
नवरात्र कलश स्थापना पूजा विधि व मुहूर्त : कालयोगी आचार्य महिन्दर कृष्ण शर्मा
वर्ष में दो बार नवरात्रे आते हैं। पहले नवरात्रे चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरु होकर चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि तक चलते हैं। फिर नवरात्रे शारदीय नवरात्रे कहलाते हैं। ये नवरात्रे आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरु होकर नवमी तिथि तक रहते हैं। दोनों ही नवरात्रों में देवी का पूजन किया जाता है। देवी का पूजन करने की विधि दोनों ही नवरात्रों में लगभग एक समान रहती है। नवरात्रों में माता के नौ रुपों की पूजा की जाती है।
आचार्य महिन्दर कृष्ण शर्मा के अनुसार वैदिक पंचांग के अनुसार, चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 29 मार्च, 2025 को दोपहर 04 बजकर 27 मिनट पर शुरू हो चुकी है। वहीं, इस तिथि का समापन 30 मार्च को दोपहर 12 बजकर 49 मिनट पर होगा। उदया तिथि को देखते हुए चैत्र नवरात्र की शुरुआत 30 मार्च यानी पिछले कल से हो चुकी है। इसके साथ ही पहला कलश स्थापना मुहूर्त सुबह 06 बजकर 13 मिनट से सुबह 10 बजकर 22 मिनट तक रहा।
वहीं, दूसरा कलश स्थापना का समय अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 01 मिनट से 12 बजकर 50 मिनट तक रहेगा। इस समय आप अपनी पूजा-पाठ और घट स्थापना कर सकते हैं।
30 मार्च से चैत्र नवरात्रि शुरु हो गई। नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। इस साल माता रानी हाथी हाथी पर सवार होकर धरती लोक पर आई हैं। देवी मां प्रस्थान भी हाथी पर बैठकर ही करेंगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जब मां दुर्गा की सवारी हाथी होती है तो यह एक बेहद ही शुभ संकेत माना जाता है। हाथी को सुख-समृद्धि और शांति का प्रतीक माना जाता है। बता दें कि नवरात्रि में माता का वाहन सप्ताह के दिन अनुसार तय होता है। अगर नवरात्रि की शुरुआत रविवार और सोमवार से होती है तो माता की सवारी हाथी होती है।
व्रत का संकल्प लेने के बाद, मिट्टी की वेदी बनाकर ‘जौ बौया’ जाता है। इसी वेदी पर घट स्थापित किया जाता है। घट के ऊपर कुल देवी की प्रतिमा स्थापित कर उसका पूजन किया जाता है। इस दिन “दुर्गा सप्तशती” का पाठ किया जाता है। पाठ पूजन के समय दीप अखंड जलता रहना चाहिए।
नवरात्रि की पहली तिथि में दुर्गा माँ के प्रारूप माँ शैलपुत्री की आराधना की जाती है। इस दिन सभी भक्त उपवास रखते हैं और सायंकाल में दुर्गा माँ का पाठ और विधिपूर्वक पूजा करके अपना व्रत खोलते हैं।
पूजन प्रारंभ की प्रक्रिया

पूजन प्रारंभ की प्रक्रिया