मंत्र साधना द्वारा हर उपचार संभव: आचार्य महेन्द्र कृष्ण शर्मा

 

आचार्य महेन्द्र कृष्ण शर्मा जो कि शिमला के मतियाणा के परवेच गांव के रहने वाले हैं। आचार्य काल के योग के माध्यम से लोगों को पिछले जन्म में ले जाकर अवगत करवाते हैं तो वहीं अपनी ज्योतिष विद्या द्वारा लोगों की समस्या का समाधान भी करते हैं।

आचार्य के अनुसार उन्होंने सात वर्ष तक वृंदावन और बनारस में रहकर भगवान अध्ययन, तंत्र अध्ययन व ज्योतिष विद्या का अध्ययन किया है और इस क्षेत्र में नए आयाम स्थापित करने के लिए प्रयासरत हैं। काल योग के माध्यम से वे लोगों को पिछले जन्म में ले जाकर उनके पिछले जन्म से अवगत करवाते हैं। जिसके चलते अभी तक 500 से ज्यादा शिविर प्रदेश और अन्य राज्यों में लगा चुके हैं। यहां तक कि कई टीवी कार्यक्रमों में भी अपने कार्यक्रम देते रहते हैं।

मंत्रों का हमारे जीवन में कितना महत्व: हमारी संस्कृति में मंत्रों का बहुत अधिक महत्व रहा है। पुराने समय में हमारे ऋषि-मुनि बहुत मंत्रों का जाप करके कठिन तप करते थे और अपनी इच्छा का फल प्राप्त करते थे और उनमें से बहुत से ऐसे मंत्र है जिन मंत्रों के जाप से व्यक्ति अपने रोगों को दूर करके स्वस्थ रह सकता है। मेरा स्वयं का अनुभव है और मैंने स्वयं अपने कई लोगों और मित्रों को मंत्र साधना के माध्यम से इस रोग से मुक्ति दिलाई है। मंत्र साधना एक ऐसी दिव्य शक्ति है. जो मानव जीवन में समस्या को सुलझा देती है मंत्र साधना कई प्रकार की होती है। मं‍त्र के माध्यम से हम किसी देवी या देवता को जल्द ही प्रसन्न कर सकते है।

मंत्र द्वारा उपचार संभव : मन जब मंत्र के अधीन हो जाता है, तब वह सिद्ध होने लगता है। मंत्र साधना भौतिक बाधाओं का आध्यात्मिक उपचार है। मंत्र में वो शक्ति है जो बड़े से बड़े कष्ट और समस्या को दूर कर सकती है मंत्र अनेकों प्रकार के होते है। हर क्षेत्र के लिए अलग अलग मंत्र होते है। यदि आप मंत्रों का सही उपयोग करते है। और उनका सही उच्चारण करते है, तो आपको सिद्धी अवश्य मिलेगी बस उनका गलत उपयोग न करें।

मंत्र साधना : मंत्र साधना भी कई प्रकार की होती है। मं‍त्र से किसी देवी या देवता को साधा जाता है और मंत्र से किसी भूत या पिशाच को भी साधा जाता है। मंत्र का अर्थ है मन को एक तंत्र में लाना। मन जब मंत्र के अधीन हो जाता है तब वह सिद्ध होने लगता है। मंत्र साधना भौतिक बाधाओं का आध्यात्मिक उपचार है।

मुख्यत: 3 प्रकार के मंत्र होते हैं– 1. वैदिक मंत्र, 2. तांत्रिक मंत्र और 3. शाबर मंत्र।

मंत्र जप के भेद- 1. वाचिक जप, 2. मानस जप और 3. उपाशु जप।

मंत्र साधना व पद्धति है क्या?

भारतीय वैदिक पद्धति में विश्वास रखने वाले जातक यह अच्छी तरह से जानते है कि रोग व अन्य कष्ट जैसे व्यवसाय का रुकना, या में नुकसान होना, बच्चों को कष्ट होना, बच्चों से, पत्नी से, पति से या अन्य बन्धु से कष्ट होना सब ग्रह चाल के कारण होता हैं। जब रोग का उपचार से निवारण होता है तो फिर अन्य कष्टों का उपचार से निवारण क्यों नहीं सम्भव है?

