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हिमाचल के पैगोड़ा शैली में बने मंदिर
हिमाचल प्रदेश के मण्डी, कुल्लू, किन्नौर, शिमला के पर्वतीय क्षेत्रों में पैगोड़ा शैली के असंख्य मंदिर हैं। राजा बाणसेन द्वारा 1346 में निर्मित मण्डी का पराशर मंदिर, मनाली का हिडिम्बा मंदिर जिसे कि कुल्लू के राजा बहादुर सिंह ने 1553 में बनवाया था, नगर का त्रिपुरा सुन्दरी मंदिर, दयार में स्थित त्रियुगी नारायण मंदिर, खोखान में आदि ब्रह्मा मंदिर, कुल्लू घाटी में सनहार में स्थित मनु का मंदिर, सुंगरा में स्थित माहेश्वर मंदिर तथा किन्नौर में स्थित चगाओं मंदिर सभी पैगोड़ा छत शैली में निर्मित हैं।
चौथी शैली के मंदिर बंद छतों और पैगोड़ा शैली की छतों का मिश्रण
चौथी शैली के मंदिर बंद छतों और पैगोड़ा शैली की छतों का मिश्रण हैं। इस मिश्रित शैली के उदाहरणों में बाहरी सिराज के नीरथ नामक स्थान पर निर्मित वाहन महादेव और धनेश्वरी देवी के मंदिर हैं। इनके अतिरिक्त पहाड़ी वास्तुशैली के मुख्य मंदिर हैं भीमाकाली मंदिर (सराहन, शिमला), बिजट देवता मंदिर (सराहां, चौपाल), शिरगुल देवता मंदिर, (जोडऩा, चौपाल), डोम देवता मंदिर, (गुठाण, ठियोग), मगलेश्वर मंदिर (बलग, ठियोग), कामरू मंदिर (सांगला, किन्नौर), रूद्रदेवता मंदिर (देवठी-मझगांव, सिरमौर), बौइन्द्रा देवता (अढाल, रोहडू), शिरगुल देवता मंदिर (शामा, सिरमौर), मगरू महादेव मंदिर (छतरी, मण्डी), माहूनाग मंदिर (करसोग, मण्डी), गुड़ारू देवता मंदिर (गवास, रोहडू), महासू देवता मंदिर (बालीकोटी, शिलाई), नाग देवता मंदिर (जायली, चौपाल), दुर्गामाता मंदिर (शड़ी, ठियोग) तथा चेवली मंदिर शिमला (बलसन, ठियोग)।
विशिष्ट शैली में बने बौद्ध-वास्तुकला के मुख्य गोम्पा