हम कलाई पर लाल रंग का कलावा या मौली बांधते हैं, ..जानें इसका महत्व : कालयोगी आचार्य महेन्द्र कृष्ण शर्मा

  • मौली बांधने से प्राप्त होगी भगवान ब्रह्मा, विष्णु व महेश व तीनों देवियों- लक्ष्मी, पार्वती एवं सरस्वती की कृपा

किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत करते समय या नई वस्तु खरीदने पर हम उस पर मौली बांधते हैं ताकि वह हमारे जीवन में शुभता प्रदान करे। हिन्दू धर्म में प्रत्येक धार्मिक कर्म यानी पूजा-पाठ, उद्घाटन, यज्ञ, हवन, संस्कार आदि के पूर्व पुरोहितों द्वारा यजमान के दाएं हाथ में मौली बांधी जाती है। मौली कच्चे धागे (सूत) से बनाई जाती है जिसमें मूलत: 3 रंग के धागे होते हैं- लाल, पीला और हरा। परन्तु कभी-कभी यह 5 धागों की भी बनती है जिसमें नीला और सफेद भी होता है। 3 और 5 का मतलब है कभी त्रिदेव के नाम की, तो कभी पंचदेव।
आपने अक्सर देखा होगा कि घरों और मंदिरों में पूजा के बाद पंडित जी हमारी कलाई पर लाल रंग का कलावा या मौली बांधते हैं और, हम में से बहुत लोग बिना इसकी जरुरत को पहचानते हुए इसे हाथों में बंधवा लेते हैं। दरअसल मौली का धागा कोई ऐसा-वैसा धागा नहीं होता है बल्कि यह कच्चे सूत से तैयार किया जाता है और यह कई रंगों में होती है। मौली को लोग साधारणतया हाथ की कलाई में बांधते हैं। ऐसा माना जाता है कि हाथ में मौली बांधने से मनुष्य को भगवान ब्रह्मा, विष्णु, महेश तथा तीनों देवियों- लक्ष्मी, पार्वती एवं सरस्वती की कृपा प्राप्त होती है। मौली को हाथ की कलाई, गले और कमर में बांधा जाता है। इसके अलावा मन्नत के लिए किसी देवी-देवता के स्थान पर भी बांधा जाता है और जब मन्नत पूरी हो जाती है तो इसे खोल दिया जाता है।

व्यापार और घर में मौली का प्रयोग

धार्मिक अनुष्ठान हो या पूजा-पाठ, कोई मांगलिक कार्य हो या देवों की आराधना, सभी शुभ कार्यों में हाथ की कलाई पर लाल धागा यानि मौली बांधने की परंपरा है। वाहन, कलम, बही खाते, फैक्ट्री के मेन गेट, चाबी के छल्ले, तिजोरी पर पवित्र मौली बांधने से लाभ होता है। महिलाएं मटकी, कलश, कंडा, अलमारी, चाबी के छल्ले, पूजा घर में मौली बांधें या रखें मौली से बनी सजावट की वस्तुएं घर में रखेंगी तो नई खुशियां आती है। नौकरी पेशा लोग कार्य करने की टेबल एवं दराज में पवित्र मौली रखें या हाथ में मौली बांधेंगे तो लाभ प्राप्ति की संभावना बढ़ती है। मौली बांधते वक्त इस मंत्र का उच्चारण किया जाता है- येन बद्धो बलीराजा दावेंद्रो महाबलः! तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे माचल माचल !!

मौली का चिकित्सीय महत्व

कलाई पर मौली बांधने से व्यक्ति स्वस्थ रहता है। उसकी ऊर्जा का ज्यादा क्षय नहीं होता है। शरीर विज्ञान के अनुसार शरीर के कई प्रमुख अंगों तक पहुंचने वाली नसें कलाई से होकर गुजरती हैं। कलाई पर कलावा बांधने से इन नसों की क्रिया नियंत्रित रहती है। ब्लड प्रेशर, हार्टअटैक, डायबिटीज और लकवा जैसे रोगों से बचाव के लिए मौली बांधना हितकर बताया गया है। कमर पर बांधी गई मौली के संबंध में विद्वान लोग कहते हैं कि इससे सूक्ष्म शरीर स्थिर रहता है और कोई दूसरी बुरी आत्मा आपके शरीर में प्रवेश नहीं कर सकती है।

मौली का धार्मिक महत्व

कहा जाता है कि हाथ में मौली धागा बांधने से मनुष्य बुरी दृष्टि से बचा रहता है क्योंकि भगवान उसकी रक्षा करते हैं। मौली बांधना वैदिक परंपरा का हिस्सा है। यज्ञ के दौरान इसे बांधे जाने की परंपरा तो पहले से ही रही है, लेकिन इसको संकल्प सूत्र के साथ ही रक्षा-सूत्र के रूप में तब से बांधा जाने लगा, जबसे असुरों के दानवीर राजा बलि की अमरता के लिए भगवान वामन ने उनकी कलाई पर रक्षा-सूत्र बांधा था। इसे रक्षाबंधन का भी प्रतीक माना जाता है, मौली को हर हिन्दू बांधता है। इसे मूलत: रक्षा सूत्र कहते हैं।

मौली बांधने के नियम…

  • शास्त्रों के अनुसार पुरुषों एवं अविवाहित कन्याओं को दाएं हाथ में कलावा बांधना चाहिए। विवाहित स्त्रियों के लिए बाएं हाथ में कलावा बांधने का नियम है।

  • कलावा बंधवाते समय जिस हाथ में कलावा बंधवा रहे हों, उसकी मुट्ठी बंधी होनी चाहिए और दूसरा हाथ सिर पर होना चाहिए।

  • मौली कहीं पर भी बांधें, एक बात का हमेशा ध्यान रहे कि इस सूत्र को केवल 3 बार ही लपेटना चाहिए व इसके बांधने में वैदिक विधि का प्रयोग करना चाहिए।

  • हर मंगलवार और शनिवार को पुरानी मौली को उतारकर नई मौली बांधना उचित माना गया है। उतारी हुई पुरानी मौली को पीपल के वृक्ष के पास रख दें या किसी बहते हुए जल में बहा दें।

  • प्रतिवर्ष की संक्रांति के दिन, यज्ञ की शुरुआत में, कोई इच्छित कार्य के प्रारंभ में, मांगलिक कार्य, विवाह आदि हिन्दू संस्कारों के दौरान मौली बांधी जाती है।

  • किसी अच्छे कार्य की शुरुआत में संकल्प के लिए भी बांधते हैं।

  • किसी देवी या देवता के मंदिर में मन्नत के लिए भी बांधते हैं। रक्षा सूत्र जीवन मे खुशिया और दीघायु देने वाले होते है धारण करने वाले की रक्षा स्वयं उसका अन्तर्मन करता है।

सम्बंधित समाचार

अपने सुझाव दें

Your email address will not be published. Required fields are marked *