शिमला का खूबसूरत पर्यटक स्थल “मशोबरा”; ऊँचे पहाड़, हरे भरे पेड़, बर्फ का मनमोहक सौन्दर्य

मशोबरा स्थल को पुराने समय में “मैशियार” के नाम से जाना जाता था

मशोबरा- यह हिल स्टेशन शिमला-तत्तापानी सड़क पर शिमला से 15 किलोमीटर की दूरी पर है। मशोबरा स्थल को पुराने समय में “मैशियार” के नाम से जाना जाता था जिसका अर्थ भैंसों के पड़ाव से लिया जाता है। यही मैशियार कालान्तर में मशोबरा के नाम से प्रसिद्ध हुआ। मशोबरा में उंचे-ऊंचे पहाड़, हरे भरे पेड़, छोटे-छोटे खेत, सेब के पेड़ जब फलों और फूलों से लदे होते हैं तो खूबसूरती का अद्भुत नजारा देखने को मिलता है। जब सर्दियों में बर्फ पड़ती है तो पहाड़, पेड़ मन मोह लेते हैं।  मनमोहक प्रकृति का सौन्दर्य मन को एक सुकून, भाव विभोर करने वाली शांति प्रदान करता है।
मशोबरा बाजार के साथ ही सन् 1866 ई० में मिस्टर गिलबर्ट कैम्पवेल ने भवनों का निर्माण किया जिसमें वह कई वर्षों तक रहे
मशोबरा बाजार के साथ ही सन् 1866 ई० में मिस्टर गिलबर्ट कैम्पवेल ने भवनों का निर्माण किया जिसमें वह कई वर्षों तक रहे। उनके बाद यह सम्पति श्रीमती मार्टिन के हस्तान्तरित हुई और इसे “गेब्लज होटल” के नाम जाना गया। कई बार भारत के वाइसरॉय लाई और उनके परिवार ने भी इसमें समय बिताया। लॉरी को हस्तान्तरित इस सम्पत्ति को सन 1912 में लारी को होट्ज ने अधिगृहीत किया और इसमें एक भाग जोड दिया। इस होटल के साथ ही श्रीमती माटिन भाग द्वारा होटल ब्लैक रॉक बनाया गया जहाँ से बर्फ का मनमोहक सौन्दर्य देखने को मिलता है।
सभी भवनों में पुराना ‘मशोबरा हॉऊस’
गेब्लज के साथ ही ऊपर की तरफ सभी भवनों में पुराना ‘मशोबरा हॉऊस’ है जिसे सन् 1859 ई० में कर्नल मैकन्जी ने बनाया था जो यहां पर भीड-भाड़ वाले समरहिल क्षेत्र से आये थे। इस भवन को सन् 1864 ई० में अधिगृहीत किया। और यहां सन् 1896 ई० तक रही उनके पुत्र ने यह सम्पत्ति लॉरीज होटल की श्रीमती लॉरी को बेच दिया जो उस समय होटल गेब्लज की भी मालिक थी। लगभग चौदह वर्ष बाद श्रीमती लॉरी ने मशोबरा हॉऊस को कानपुर के मिस्टर एलैन को बेच दिया। जिन्होंने पुराने घर का जीर्णोद्धार कर बाग लगाए और वनों वाली आकर्षक भूमि में बदल दिया। शीघ्र ही श्रीमती होट्ज ने गेब्लज को खरीद लिया। यह दोनों सम्पत्तियां शिमला के साथ लगते इस क्षेत्र के कारण महत्त्वपूर्ण मानी जाती थी।
जो अब केनलवर्थ मशोबरा सम्पतियों में सबसे बड़ी और कीमती सम्पदा थी
मशोबरा हॉऊस से निचली तरफ छोटी और सुन्दर-विन्डोची कॉटेज में ब्रेकनवरी रहे और बाद में यह कॉटेज युनाईटेड सर्विस क्लब ने खरीदी और इसके सदस्यों द्वारा तब तक प्रयोग में लाई गई जब तक कलब द्वारा क्रैगनेनो को नहीं खरीद लिया गया। विन्डोची कॉटेज को बाद में श्रीमती होट्रेज ने खरीद लिया और यहीं रही। विन्डोची के समीप मिस्टर टी० ब्लिस का राहत महल ‘दी अबोड आफ ब्लिस’ है जो अब केनलवर्थ मशोबरा सम्पतियों में सबसे बड़ी और कीमती सम्पदा थी। पहले यह शिमला बैंक कापरिशन मिस्टर एफ० पीटर्सन के स्वामित्व में सन् 1889 ई० तक रही और इसे ‘दें रिफ्यूज’ के नाम से जाना जाता था। तब। इसे कर्नल सर ए०आर०डी० मैकेन्जी ने खरीदा और इसमें भवन, मैदान और एक बड़ा बगीचा बनवाया। अन्त में यह सम्पति नाभा के महाराज के हाथ लगी जिससे फरीदकोट की महारानी ने इसे एक लाख पचास हजार रूपयों में खरीदा इसी पहाड़ी पर एक अन्य भवन था, जिसे ‘हॉनिगटन’ नाम दिया गया था और इसे जनरल एडविन हर हर्ष कॉल ने बनाया था तथा 30 वर्षों तक इसका कब्जा उसके विती पास रहा। तत्पश्चात् इसे पटियाला के कंवर ने खरीदा और वती आज भी उसके परिवार के नाम से जाना जाता है।
पर्यटकों के लिए क्रैगनेनो और डाक बंगला
जून माह में सीपुर नामक स्थान पर सिप्पी नाम का लगता है मेला
यहां शांस्क कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर तथा औद्योनिकी एवं बागवानी विश्वविद्यालय नौणी (सोलन) द्वारा संचालित एक क्षेत्रीय फल अनुसंधान केन्द्र है। यहां पर्यटकों के लिए क्रैगनेनो और डाक बंगला भी बना है। यहां जून माह में सीपुर नामक स्थान पर सिप्पी नाम का मेला भी लगता है। जिसमें भैसों की लड़ाई करवाई जाती है।

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