 

मन्त्र द्वारा किस प्रकार हर समस्या निवारण : मंत्र को समझने के लिये धैय की आवश्यकता होती है। मंत्र अपने आप में पूर्ण नहीं होता है। अपितु उसके साथ एक क्रिया-पद्धति है। वह मंत्र के साथ मिलकर पूर्ण मंत्र का निर्माण करती है। मंत्र के साथ एक पद्धति जुड़ी रहती है तब जाकर मंत्र हमारे उपयोग की वस्तु बनता है। अर्थात फल प्राप्त होता है। इसीलिये मंत्र की लय व उसकी पद्धति का पूर्ण ज्ञान प्राप्त करके ही मंत्र का पूर्ण लाभ उठाया जा सकता है।

आचार्य लोगों को किसी भी प्रकार की समस्या तथा ग्रहों की दशा में कुंडली देखकर उपाय बताते हैं। इसके अतिरिक्त किसी भी प्रकार की अन्य समस्याएं, बच्चों की पढ़ाई को लेकर समस्या हो या फिर पारिवारिक या शारीरिक। वे जटिल से जटिल समस्याओं का समाधान अपनी विद्या यानि मंत्र साधना द्वारा करते हैं। वे सामाजिक कार्यों में भी हिस्सा लेते हैं।

आचार्य का दावा है कि वे मंत्रोच्चारण द्वारा कैंसर तथा जोड़ों के दर्द का ईलाज भी करते हैं। वे राजधानी शिमला में गौशाला का निर्माण कार्य कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त लोगों की समस्या को लेकर ज्योतिष विद्या और तंत्र के आसान उपाय की अपनी एक पुस्तक लिख रहे हैं। जिसे वे जल्दी ही पूरा करके लोगों की समस्याओं के समाधान के लिए समर्पित करेंगे। हिमाचल के अलावा हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखण्ड और पंजाब में अपनी विद्या के द्वारा बहुत से लोगों की समस्याओं हेतु कार्य कर रहे हैं। वे 9 साल से कम बच्चों की आंखों में पट्टी बांधकर किसी भी व्यक्ति के आगे का भविष्य कैसा होगा, के बारे में बता सकते हैं।

सभी ग्रहों के रत्न कब और कैसे पहनें इसके लिए लग्न कुंडली, नवमांश, ग्रहों का बलाबल, दशा-महादशाएं आदि सभी का अध्ययन करने के बाद ही रत्न पहनने न पहनने के बारे में भी बताते हैं।

उनका कहना है कि रत्न पहनने के लिए दशा-महादशाओं का अध्ययन भी जरूरी है। केंद्र या त्रिकोण के स्वामी की ग्रह महादशा में उस ग्रह का रत्न पहनने से अधिक लाभ मिलता है। रत्न निर्धारित करने के बाद उन्हें पहनने का भी विशेष तरीका होता है। शुभ घड़ी में उस ग्रह का मंत्र जाप करके रत्न को सिद्ध करें। मंत्र जाप के लिए भी रत्न सिद्धि के लिए किसी ज्ञानी की मदद भी ली जा सकती है।

आचार्य महेन्द्र सिंह शर्मा की न्यू शिमला के सेक्टर-2 में ज्योतिष कार्यालय है जहां वे ज्योतिष विद्या द्वारा लोगों की सभी प्रकार की समस्याओं का समाधान करते हैं। वहीं दूसरी ओर बीसीएस में उनका डिवाईन नामक शोरूम है। जहां हवन अनुष्ठान का थोक व परचून का सामान मिलता है। इसके अतिरिक्त इस शोरूम में चमत्कारी यन्त्र, राशि रत्न, संजीवनी धूप, मोतियों की माला, मंदिर, पारद शिवलिंग, सभी प्रकार की मूर्तियां, धोतियां, घंटियां, धार्मिक पुस्तकें, कमल गट्टे की माला, भगवान के वस्त्र, हनुमान पूजा का सामान, मुकुट, चुनियां, नारियल, सूखे मेवे, थालियां, शादी-विवाह का सामान, पीताम्बरी, रुपेहरी, चांदी और ताम्बे को धोने वाली, सेहरा, वर माला, आसन, व वास्तु शास्त्र मिलते हैं

गौ सेवा के लिए आप भी अपना बहुमूल्य योगदान करें और गौ सेवा के लिए आगे आएं। ज्योतिष अनुसंधान केंद्र काल योग सेवा ट्रस्ट शिमला, सेक्टर 34 सी, केनरा बैंक के सामने न्यू शिमला, एस्ट्रो अधिकारी संपर्क सूत्र-82638-82638 और 92182-00013, 14 आचार्य जी से आप वॉट्स ऐप और फेसबुक पर इस नंबर से जुड़ सकते हैं। आचार्य महेन्द्र कृष्ण शर्मा, 91295-00004

 

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