श्री अयोध्यानाथ मन्दिर रामपुर बुशहर रियासत के शाही मन्दिरों में से एक

रानी अपने मायके से श्री राम की मूर्ति साथ लेकर आईं
पुरातात्त्विक महत्त्व की संरचना श्री अयोध्यानाथ मन्दिर भी जिला के रामपुर उपमण्डल मुख्यालय में स्थित है। यह मन्दिर शिमला से 130 किलोमीटर की दूरी पर है। यह मंदिर बुशहर रियासत के शाही मन्दिरों में एक है। रामपुर बस अड्डा के समीप एक रमणीय भू-भाग इस मन्दिर के साथ महाराजा शमशेर प्रकाश के भाई मियां फतेह सिंह (1837-16 ई०) का बेड़ा था। यह महल लोक मानस में ” ढंका माथे बेड़ो” नाम से विख्यात रहा। इस राजसी बेड़ा का जीणर्णोद्धार कर यहां अब आधुनिक ढंग का तीन मंजिल भवन बनाया गया है। इस नवनिर्मित भवन के सान्निध्य में श्री अयोध्यानाथ मन्दिर आज भी पुरातन स्वरूप में विद्यमान है।

श्री अयोध्यानाथ मन्दिर रामपुर बुशहर

पुरातात्त्विक महत्त्व की संरचना श्री अयोध्यानाथ मन्दिर
मन्दिर का शिखर आमलक और कलश से सुशोभित
यह मन्दिर नागर शैली के मन्दिरों की अनन्यतम मिसाल है। इस दक्षिणाभिमुखी मन्दिर के बाहर दोनों ओर हनुमान की प्रस्तर तथा कंकरीट की बनी मूर्तियां हैं। यहां मन्दिर का शिखर आमलक और कलश से सुशोभित है। इस मन्दिर का मध्य भाग उरूश्रृंग के साथ-साथ युगल शार्दुल और त्रिदेव से अलंकृत है। प्रस्तर शिल्प के इस मन्दिर का अधोभाग गवाक्षों से सजा है। इन में मन्दिर की बाई ओर बने गवाक्ष में चतुर्भुजी सिंहवाहिनी दुर्गा तथा दाईं ओर मुषक वाहना गणपति की मूर्तियां हैं जबकि पार्श्व गवाक्ष में वृषवाहना शिव-पार्वती की मूर्तियां हैं। इसी मन्दिर की प्रस्तर दीवारों पर अनगिनत देवी-देवताओं की मूर्तियां उकेरी गई हैं। श्री अयोध्यानाथ मन्दिर के प्रवेश द्वार के दोनों ओर बेल-बूटों फूल-पत्तियों की भव्य नक्काशी हुई है। इस मन्दिर का ललाट बिम्ब गणपति की मूर्ति से सुसज्जित है। इससे ऊपर वाले भाग पर बाईं ओर गद्दाधारी हनुमान तथा दाई ओर गुरूड़ नारायण अंकित है। इनके शीर्ष पर ब्रह्मा, विष्णु और महेश नाम से त्रिदेव सजे है। इस मन्दिर का वास्तुशिल्प शिल्पी के कुशल हस्तशिल्प को दर्शाता है।
इस मन्दिर में राम दरबार सजा है जबकि पूजा पीठिका पर अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियों को भी सजाया गया है। यहां मन्दिर के मध्य में एक रजत सिंहासन पर राम, सीता, लक्ष्मण, शत्रुघ्न और भरत की मूर्तियां है। श्री राम के सामने एक मूर्ति हनुमान की है जो श्रीराम के प्रति दास्य भाव को दर्शाती है।
मन्दिर में पाषाण और धातु की कुल सत्ताईस मूर्तियां
राम दरबार के बाईं ओर राधा-कृष्ण और दो भुजी दुर्गा की दो मूर्तियां हनुमान सहित अलग-अलग चांदी के आसन पर है। इसके साथ सत्ताईस शालीग्राम भी पूजा में रखे गए है। राम दरबार के दाईं ओर एक अन्य रजत आसन पर श्वेत संगमरमर में बद्रीनारायण की मूर्ति, बाल-गोपाल, दुर्गा, कृष्ण, गणेश, हनुमान आदि देवी-देवताओं की मूर्तियां है। यह सभी मूर्तियां अष्टधातु, पीतल, चांदी आदि में बनी है। इस मन्दिर में पाषाण और धातु की कुल सत्ताईस मूर्तियां है।
रानी अपने मायके से श्री राम की मूर्ति साथ लेकर आई
इस मन्दिर के प्रति शाही घराने की गहरी आस्था और विश्वास रहा है

श्री अयोध्यानाथ मन्दिर रामपुर बुशहर

जनश्रुति है कि इस मन्दिर का निर्माण रामपुर शहर के संस्थापक राजा राम सिंह (1767-99 ई०) ने करवाया। उनका विवाह अयोध्या से हुआ था। उनकी रानी अपने मायके से श्री राम की मूर्ति साथ लेकर आई। राजवंश की रक्षा के लिए राजा रामसिंह ने श्री अयोध्यानाथ मन्दिर बनवाया था। इस मन्दिर के प्रति शाही घराने की गहरी आस्था और विश्वास रहा है। यह भी लोकश्रुति है कि इस मन्दिर के साथ मियां फतेह सिंह ने भी कालान्तर में ही बेड़ा बना लिया था। यहां रियासती आवास और श्री अयोध्यानाथ मन्दिर का सम्मिलित रूप देखने को मिलता था। इस मन्दिर के साथ यात्रियों और श्रद्धालुओं को ठहरने के लिए सराय भी थी।
मन्दिर की देखभाल रियासतीकाल में शाही परिवार करता था
इस मन्दिर की देखभाल रियासतीकाल में शाही परिवार करता था। स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद इस मन्दिर के संचालन के लिए सन् 1952 ई० को एक मन्दिर समिति का गठन किया गया। यह मन्दिर हिमाचल प्रदेश हिन्दू सार्वजनिक धार्मिक संस्थान एवं पूर्त विन्यास अधिनियम 1984 के अधीन सरकार द्वारा अधिगृहीत कर मन्दिर न्यास का गठन किया गया है। अब इस मन्दिर प्रबन्ध मन्दिर न्यास द्वारा चलाया जा रहा है।
हर वर्ष दशहरा का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है
श्री अयोध्यानाथ मन्दिर में प्रातः तथा सांय द्विकाल पूजा मन्दिर न्यास द्वारा नियुक्त पुजारी करता है। यहां हर वर्ष दशहरा का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है। इस अवसर पर श्री अयोध्यानाथ जी दरबार की रथयात्रा निकाली जाती है। इस शोभा यात्रा में सारे कस्बे के लोग शामिल होते है। इसके अतिरिक्त इस मन्दिर में बसन्त पंचमी, होली, बैशाखी, कृष्ण जन्माष्टमी, रामनवमीं आदि भी मनाए जाने की परम्परा है। यहां मन्दिर में सभी पर्वों पर विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।

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