सेब की खेती में परागण के लिए इटेलियन मक्खियों के काम करने की क्षमता अधिक वैज्ञानिक स्तर पर मधुमक्खी पालन 1954 से आरंभ हुआ, चंबा जिला के सरौल में आधुनिक ढंग का राजकीय मधुमक्खी पालन केंद्र खोला...
हिमाचल प्रदेश में लाहौल-स्पीति, किन्नौर, पांगी और भरमौर (चम्बा) के मूल वासियों को जन-जाति (schedules Tribes) की संज्ञा दी गई है। दूरस्थ, कटा हुआ, सुख-सुविधाओं में कमी और बहुत अधिक ऊंचाई के पर्वतीय क्षेत्र...
बिशु आयोजन के दिन सबसे पहले की जाती है कुलदेवता की पूजा पहाड़ वासियों ने लुप्त हो रही सांस्कृतिक परंपरा को जैसे-तैसे करके जीवित रखा है शिमला और सिरमौर में अप्रैल-मई में किया जाता है बिशु मेले...
कौरवों व पांडवों की यादें पर्वतीय क्षेत्रों में अभी तक रची-बसी दुनिया में तीरंदाजी की कितनी ही शैलियां हैं मगर हिमाचल व उत्तराखंड की पर्वतावलियों के बाशिंदों की यह तीरकमानी अद्भुत व निराली...
लाहुल-स्पीति में बौद्ध धर्म का इतिहास यहां के लोगों का रहन-सहन और यहां के लोगों का धर्म भारत में भोट बौद्ध संस्कृति को सीमावर्ती बौद्धों ने ही कर रखा है सुरक्षित लाहुल स्पीति, लद्दाख, किन्नौर,...
आधुनिकता भरे माहौल में आज भी परंपरागत गहनों को सजीव रखे … किन्नौरी महिलाओं का श्रृंगार सिर से पांव तक गहनों से लदी किन्नौरी महिलाओं का श्रृंगार इनकी संस्कृति की सजीवता का प्रतीक हिमाचल के...
हिमाचल प्रदेश की प्राचीन कलाएं, मंदिरों के वास्तुशिल्प, लकड़ी पर खुदाई, पत्थरों और धातुओं की मूर्तियां तथा चम्बा रूमालों आदि के रूप में आज भी सुरक्षित है। हिमाचल अपनी सांस्कृतिक विरासत तथा...







