सोलन: नौणी विश्वविद्यालय ने मनाया 41वाँ स्थापना दिवस
सोलन: नौणी विश्वविद्यालय ने मनाया 41वाँ स्थापना दिवस
पहाड़ी कृषि क्षेत्र के लिए नवाचार, विविधीकरण और भविष्य उन्मुख समाधानों पर जोर
सोलन:डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी ने आज अपना 41वाँ स्थापना दिवस नवाचार, फसल विविधीकरण और जलवायु-सहिष्णु तकनीकों के माध्यम से पहाड़ी बागवानी के भविष्य को आकार देने के संकल्प के साथ मनाया। कार्यक्रम का आयोजन डॉ. एल.एस. नेगी सभागार में किया गया, जिसमें कुलपति प्रो. राजेश्वर सिंह चंदेल मुख्य अतिथि रहे। प्रसिद्ध शिक्षाविद्, आईआईटी कानपुर के पूर्व विभागाध्यक्ष और सत्यानंद स्टोक्स के पौत्र डॉ. विजय कुमार स्टोक्स कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि रहे और उन्होंने मुख्य वक्तव्य प्रस्तुत किया।
कुलसचिव सिद्धार्थ आचार्य ने सभी विशिष्ट अतिथियों का स्वागत किया और विश्वविद्यालय की समृद्ध विरासत पर प्रकाश डाला, जिसकी नींव 1962 में सोलन में स्थापित कृषि महाविद्यालय से जुड़ी है। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय ने शिक्षा, अनुसंधान और विस्तार गतिविधियों के माध्यम से पहाड़ी किसानों को सशक्त बनाने के अपने उद्देश्य को निरंतर निभाया है।
अपने संबोधन में प्रो. चंदेल ने डॉ. यशवंत सिंह परमार की दूरदर्शी सोच को नमन किया, जिन्होंने हिमाचल प्रदेश की विविध कृषि-जलवायु परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए विशेषीकृत कृषि अनुसंधान संस्थानों की स्थापना का सपना देखा था। उन्होंने यह भी कहा कि एशिया के पहले औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय की स्थापना ने देश में ऐसे अन्य संस्थानों के निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया।
विश्वविद्यालय की यात्रा पर प्रकाश डालते हुए प्रो. चंदेल ने कहा कि वैज्ञानिकों, कर्मचारियों और छात्रों के सामूहिक प्रयासों ने हिमाचल प्रदेश को बागवानी और वानिकी के क्षेत्र में अग्रणी राज्य के रूप में स्थापित किया है। किसानों के निरंतर सहयोग की सराहना करते हुए उन्होंने किसान–वैज्ञानिक संवाद बढ़ाने, फलों के विविधीकरण को प्रोत्साहित करने और किसानों के लिए किफायती, जलवायु-सहिष्णु तकनीकों के विकास पर जोर दिया।
मुख्य वक्तव्य देते हुए डॉ. विजय स्टोक्स ने सेवानिवृत्ति के बाद एक व्यावहारिक किसान बनने की अपनी प्रेरक यात्रा साझा की। ऐतिहासिक हार्मनी हॉल ऑर्चर्ड्स—जिसे मूल रूप से सैमुअल स्टोक्स ने लगाया था—में किए गए पुनरोद्धार कार्य के अनुभवों और वैज्ञानिक परिणामों को उन्होंने प्रस्तुत किया। युवा शिक्षकों और कर्मचारियों को संबोधित करते हुए उन्होंने “आउट ऑफ द बॉक्स” सोचने के लिए प्रेरित किया और आईआईटी कानपुर के अपने अनुभवों के रोचक प्रसंग साझा किए। उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बढ़ते प्रभावों के प्रति सावधान करते हुए अनुकूल शिक्षा की आवश्यकता पर भी बल दिया।
कार्यक्रम के दौरान विश्वविद्यालय ने पाँच प्रगतिशील किसानों को उनकी उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिए सम्मानित किया:
कर्नल प्रकाश चंद राणा (कांगड़ा) – हल्दी, मक्का-बीन्स, पोल्ट्री, मत्स्यपालन और मधुमक्खी पालन को एकीकृत करने वाला मॉडल
आशीष सिंह राणा (ज्वाली) – ड्रैगन फ्रूट उत्पादन और प्राकृतिक खेती
अनूप भलैक (कोटगढ़) – स्टोन फ्रूट उत्पादन में उत्कृष्ट कार्य
सनी चौहान (रोहड़ू) – मधुमक्खी पालन और मूल्य संवर्धन
ओम प्रकाश (दिलमन) – प्राकृतिक खेती तथा किसान–विद्यार्थी प्रशिक्षण
विश्वविद्यालय ने विभिन्न श्रेणियों में उत्कृष्ट कर्मचारियों को भी सम्मानित किया। शिक्षण श्रेणी: डॉ. सुभाष चंद वर्मा, डॉ. नवीन शर्मा गैर शिक्षक: राजीव शर्मा, राकेश महेव
तकनीकी: गनदेव ठाकुर, अशोक वर्मा
सहायक स्टाफ: तारा चंद, मोहन लाल
संबद्ध स्टाफ: सुचेत अत्री और विनोद शर्मा
इसके अतिरिक्त, स्वच्छता सेवाओं में उत्कृष्ट कार्य के लिए मीरा शर्मा और ओम प्रकाश को भी सम्मानित किया गया।
दिन के कार्यक्रम में सौहार्द बढ़ाने के उद्देश्य से शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों के बीच एक मित्रतापूर्ण वालिबॉल मैच भी आयोजित किया गया जिसे एक रोमांचक मुकाबले में गैर-शिक्षण कर्मचारियों की टीम ने जीता।
कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त वैज्ञानिकों व कर्मचारियों, सीनेट, अकादमिक, अनुसंधान और विस्तार परिषदों के सदस्यों, प्रगतिशील किसानों, कर्मचारियों और छात्रों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।