शिमला हिमाचल प्रदेश की राजधानी है। इस जगह को ‘समर रिफ्यूज़’ और पहाड़ों की रानी’ के रूप में भी जाना जाता है। वर्तमान का शिमला

देवदार, वन, तोस के विशाल काय वृक्ष के मध्य पर्यटन स्थल, शिमल
जिला 1972 में निर्मित किया गया था। इस जगह का यह नाम ‘माँ काली’ के दूसरे नाम ‘श्यामला’ से व्युत्पन्न है। क्यांकि यहां का नाम देवी श्यामला के नाम पर रखा गया है जो काली का अवतार है। शिमला लगभग 7267 फीट की ऊंचाई पर स्थित है और यह अर्ध चक्र आकार में बसा हुआ है, जहां पूरे वर्ष ठण्डी हवाएं बहने का वरदान है। यहां घाटी का सुंदर दृश्य दिखाई देता है और महान हिमालय पर्वत की चोटियां चारों ओर दिखाई देती है। जाखू, प्रॉस्पैक्ट, ऑव्सर्वेटरी, एलीसियम और समर इस जगह की महत्वपूर्ण पहाडिय़ां हैं। सन् 1864 में इस जगह को ब्रिटिश भारत की ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित किया गया था। स्वतन्त्रता के बाद यह जगह कुछ समय तक पंजाब की राजधानी भी रही। बाद में शिमला को हिमाचल प्रदेश की राजधानी बना दिया गया। शिमला की खोज अंग्रेजों ने सन 1819 में की। 1814-16 के गोरखा युद्ध के बाद सैनिक टुकडिय़ों के सुरक्षित जगह पर आराम के लिये शिमला की स्थापना की गई थी। शिमला ठंडी जलवायु, सुरम्य प्राकृतिक दृश्यों, हिमाच्छादित पहाड़ी दृश्यों, चीड़ और देवदार के जंगलों और औपनिवेशिक वास्तु के आकर्षक शहरी भू-दृश्य के लिये विख्यात है। इन्हीं कारणों से यह भारत की ग्रीष्मकालीन राजधानी हुआ करता था। चार्ल्स कैनेडी ने यहां पहला ग्रीष्मकालीन घर बनाया था। जल्दी ही शिमला लॉर्ड विलियम बेन्टिन्क की नजरों में आ गया, जो कि 1828 से 1835 तक भारत के गवर्नर जनरल थे। 19वीं सदी के अंत में यहां ब्रिटिश वाइसरॉय के आवास (राष्ट्रपति निवास) का निर्माण हुआ था। आजकल इसमें इंस्टिट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडी है।

वायसरीगल लाज शिमला
यहां के भोले-भाले लोग अतिथियों को भगवान की तरह सम्मान देते हैं। वहीं हिमाचल पर्यटन विभाग और हिमाचल टारसपोर्ट प्रबंधन टूरिस्टों की सुविधा का खास ख्याल रखने की व्यवस्था करता है। साथ ही निजी होटल व्यवासायी और निजी ट्रारपोर्ट वाले भी इस बात का ध्यान रखते हैं कि पर्यटकों को बेहतरीन सुविधाएं मुहैया करवाई जाए ताकि पर्यटकों की आवाजाही 12 महीने लगी रहे। पर्यटकों की रहने से खाने तक की व्यवस्था और घुमने की व्यवस्था के लिए सरकार द्वारा भी पर्यटन विभाग और यातायात विभाग को खास निर्देश दिए जाते हैं। आइए अब आपको इस बार सैर कराते हैं हिमाल की राजधानी की हसीन वादियों से गुलजार शिमला की। जोकि एक खूबसूरत हिल स्टेशन के नाम से न केवल देश बल्कि विदेशों में भी विख्यात है।
जाखू मंदिर भगवान ‘हनुमान’ को समर्पित

जाखू मन्दिर
शिमला हिमालय की पश्चिमी सीमाओं के उत्तर में स्थित है। 2397.59 मीटर (मतलब समुद्र के स्तर से ऊपर 7866.1० फुट) के एक औसत से कम ऊंचाई, शहर के एक टीले पर फैला है। यह सुरम्य पहाड़ी क्षेत्र विभिन्न पर्यटकों को आकर्षित करता है। पर्यटक, एक फैले हुए खुले क्षेत्र रिज से, जो कि लक्कड़ बाज़ार और स्कैंडल प्वाइंट से जुड़ा हुआ है। इस पर्वत श्रृंखला के लुभावने दृश्यों का आनंद ले सकते हैं। जाखू मंदिर भगवान ‘हनुमान’ को समर्पित है जो समुद्र की सतह से 8०48 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। शिमला की सबसे ऊंची पहाड़ी जाखू हिल पर स्थित है हनुमान जी का मंदिर। जिसे देखने के लिए मुख्य रूप से पर्यटक यहां पहुंचते हैं। यहां से पूरा शिमला शहर और आस-पास के इलाके दिखाई देते हैं। कर्नल जे.टी. बोइल्यू द्वारा डिज़ाइन की गई खूबसूरत क्राइस्ट चर्च, रंगीन ग्लासों से सजी हुई है जिनमें
रिज के दृश्य दिखाई देते हैं। वहीं दूसरी ओर माँ काली देवी को समर्पित, काली बाड़ी मंदिर है जहां पूरे साल भक्तों का तांता लगा रहता है। दीवाली, नवरात्री और दुर्गा पूजा जैसे हिंदू त्यौहार इस मंदिर में पूरी धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाए जाते हैं। शिमला लगभग 7267 फीट की ऊंचाई पर स्थित है और यह अर्ध चक्र आकार में बसा हुआ है, जहां पूरे वर्ष ठण्डी हवाएं बहने का वरदान है। यहां घाटी का सुंदर दृश्य दिखाई देता है और महान हिमालय पर्वत की चोटियां चारों ओर दिखाई देती है। भक्तगण, समुद्र तल से 1975 मीटर की ऊंचाई पर स्थित संकटमोचन मंदिर के दर्शन भी कर सकते हैं। यह मंदिर भगवान हनुमान को समर्पित है और सन् 1966 में निर्मित किया गया था। मंदिर के विभिन्न परिसरों में अलग-अलग देवी-देवताओं को प्रतिस्थापित किया गया है।
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Jan 26, 2017 - 10:21 PM
Hame achcha laga mai gya tha ghumane