
सूर्य का मकर राशि में प्रवेश मकर संक्रान्ति रुप में जाना जाता है
मकर संक्रांति के दिन सुबह के समय सूर्य पूजा का कुछ इस तरह का विधान है, की आज सूर्यदेव को अर्घ्य देकर स्नान, दान, पाठ और पूजन का विशेष महत्व है। कहा जाता है की जो इंसान आज के दिन पूरी श्रद्धा से सूर्य भगवान की पूजा करता है उसे अक्षय पुण्यों का लाभ सिर्फ एक पूजा कर के मिल जाता है। वहीं जो लोग विधान पूर्वक सूर्य देव का पूजन नहीं कर सकते वो शिव प्रोक्त सूर्याष्टक स्त्रोत और सूर्य स्तुति का पाठ करके अक्षय पुण्यों का लाभ प्राप्त कर सकते हैं और अपने सभी मनोरथों को भी पूरा किया जा सकता है। ऐसा ऐसा पर्व है जिसका निर्धारण सूर्य की गति के अनुसार होता है। संक्रांति की शुरुवात उस वक्त होती है जब पौष मास में जब सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं। इस त्योहार के प्रति लोगो में बड़ी आस्था है।
सूर्य का मकर राशि में प्रवेश मकर संक्रान्ति रुप में जाना जाता है। 14 जनवरी 2017 के दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेंगे। उत्तर भारत में यह पर्व ‘मकर सक्रान्ति के नाम से और गुजरात में ‘उत्तरायण’ नाम से जाना जाता है। मकर संक्रान्ति को पंजाब में लोहडी पर्व, उतराखंड में उतरायणी, गुजरात में उत्तरायण, केरल में पोंगल, गढवाल में खिचडी संक्रान्ति के नाम से मनाया जाता है। मकर संक्रान्ति के शुभ समय पर हरिद्वार, काशी आदि तीर्थों पर स्नानादि का विशेष महत्व माना गया है। इस दिन सूर्य देव की पूजा-उपासना भी की जाती है। शास्त्रीय सिद्धांतानुसार सूर्य पूजा करते समय श्वेतार्क तथा रक्त रंग के पुष्पों का विशेष महत्व है। इस दिन सूर्य की पूजा करने के साथ साथ सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए।
मकर संक्रान्ति के दिन दान करने का महत्व अन्य दिनों की तुलना में बढ जाता है। इस दिन व्यक्ति को यथासंभव किसी गरीब को अन्नदान, तिल व गुड का दान करना चाहिए। तिल या फिर तिल से बने लड्डू या फिर तिल के अन्य खाद्ध पदार्थ भी दान करना शुभ रहता है। धर्म शास्त्रों के अनुसार कोई भी धर्म कार्य तभी फल देता है, जब वह पूर्ण आस्था व विश्वास के साथ किया जाता है। जितना सहजता से दान कर सकते हैं, उतना दान अवश्य करना चाहिए। इस दिन तिल का सेवन और साथ ही दान करना शुभ होता है। तिल का उबटन, तिल के तेल का प्रयोग, तिल मिश्रित जल से स्नान, तिल मिश्रित जल का पान, तिल- हवन, तिल की वस्तुओं का सेवन व दान करना व्यक्ति के पापों में कमी करता है।
मकर-संक्रान्ति के दिन देव भी धरती पर अवतरित होते हैं, आत्मा को मोक्ष प्राप्त होता है, अंधकार का नाश व प्रकाश का आगमन होता है. इस दिन पुण्य, दान, जप तथा

सूर्यदेव को अर्घ्य देकर स्नान, दान, पाठ और पूजन का विशेष महत्व
धार्मिक अनुष्ठानों का अनन्य महत्व है। इस दिन गंगा स्नान व सूर्योपासना पश्चात गुड़, चावल और तिल का दान श्रेष्ठ माना गया है।
संक्रांति का शुभ मुहूर्त इस प्रकार हैं।
- मकर संक्रांति के दिन सुबह के 7 बजकर 50 मिनट से लेकर दोपहर 06 बजकर 08 मिनट तक का है।
- मकर संक्रांति के दिन सुबह 7.14 से लेकर शाम 4.26 तक प्रीति संयोग बन रहा है।
- शनिवार के दिन मकर संक्रांति का होना एक दुर्लभ संयोग है।
- मकर संक्रांति के दिन उड़द दाल में खिचड़ी बनाकर दान करें और स्वयं भी भोजन करें।