- बाह्य वित्तपोषित 1688 करोड़ रुपये की उपोष्ण कटिबंधीय बागवानी एवं 423 करोड़ रुपये की खुम्ब विकास परियोजनाएं ‘बीज से बाजार तक’ की संकल्पना पर आधारित
- प्रदेश के 54 विकास खण्डों में क्रियान्वित की जाएगी परियोजना
शिमला: प्रदेश के लिए बाह्य वित्तपोषित 1688 करोड़ रुपये की उपोष्ण कटिबंधीय बागवानी एवं 423 करोड़ रुपये की खुम्ब विकास परियोजनाएं ‘बीज से बाजार तक’ की संकल्पना पर आधारित हैं। परियोजनाओं का मुख्य उद्देश्य किसानों की आय को दो गुणा करने के लिए जहां अधिक से अधिक किसानों को बागवानी गतिविधियों से जोड़ना है, वहीं पढ़े-लिखे बेरोज़गार युवाओं को नकदी बागवानी से जोड़कर उन्हें अपरोक्ष रोजगार प्रदान करना भी है। यह बात सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य और बागवानी मंत्री महेन्द्र सिंह ठाकुर ने आज यहां परियोजनाओं की व्यवहार्यता की जानकारी के संबंध में हिमाचल दौरे पर आई एशियन विकास बैंक की टीम तथा बागवानी विभाग के अधिकारियों के साथ आयोजित बैठक की अध्यक्षता करते हुए कही। इस अवसर पर बागवानी निदेशक डॉ. एम.एल. धीमान व विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी बैठक में उपस्थित रहे।
एशियन विकास बैंक की चार सदसीय टीम में मिशन लीडर सनथ रणवाना, लान्स गोरे, सुजैन मार्श तथा कृष्ण सिंह रौटेला शामिल हैं। परियोजनाओं के व्यवहारिर्यता अध्ययन के लिए टीम 18 से 23 सितम्बर तक राज्य के दौरे पर है। 20 और 21 सितम्बर को टीम बिलासपुर तथा मंडी जिलों में बागवानों और व्यावसायिं से चर्चा करने के उपरांत रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।
बागवानी मंत्री ने कहा कि उपोष्ण कटिबंधीय बागवानी परियोजना को राज्य के 10 जिलों के 54 विकास खण्डों में क्रियान्वित किया जाएगा। आरंभ में 27 विकास खण्डों में एक साथ कार्य शुरू किया जाएगा। 20000 हैक्टेयर क्षेत्र में नये बागीचे लगाए जाएंगे और राज्य के 50000 बागवानी परिवार सीधे तौर पर लाभान्वित होंगे। परियोजना की 20 प्रतिशत लागत राज्य सरकार द्वारा वहन की जाएगी।
उन्होंने एशियन विकास बैंक के दल को आश्वासन दिलाया कि परियोजना की डीपीआर उनके दिशा-निर्देशानुरूप तैयार की जाएगी। उन्होंने कहा कि हम बागवानी को राज्य के सभी क्षेत्रों में लाना चाहते हैं और इसके लिए कलस्टरों को चिन्हित करने का कार्य किया जा रहा है। कलस्टर वही गांव अथवा क्षेत्र चयनित किए जा रहे हैं जहां सिंचाई की सुविधा पहले से ही उपलब्ध है अथवा सिंचाई योजना निर्माणाधीन है। इसके अलावा, मिट्टी की उपयुक्त जांच करवाकर जलवायु के अनुरूप पौधे लगाए जाएंगे। परियोजना के अंतर्गत बागवानों को बीज से बाजार तक की सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी। अनेक प्रसंस्करण इकाईयां स्थापित की जाएंगी और विपणन की भी व्यवस्था होगी। इनमें युवाओं को रोजगार के अवसर भी उपलब्ध होंगे।
एकीकृत खुम्ब विकास परियोजना पर मंत्री ने कहा कि परियोजना नासिक के मॉडल पर कार्यान्वित की जाएगी। महिलाओं को अधिक संख्या में शामिल किया जाएगा। राज्य में एक मैगा मशरूम इकाई की स्थापना की जाएगी, जबकि राज्य के विभिन्न सात जिलों में प्रत्येक में एक छोटी इकाई लगाई जाएगी। मशरूम कम्पोस्ट को बागवानी में उपयोग किया जाएगा, जो विशुद्ध रूप से जैविक होगा। मशरूम के विपणन को लेकर रेलवे से बात की गई है। इसके अतिरिक्त राज्य के स्कूलों में मिड-डे-मील एवं आंगनवाड़ियों में भी इसे उपलब्ध करवाएंगे। अस्पतालों तथा होटलों में भी मशरूम की बिक्री को प्रोत्साहित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि ये परियोजनाएं मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर के प्रयासों से राज्य के लिए आई हैं और उनकी सोच को आगे बढ़ाने के हर संभव प्रयास किए जाएंगे।
उन्होंने कहा हालांकि राज्य में बेसहारा पशुओं, बंदरों व जंगली जानवरों से फसलों को नुकसान का हमेशा खतरा बना रहता है। इस पहलू को परियोजनाओं में विशेष रूप से ध्यान में रखा गया है। इसके लिए बागीचों की उपयुक्त फेंसिंग की जाएगी। ज़मीन पर कांटेदार बाढ़ जबकि ऊपर से सौर फेंन्सिग करने का प्रावधान किया गया है।
बागवानी मंत्री ने कहा कि दोनों परियोजनाओं की डीपीआर एशियन विकास बैंक के सहयोग से निर्धारित मानदण्डों के अनुरूप शीघ्र तैयार करने के प्रयास किए जाएंगे और इसके लिए राज्य के दूसरे विभागों से भी तकनीकी विशेषज्ञों की सेवाएं ली जाएंगी।