों में इसका उल्लेख मिलता है। महावीर ने वेदों को पढ़कर नहीं कहा, उन्होंने तो ध्यान की अतल गहराइयों में उतर कर देखा तब कहा। ॐ को ओम कहा जाता है। उसमें भी बोलते वक्त ‘ओ’ पर ज्यादा जोर होता है। इसे प्रणव मंत्र भी कहते हैं। । इस मंत्र का प्रारंभ है अंत नहीं। यह ब्रह्मांड की अनाहत ध्वनि है। अनाहत अर्थात किसी भी प्रकार की टकराहट या दो चीजों या हाथों के संयोग के उत्पन्न ध्वनि नहीं। इसे अनहद भी कहते हैं। संपूर्ण ब्रह्मांड में यह अनवरत जारी है।
तपस्वी और ध्यानियों ने जब ध्यान की गहरी अवस्था में सुना की कोई एक ऐसी ध्वनि है जो लगातार सुनाई देती रहती है शरीर के भीतर भी और बाहर भी। हर कहीं, वही ध्वनि निरंतर जारी है और उसे सुनते रहने से मन और आत्मा शांती महसूस करती है तो उन्होंने उस ध्वनि को नाम दिया ओम।
साधारण मनुष्य उस ध्वनि को सुन नहीं सकता, लेकिन जो भी ओम का उच्चारण करता रहता है उसके आसपास सकारात्मक ऊर्जा का विकास होने लगता है। फिर भी उस ध्वनि को सुनने के लिए तो पूर्णत: मौन और ध्यान में होना जरूरी है। जो भी उस ध्वनि को सुनने लगता है वह परमात्मा से सीधा जुड़ने लगता है। परमात्मा से जुड़ने का साधारण तरीका है ॐ का उच्चारण करते रहना।
त्रिदेव और त्रेलोक्य का प्रतीक: ॐ शब्द तीन ध्वनियों से बना हुआ है- अ, उ, म इन तीनों ध्वनियों का अर्थ उपनिषद में भी आता है। यह ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक भी है और यह भू: लोक, भूव: लोक और स्वर्ग लोग का प्रतीक है। तंत्र योग में एकाक्षर मंत्रों का भी विशेष महत्व है। देवनागरी लिपि के प्रत्येक शब्द में अनुस्वार लगाकर उन्हें मंत्र का स्वरूप दिया गया है। उदाहरण के तौर पर कं, खं, गं, घं आदि। इसी तरह श्रीं, क्लीं, ह्रीं, हूं, फट् आदि भी एकाक्षरी मंत्रों में गिने जाते हैं।
सभी मंत्रों का उच्चारण जीभ, होंठ, तालू, दाँत, कंठ और फेफड़ों से निकलने वाली वायु के सम्मिलित प्रभाव से संभव होता है। इससे निकलने वाली ध्वनि शरीर के सभी चक्रों और हारमोन स्राव करने वाली ग्रंथियों से टकराती है। इन ग्रंथिंयों के स्राव को नियंत्रित करके बीमारियों को दूर भगाया जा सकता है।
उच्चारण की विधि : प्रातः उठकर पवित्र होकर ओंकार ध्वनि का उच्चारण करें। ॐ का उच्चारण पद्मासन, अर्धपद्मासन, सुखासन, वज्रासन में बैठकर कर सकते हैं। इसका उच्चारण 5, 7, 10, 21 बार अपने समयानुसार कर सकते हैं। ॐ जोर से बोल सकते हैं, धीरे-धीरे बोल सकते हैं। ॐ जप माला से भी कर सकते हैं।
प्रिय या अप्रिय शब्दों की ध्वनि से श्रोता और वक्ता दोनों हर्ष, विषाद, क्रोध, घृणा, भय तथा कामेच्छा के आवेगों को महसूस करते हैं। अप्रिय शब्दों से निकलने वाली ध्वनि से मस्तिष्क में उत्पन्न काम, क्रोध, मोह, भय लोभ आदि की भावना से दिल की धड़कन तेज हो जाती है जिससे रक्त में ‘टॉक्सिक’ पदार्थ पैदा होने लगते हैं। इसी तरह प्रिय और मंगलमय शब्दों की ध्वनि मस्तिष्क, हृदय और रक्त पर अमृत की तरह आल्हादकारी रसायन की वर्षा करती है प्रातः उठकर ओंकार ध्वनि का उच्चारण करें। इससे शरीर और मन को एकाग्र करने में मदद मिलेगी। दिल की धड़कन और रक्त संचार व्यवस्थित होगा। ओम नमो – ओम के साथ नमो शब्द के जुड़ने से मन और मस्तिष्क में नम्रता के भाव पैदा होते हैं। इससे सकारात्मक ऊर्जा तेजी से प्रवाहित होती है। ओम नमो गणेश – गणेश आदि देवता हैं जो नई शुरुआत और सफलता का प्रतीक हैं। ओम गं गणपतये नम: का उच्चारण विशेष रूप से शरीर और मन पर नियंत्रण रखने में सहायक होता है।
