जानें …मकर सक्रांति कब है, पूजा विधि, समय और स्नान का महत्व : कालयोगी आचार्य महिंदर शर्मा

हर वर्ष मकर संक्रांति का त्योहार 14 जनवरी को मनाई जाती है।  हिंदू पंचांग के अनुसार, सूर्य 14 जनवरी 2023 की रात 8 बजकर 21 मिनट पर मकर राशि में गोचर करेंगे। उदया तिथि 15 जनवरी को प्राप्त हो रही है। ऐसे में मकर संक्रांति नए साल में 15 जनवरी  को मनाई जाएगी।

जानें …मकर सक्रांति कब है, पूजा समय और स्नान का महत्व : कालयोगी आचार्य महिंदर शर्मा

इस साल मकर संक्रांति बेहद खास मानी जा  रही है, क्योंकि रविवार और मकर संक्रांति दोनों ही सूर्य को समर्पित है। पुराणों के अनुसार मकर संक्रांति से सूर्य उत्तरायण होते हैं और ऐसे शुभ संयोग में मकर संक्रांति पर स्नान, दान और सूर्य उपासना से अन्य दिनों में किए गए दान-धर्म से अधिक पुण्य की प्राप्ति होगी।

 मकर संक्रांति 2023 शुभ मुहूर्त

पुण्य काल – 15 जनवरी 2023 को सुबह 7 बजकर 17 मिनट से शाम 5 बजकर 55 मिनट तक

महा पुण्य काल – 15 जनवरी 2023: सुबह 7 बजकर 17 मिनट से सुबह 9 बजकर 04 मिनट तक

सुकर्मा योग- 14 जनवरी दोपहर 12 बजकर 33 मिनट से 11 बजकर 51 मिनट तक

धृति योग- 11 बजकर 51 मिनट से 16 जनवरी सुबह 10 बजकर 31 मिनट तक

 मकर संक्रांति को पूजा विधि

मकर संक्रांति के दिन स्नान दान का विशेष महत्व है। इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान आदि करके साथ-सुथरे वस्त्र धारण कर लें। अगर आप गंगा स्नान कर लें, तो आप भी बेहतर है। लेकिन किसी कारणवश गंगा स्नान के लिए नहीं जा पा रहे हैं, तो घर में ही नहाने के पानी में थोड़ा सा गंगाजल डाल लें। मकर संक्रांति के दिन स्नान के पहले कुछ भी खाना-पीना नहीं चाहिए।

स्नान करने के बाद भगवान सूर्यदेव की विधिवत पूजा करनी चाहिए। इसके लिए एक तांबे के लोटे में जल, थोड़ा तिल, सिंदूर, अक्षत और लाल रंग का फूल डालकर अर्घ्य दें। इसके साथ ही भोग लगाएं। पूजा पाठ करने के बाद अपनी योग्यता के अनुसार दान करें।मकर संक्रांति के दिन मुहूर्त पर अन्न, तिल, गुड़, वस्त्र, कंबल, चावल, उड़द की दान, मुरमुरे के लड्डू आदि का दान करें। ऐसा करने से सूर्य के साथ-साथ शनिदेव भी प्रसन्न होते हैं।  मकर संक्रांति के दिन तिल का दान करना बहुत शुभ होता है। 

मकर संक्रांति के दिन काले तिल से सूर्य देव की पूजा की जाती है। इस दिन अगर आपके घर पर कोई भिखारी, साधु, बुजुर्ग या असहाय व्यक्ति आता है तो उसे कभी भी खाली हाथ न जाने दें।

मकर संक्राति के दिन सूर्य देव की पूजा का विशेष महत्व होता है। इस दिन उन्हें प्रसन्न करने के लिए सूर्य देव मंत्रों का जाप जरूर करें। इस दिन सूर्य के खास मंत्र ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमःका जाप करते हुए उन्हें अर्घ्य दें।

सूर्य-शनि से जुड़ी पौराणिक कहानी

मकर संक्रांति से जुड़ी शनि देव और सूर्य देव की एक पौराणिक कथा है। मान्यताओं के मुताबिक पिता सूर्य देव से शनि देव के संबंध अच्छे नहीं थे। शनि देव और सूर्य देव की आपस में नहीं बनती है। देवी पुराण में बताया गया है कि सूर्य देव जब पहली बार अपने पुत्र शनि देव से मिलने गए थे, तब शनि देव ने उनको काला तिल भेंट किया था और उससे ही उनकी पूजा की थी। इससे सूर्य देव अत्यंत प्रसन्न हुए थे। सूर्य ने शनि को आशीष दिया कि जब वे उनके घर मकर राशि में आएंगे, तो उनका घर धन-धान्य से भर जाएगा। तभी से मकर संक्रांति मनाई जाती है।

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