हिम धरोहर व इतिहास (Page 5)

प्रदेश की लोक धड़कन "हिमाचल के वाद्य यंत्र"

मंगल कार्यों, देव उत्सवों व मेले-जातरों में हिमाचल के वाद्य यंत्रों की धुनों से गुंजयमान होकर भावविभोर हो उठता है वातावरण

प्रदेश की लोक धड़कन “हिमाचल के वाद्य यंत्र” हिमाचल में लोक संस्कृति का विशेष महत्व है। ऐसे में हिमाचली लोक वाद्य यंत्रों की अगर बात की जाए, तो यह कहना गलत नहीं होगा कि जब हिमाचली वाद्य...

हिमाचल के गुज्जरों का जनजाति जीवन

हिमाचल के गुज्जरों का जनजातीय जीवन

 हिमाचल प्रदेश में लाहौल-स्पीति, किन्नौर, पांगी और भरमौर (चम्बा) के मूल वासियों को जन-जाति (schedules Tribes) की संज्ञा दी गई है। दूरस्थ, कटा हुआ, सुख-सुविधाओं में कमी और बहुत अधिक ऊंचाई के पर्वतीय क्षेत्र...

बिशु मेला: हिमाचल की लोक गाथाओं, नृत्यों और मेलों में झलकता है सदियों पुराना इतिहास 

बिशु आयोजन के दिन सबसे पहले की जाती है कुलदेवता की पूजा पहाड़ वासियों ने लुप्त हो रही सांस्कृतिक परंपरा को जैसे-तैसे करके जीवित रखा है शिमला और सिरमौर में अप्रैल-मई में किया जाता है बिशु मेले...

आज भी जीवित है लाहौल-स्पीति में बौद्ध सभ्यता और संस्कृति का प्राचीन इतिहास

हिमाचल: आज भी कायम है लाहौल-स्पीति में बौद्ध सभ्यता और संस्कृति का प्राचीन इतिहास

 लाहौल-स्पीति में रीति रिवाजों की अनोखी परम्परा,…. होती है प्रकृति की पूजा देवभूमि हिमाचल जहां अपनी प्राकृतिक छटा चहुं ओर बिखेरे हुए है वहीं प्रदेश का एक अद्भुत प्राकृतिक स्थल...

महाभारत के इतिहास से जुड़ा खेल, नृत्य व नाट्य का सम्मिश्रण ठोडा

हिमाचल: महाभारत के इतिहास से जुड़ा “ठोडा” खेल

कौरवों व पांडवों की यादें पर्वतीय क्षेत्रों में अभी तक रची-बसी दुनिया में तीरंदाजी की कितनी ही शैलियां हैं मगर हिमाचल व उत्तराखंड की पर्वतावलियों के बाशिंदों की यह तीरकमानी अद्भुत व निराली...

हिमाचल की बोलियां : चार कोस पर बदले पाणी, आठ कोस पर बदले वाणी

लाहुल-स्पीति की संस्कृति, रहन सहन व धर्म ….

लाहुल-स्पीति में बौद्ध धर्म का इतिहास यहां के लोगों का रहन-सहन और यहां के लोगों का धर्म भारत में भोट बौद्ध संस्कृति को सीमावर्ती बौद्धों ने ही कर रखा है सुरक्षित लाहुल स्पीति, लद्दाख, किन्नौर,...

हिमाचल के प्राचीन "प्रजातंत्र"

हिमाचल के प्राचीन “प्रजातंत्र”

जनपदों का आविर्भाव वैदिकयुग के अंत में हुआ प्रतीत होता है। जन अपने को किसी विशेष ऋषि की संतान मानते थे, वहीं गोत्र कहलाता था। प्रत्येक जन में अनेक कुटुंब होते थे और विभिन्न कुटुंबों के समुदाय...