हिम धरोहर व इतिहास (Page 3)

चंबा: पांगी में जुकारू उत्सव का आगाज…

चंबा: हिमाचल प्रदेश को देवभूमि कहा जाता है क्योंकि यहां की कण-कण में देवताओं का वास है। हिमाचल एक पहाड़ी और प्राचीन सभ्यता से जुड़ा हुआ स्थल रहा है ।  यहां पर त्योहार और मेलो को स्थानीय लोग...

आज भी देखे जा सकते हैं…लकड़ी और पत्थर से बने “पांगी” के सुंदर आयताकार घर

पांगी के घर, मवेशी एक कोने में और दूसरे कोने में आदमी आधारतल को कहा जाता है कोठा घरों में नहीं होते रोशनदान हिमाचल प्रदेश के जनजातीय क्षेत्रों में भले ही आज काफी बदलाव रहन-सहन में देखने को...

बौद्ध धर्म के पुनरूत्थान के सम्बंध में गुगे राज्य का अभूतपूर्व योगदान

“लामा धर्म” अपनी ख्याति के साथ आज भी विद्यमान

तिब्बत, हिमाचल प्रदेश के जनजातीय जिलों किन्नौर तथा लाहुल-स्पिति में बौद्ध धर्म अपनी विलक्षणता के साथ विद्यमान है। गेरूआ वस्त्र पहने लामा, ऊंचाईयों में स्थित बौद्ध मठ, आकर्षक मूर्तियां व...

"शिमला" के दर्शनीय स्थल

“शिमला” के खूबसूरत पर्यटक स्थल….

“मालरोड़ शिमला”  लंदन के मालरोड़ से कम नहीं शिमला जहाँ खूबसूरती हरी वादियों से जाना जाता है वहीं इसकी गोद में शिमला की कई अनमोल धरोहरें व विरासतों की खुबसूरती भी “शिमला” के दर्शनीय...

"श्री रघुनाथ" मन्दिर कुल्लू का इतिहास

“श्री रघुनाथ” मन्दिर कुल्लू का इतिहास

श्री रघुनाथ मन्दिर मंदिर की विशेषता, भगवान रघुनाथ जी के विषय में जानकारी आज भी जगतसिंह के वंशज का बड़ा सुपुत्र श्री रघुनाथ जी का छड़ीदार हिमाचल देवभूमि है। यहां पर अनेकों देवी-देवताओं का वास...

अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा कल से, ना होगा विधिवत शुभारंभ और ना ही समापन

कुल्लू दशहरा उत्सव की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक परम्परा और इतिहास…

कुल्लू के दशहरे का अपना इतिहास, पृष्ठभूमि व सांस्कृतिक परम्परा देवी-देवताओं के महासंगम का गवाह : कुल्लू दशहरा कुल्लू में दशहरे का शुभारंभ 17वीं शताब्दी में हुआ देश भर में मनाया जाने वाला...

हिमाचल प्रदेश में आयुर्वेदिक चिकित्सा एवं जड़ी-बूटियों की ख़ास महत्ता…

हिमाचल: रोग निवारण के लिए प्राचीन काल में लोग आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों, लेप, मन्त्रों और ज्योतिषियों पर ही थे निर्भर जब हम रोगों के निवारण के लिए अपनी आयुर्वेदिक चिकित्सा एवं जड़ी बूटियों पर ही...