संसार में प्रत्येक व्यक्ति किसी न किसी ग्रह से पीडि़त है। हर व्यक्ति धन-धान्य संपन्न भी नहीं है। ग्रह-पीड़ा के निवारण के लिए निर्धन एवं मध्यम वर्ग का व्यक्ति

आचार्य महिंद्र कृष्ण शर्मा
दुविधा में पड़ जाता है। यह वर्ग न तो लंबे-चौड़े यज्ञ, हवन या अनुष्ठान करवा सकता है, न ही हीरा, पन्ना, पुखराज जैसे महंगे रत्न धारण कर सकता है। ज्योतिष विद्या देव विद्या है। यदि ज्योतिषियों के पास जाएं तो वे प्राय: पुरातन ग्रंथों में से लिए गए उपाय एवं रत्न धारण करने की सलाह दे देते हैं। परंतु आजकल लोग अनुभव सिद्ध एवं व्यवहारिक उपाय चाहते हैं ताकि आम व्यक्ति, जन सामान्य एवं पीडि़त व्यक्ति लाभ उठा सकें।
सूर्य ग्रहों का राजा है। इसलिए देवाधिदेव भगवान् विष्णु की अराधना से सूर्य देव प्रसन्न होते हैं। सूर्य को जल देना, गायत्री मंत्र का जप करना, रविवार का व्रत करना तथा रविवार को केवल मीठा भोजन करने से सूर्य देव प्रसन्न होते हैं। सूर्य का रत्न माणिक्य धारण करना चाहिए परंतु यदि क्षमता न हो तो तांबे की अंगूठी में सूर्य देव का चिह्न बनवाकर दाहिने हाथ की अनामिका में धारण करें (रविवार के दिन) तथा साथ ही सूर्य के मंत्र का 108 बार जप करें।