पांच अवयव- ‘अ’ से अकार, ‘उ’ से उकार एवं ‘म’ से मकार, ‘नाद’ और ‘बिंदु’ इन पांचों को मिलाकर ‘ओम’ एकाक्षरी मंत्र बनता है। आराम की अवस्था में बैठकर तर्जनी उंगली को अंगूठे पर लगाकर ज्ञान मुद्रा बना लें। उसके बाद पेड़ू से अ, ह्रदय से उ एवं नाक से म को नाद और बिंदु की ध्वनि सहित उच्चरित करें। श्वास को सामान्य बनाए रखें। ओम का यह उच्चरण आत्मविश्वास में वृद्धि करेगा। मस्तिष्क में आने वाले नकारात्मक विचारों को दूर कर, सकारात्मक ऊर्जा का विकास करता है। शरीर के तंत्र सुचारु होकर ठीक ढंग से कार्य करते हैं तथा रक्त का संचार एक समान होता हैं, जिससे ब्लड प्रेशर एवं ह्रदय संबधी रोगों में लाभ होता है। प्रतिदिन ओम का उच्चारण करना उन लोगों के लिए बेहद फायदेमंद है, जो सांस संबंधी तकलीफों से परेशान होते हैं। इससे आपके फेफड़े स्वस्थ व मजबूत होंगे और आप भी।
- ऊँ दूर करे तनाव: मानसिक रोगों के लिए तो ओम का उच्चारण करना कमाल का असर करता है। कुछ समय तक लगातार ओम का उच्चारण करने पर आप पाएंगे कि आपका तनाव रफूचक्कर हो चुका है। अनेक बार ऊँ का उच्चारण करने से पूरा शरीर तनाव-रहित हो जाता है। यह शरीर के विषैले तत्वों को दूर करता है, अर्थात तनाव के कारण पैदा होने वाले द्रव्यों पर नियंत्रण करता है।
- ताजगी: आलस्य को दूर कर, ओम का उच्चारण मानसिक और शारीरिक दोनों तरह से आपको ताजगी देता है और स्फूर्ति का संचार करता है। इस तरह से आप चुस्त-दुरुस्त भी रह सकते हैं।
- पाचन: ऊँ के उच्चारण से पाचन शक्ति तेज़ होती है। ओम की शक्ति केवल मानसिक रोगों को ठीक करने तक ही सीमित नहीं है। यह आंतरिक परेशानियों खास तौर से पाचन क्रिया पर सकारात्मक असर डालता है, और पाचन तंत्र को सुचारु बनाए रखता है।
- नींद : नींद न आने की समस्या इससे कुछ ही समय में दूर हो जाती है। रात को सोते समय नींद आने तक मन में इसको करने से निश्चित नींद आएगी। अगर आप भी नींद नहीं आने की समस्या से परेशान हैं तो ओम का उच्चारण शुरू कीजिए। कुछ ही देर में आपका दिमाग शांत हो जाएगा और आप बेफिक्र होकर अच्छी नींद ले सकेंगे।
- घबराहट: ओम का उच्चारण आपके मन और आत्मा को बिल्कुल शांत कर देता है, जिससे घबराहट अपने आप ही चली जाती है। घबराहट का मतलब है व्याकुलता, और जहां शांति होती है वहां व्याकुलता कभी नहीं टिकती। अगर आपको घबराहट या अधीरता होती है तो ऊँ के उच्चारण से उत्तम कुछ भी नहीं। यह हृदय और ख़ून के प्रवाह को संतुलित रखता है।
- थायरॉइड: थायरॉइड ग्रंथि की किसी भी प्रकार की समस्या में ओम का उच्चारण काफी लाभप्रद होता है। यह आपके स्वर और गले में कंपन्न पैदा करता है जिसका असर थायरॉइड ग्रंथि पर भी सकारात्मक रूप से पड़ता है।
- रक्त संचार: कुछ विशेष प्राणायाम के साथ इसे करने से फेफड़ों में मज़बूती आती है। ओम का उच्चारण करना आपके रक्त संचार को सही करता है एवं संतुलन बनाए रखता है। इस तरह से आपको उच्च व निम्न रक्चाप संबंधी समस्याएं नहीं होती।
- थकान: अगर आप किसी भी प्रकार के काम से थकान महसूस कर रहे हैं, तो आपके लिए ओम का उच्चारण दवा का काम करेगा। बस कुछ देर आंखें बंद करके किजिए ओम का उच्चारण और आप महसूस करेंगे थकान से आजादी। थकान से बचाने के लिए इससे उत्तम उपाय कुछ और नहीं।
- इससे शरीर और मन को एकाग्र करने में मदद मिलेगी। दिल की धड़कन और रक्तसंचार व्यवस्थित होगा। इससे मानसिक बीमारियाँ दूर होती हैं। काम करने की शक्ति बढ़ जाती है। इसका उच्चारण करने वाला और इसे सुनने वाला दोनों ही लाभांवित होते हैं। इसके उच्चारण में पवित्रता का ध्यान रखा जाता है।
- आंतरिक स्वास्थ्य- ओम का उच्चारण करने से उत्पन्न कंपन शरीर के आंतरिक अंगों को स्वस्थ रखने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह रीढ़ की हड्डी को भी मजबूत बनाता है, और तंत्रिका तंत्र को सुचारू रूप से कार्य करने के लिए सहायक होगा।
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