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देश में संविधान का राज है, ना कि किसी परिवार का – जयराम ठाकुर

जयराम ठाकुर ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को मानहानि मामले में सूरत की अपीलीय कोर्ट से राहत न मिलने पर साधा निशाना

शिमला: भारतीय जनता पार्टी के पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को मानहानि मामले में सूरत की अपीलीय कोर्ट से राहत न मिलने पर निशाना साधते हुए कहा कि अदालत का आज का निर्णय राहुल गांधी और गांधी परिवार के घमंड पर करारा तमाचा है।

जयराम ने कहा की सूरत की अपीलीय कोर्ट के आदेश से स्पष्ट हो गया है कि देश में संविधान का राज है, ना कि किसी परिवार का। कानून के तहत किसी भी परिवार को तरजीह नहीं दी जा सकती है और न ही किसी भी परिवार को अलग नजरिया से देखने की सुविधा हो सकती है।

जयराम ने कहा कि सूरत की अपीलीय कोर्ट के आज के निर्णय से गांधी परिवार के घमंड की तो हार हुई ही है साथ ही, गांधी परिवार के बचाव में उतरने वाले उस इको-सिस्टम की भी हार हुई है, जिस इको-सिस्टम में कांग्रेसी सहित देश-विदेश में बैठे बड़े-बड़े लोग शामिल हैं। सूरत अदालत के आदेश से पूरे देश खासकर, पिछड़े वर्ग में खुशी की लहर है, क्योंकि राहुल गांधी के मन में ओबीसी के लिए वैमन्स्य का भाव है और उन्होंने गाली देकर इसे दर्शाया भी था।

सूरत के अपीलीय कोर्ट को भी लगा कि राहुल गांधी को मानहानि मामले में ट्रायल कोर्ट ने जो सजा दी है, उसमें मेरिट है, अतः सजा को स्टे नहीं किया जा सकता। कोर्ट को लगा कि राहुल गांधी ने पिछड़े समाज को गाली देकर गलत काम किया है।

वास्तव में, सूरत कोर्ट के निर्णय से देश की आम जनता और पिछड़े वर्ग सहित न्यायिक प्रणाली की बहुत बड़ी जीत है, क्योंकि पिछले माह राहुल गांधी को सूरत कोर्ट द्वारा सजा सुनाए जाने के बाद, कोर्ट के निर्णय के विरोध में कांग्रेस पार्टी ने न्यायपालिक खिलाफ सड़कों पर अभियान चलाया था।

राहुल गांधी की सजा के खिलाफ कांग्रेस कार्यकर्त्ता गलियों-नुक्कड़ों पर निरंतर न्यायपालिका पर अक्रमण कर रहे थे। कांग्रेस का इको सिस्टम केवल हिन्दुस्तान में ही नहीं, विदेशों से भी भारतीय न्यायपालिका के खिलाफ अभियान चला रही थी। आज न्यायपालिक ने स्पष्ट कर दिया कि कांग्रेस पार्टी और गांधी परिवार कितना भी दबाव की राजनीति करे, न्यायपालिक किसी भी दबाव के सामने नहीं झुकेगी।

राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी ने बढ़-चढ़कर यहां तक कह दिया कि राहुल गाँधी परिवार के लड़के हैं। राहुल गांधी साधारण मनुष्य नहीं हैं और ना ही साधारण परिवार के हैं। अतः कानून को इनके साथ अलग तरह से ट्रीट करना चाहिए था। ट्रायल कोर्ट द्वारा राहुल गाँधी को दो वर्ष जेल की सजा नहीं देनी चाहिए थी। ये कोई और होते तो वे कहते- ठीक है भाई। आप दो साल जेल में जाओ, हमें क्या? कांग्रेस राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी ने यहां तक मांग की थी कि गांधी परिवार के लिए कानून अलग से परिभाषित हो और अलग कानून हो।

राहुल गांधी और गांधी परिवार शायद यह सोचती है कि वो कुछ भी कर सकती है और उनका कुछ नहीं बिगड़ेगा। आज सूरत की अदालत के निर्णय से यह सिद्ध होता है कि कानून सबके लिए बराबर है और कानून किसी के लिए अलग नहीं हो सकता है।

जब ट्रायल कोर्ट का आदेश आया था कि तब कांग्रेस और गांधी परिवार के इकोसिस्टम ने ऐसा माहौल बनाया था कि कोर्ट में कुछ गड़बड़ी थी। ट्रायल कोर्ट के न्यायधीश व ट्रायल कोर्ट के सिस्टम से कहीं न कहीं पक्षपात हुआ है। ट्रायल कोर्ट ने राहुल गांधी को फंसाने की कोशिश की है। राहुल गांधी ने कोई इतना बड़ा जुर्म नहीं किया था।

जयराम ने राहुल गांधी के बचाव करने वालों पर तंज कसते हुए कहा कि कांग्रेस के इको सिस्टम को लगता है कि क्या हो गया यदि राहुल ओबीसी समाज को गाली दी? क्या हो गया यदि राहुल पिछड़े समाज को चोर कह दिया? ये इतना बड़ा जुर्म नहीं था कि राहुल गांधी को सजा दी जाए, कहीं न कहीं यह एक साजिश थी। इससे लोकतंत्र की हत्या हुई है।

उन्होंने कहा कि सूरत के ट्रायल कोर्ट ने राहुल गांधी के खिलाफ जो सजा सुनाई थी उसके तहत राहुल गांधी भारतीय संसद से अयोग्य घोषित हुए। खास बात यह है कि संसद सदस्यता रद्द होने का कानून उस समय बनाया गया था, जब सोनिया-मनमोहन की सरकार केंद्र में थी।

ट्रायल कोर्ट ने फैसला सुनाने से पहले राहुल गांधी को समय दिया था कि राहुल जी, अभी समय है, यदि आप ओबीसी समाज से माफी मांग लें कि उन्होंने जाति विशेष को लेकर जो टिप्पणी की थी, वो गलत था, तो न्यायलय उनके मानहानि मामले पर विचार करेगी। मगर राहुल गांधी ने कहा कि मैं तो राहुल गांधी हूं, मेरी शब्दावली में माफी शब्द नहीं है। जबकि राहुल जी तो सुप्रीम कोर्ट में कान पकड़कर उठक-बैठक कर पहले भी माफी मांग चुके हैं।

राहुल जी के पास अभी भी मौका है, वे अपने अहंकार को त्याग दें। देश के सामने ओबीसी वर्ग से क्षमायाचना करें कि जो मैंने किया है, वो गलत है। मुझे ऐसा काम नहीं करना चाहिए था।

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