सरकार के फैसलों से नाराज़ मेडिकल कॉलेज शिक्षक, दी सामूहिक इस्तीफे की चेतावनी
सरकार के फैसलों से नाराज़ मेडिकल कॉलेज शिक्षक, दी सामूहिक इस्तीफे की चेतावनी
SAMDCOT ने जताया कड़ा विरोध
शिमला : राज्य के मेडिकल और डेंटल कॉलेज शिक्षकों ने सरकार पर भेदभावपूर्ण नीतियां अपनाने का आरोप लगाया है। स्टेट एसोसिएशन ऑफ मेडिकल एंड डेंटल कॉलेज टीचर्स (SAMDCOT) ने सोमवार को जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि सरकार के हालिया फैसले न केवल शिक्षकों के हितों के खिलाफ हैं, बल्कि प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं और चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता को भी प्रभावित कर रहे हैं। संघ ने कहा कि सरकार ने हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग (HPPSC) से चयनित फैकल्टी से नॉन-प्रैक्टिसिंग अलाउंस (NPA) हटाने का फैसला लेकर बड़ा अन्याय किया है। जबकि विभागीय पदोन्नति समिति (DPC) से प्रमोट शिक्षकों को यह सुविधा दी जा रही है। SAMDCOT का कहना है कि इस निर्णय से शिक्षकों के बीच भेदभाव पैदा हो रहा है और प्रतिभाशाली डॉक्टर प्रदेश छोड़कर दूसरे संस्थानों की ओर जा रहे हैं।
संघ ने यह भी कहा कि सरकार द्वारा पोस्टग्रेजुएट मेडिकल ऑफिसर्स को 36,000 मासिक वेतन पर नियुक्त करना योग्य डॉक्टरों का अपमान है और इससे युवा डॉक्टर सरकारी सेवा से विमुख होंगे।
KNH का गायनी विभागIGMC में शिफ्ट करने का विरोध
SAMDCOT ने कमला नेहरू अस्पताल (KNH) के गायनी विभाग को IGMC में स्थानांतरित करने के प्रस्ताव को “अवैज्ञानिक और अव्यवहारिक” बताया है। संघ ने कहा कि KNH में पहले से ही 275 बिस्तर, चार ऑपरेशन थिएटर, 24 घंटे आपातकालीन OT, लेबर रूम, नवजात शिशु इकाई (NICU) और आईयूआई लैब सहित बांझपन उपचार केंद्र जैसी सुविधाएं मौजूद हैं। संघ के अनुसार गायनी विंग के स्थानांतरण से मरीजों की देखभाल और पीजी छात्रों की ट्रेनिंग पर गंभीर असर पड़ेगा।
संघ ने यह भी आरोप लगाया कि विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में प्रिंसिपल स्तर की नियुक्तियों और एक्सटेंशन में पारदर्शिता नहीं बरती जा रही है। सीनियोरिटी की अनदेखी और कुछ व्यक्तियों को मनमाने ढंग से पद विस्तार दिए जाने से वरिष्ठ शिक्षकों का मनोबल टूट रहा है।
संघ की सरकार से तीन प्रमुख मांगें हैं:-
सभी शिक्षकों को, चाहे वे किसी भी प्रक्रिया से नियुक्त हों, NPA तुरंत बहाल किया जाए।
KNH के गायनी विंग को IGMC में शिफ्ट करने का निर्णय वापस लिया जाए और KNH को एक स्वायत्त मदर एंड चाइल्ड केयर सेंटर के रूप में विकसित किया जाए।
प्रमोशन और प्रशासनिक नियुक्तियों में पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए।
SAMDCOT ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने उनकी मांगों को गंभीरता से नहीं लिया तो संगठन सामूहिक इस्तीफे, कानूनी कार्रवाई और आंदोलन जैसे कदम उठाने पर मजबूर होगा।