इस बार हम आपको शिमला शहर के ब्रिटिश समय के इंडिया स्कूलों के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं। जोकि ब्रिटिश इण्डिया शासनकाल के समय में बनाये गए थे। जो आज भी काफी प्रसिद्ध हैं। स्कूल शिक्षा के...
मशोबरा स्थल को पुराने समय में “मैशियार” के नाम से जाना जाता था मशोबरा- यह हिल स्टेशन शिमला-तत्तापानी सड़क पर शिमला से 15 किलोमीटर की दूरी पर है। मशोबरा स्थल को पुराने समय में “मैशियार” के...
जम्मू के बसोहली से चम्बा आई थी रूमाल कला पहाड़ी हस्तकला लोक-शिल्प में ‘पहाड़ी-रूमाल‘ का महत्वपूर्ण स्थान है। ये रूमाल चम्बा, कांगड़ा, मण्डी, बिलासपुर तथा कृत्तु में बनते हैं। यह कला जम्मू...
बुशहर रियासत के टीका रघुनाथ सिंह ने सन 1895 ई. को स्थापित करवाया शिमला जिला के रामपुर उपमंडल में समुद्रतल से 1000 मीटर की ऊंचाई पर बौद्ध मंदिर रामपुर बस स्टैंड के पास स्थित है। रामपुर में तिब्बतीयन...
लाहौली एवं स्पीति भोट द्वारा बोली जाने वाली भोटी भाषा भुटोरियां पंगवाल गांव से काफी दूर लाहौल और स्पीति “भोट” की जीवन शैली उनकी निकटता के कारण समान… ईसा की सातवीं शताब्दी में पहली बार...
हिमाचल के ग्रामीणों के लिए सदियों से मनोरंजन का प्रमुख साधन रहा है “करियाला” लोक-नाट्य हिमाचल में मनोरंजन के महत्त्वपूर्ण साधन हैं। ये प्रायः सर्द ऋतु में पूरे प्रदेश में आयोजित किए जाते...
सिर पर काली गोल टोपी, बदन पर छुबा और कमर में गाची पहनना जरूरी देवभूमि हिमाचल अपनी परंपरा, रहन-सहन, खानपान, संस्कृति तथा प्रकृति की खूबसूरती से न केवल भारत में अपितु विश्व भर में जाना जाता है।...
