औषधीय एवं वानिकी पौधों की खेती पर किसानों को मिली नई दिशा, केवीके शिमला में किसान मेला आयोजित
औषधीय एवं वानिकी पौधों की खेती पर किसानों को मिली नई दिशा, केवीके शिमला में किसान मेला आयोजित
215 किसानों ने लिया भाग
प्राकृतिक खेती अब विकल्प नहीं बल्कि समय की आवश्यकता : मोहन लाल बरागटा
नौणी विश्वविद्यालय के निदेशक अनुसंधान डॉ. संजीव चौहान ने किसान-वैज्ञानिक सहयोग और जलवायु अनुकूल खेती की आवश्यकता पर दिया बल
शिमला : डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के अंतर्गत कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) शिमला में हिमालयन फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट (एच.एफ.आर.आई.), शिमला के सहयोग से किसान मेले का आयोजन किया गया। मेले के मुख्य अतिथि रोहड़ू के विधायक मोहन लाल बरागटा और विशिष्ट अतिथि पद्मश्री पुरस्कार विजेता नेक राम शर्मा रहे। इस मेले का उद्देश्य किसानों को औषधीय एवं वानिकी पौधों की खेती के बारे में जागरूक करना था, जो पर्यावरण, स्वास्थ्य और आर्थिक दृष्टि से अत्यंत लाभकारी हैं। शिमला जिले के विभिन्न क्षेत्रों से 215 से अधिक किसानों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया। मेले में बागवानी विभाग, एच.एफ.आर.आई. और स्वयं सहायता समूहों द्वारा विभिन्न प्रदर्शनियां लगाई गईं। इस अवसर पर रोहड़ू एफ.ए.सी. अध्यक्ष सोहन लाल चौहान सहित केवीके शिमला के वैज्ञानिक भी उपस्थित रहे।
निदेशक विस्तार शिक्षा डॉ. इंदर देव ने अपने स्वागत भाषण विश्वविद्यालय और कृषि विज्ञान केंद्र की विस्तार गतिविधियों की जानकारी दी और किसानों को विश्वविद्यालय के अनुसंधान एवं कृषि विज्ञान केंद्रों के साथ नियमित संपर्क बनाए रखने के लिए प्रेरित किया।
मुख्य अतिथि मोहन लाल बरागटा ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि प्राकृतिक खेती अब विकल्प नहीं बल्कि समय की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार प्राकृतिक खेती की उपज को उचित मूल्य प्रदान कर रही है ताकि किसान बड़े स्तर पर इसे अपना सकें। उन्होंने किसानों को विश्वविद्यालय द्वारा विभिन्न फसलों के लिए दी गई सिफारिशों पर अमल करने का सुझाव दिया ताकि फसलों को होने वाले नुकसान को कम से कम किया जा सके। विशिष्ट अतिथि पद्मश्री नेक राम शर्मा ने प्राकृतिक खेती और श्रीअन्न (मिलेट्स) के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने दैनिक आहार में मिलेट्स के सेवन से मानव स्वास्थ्य पर पड़ने वाले सकारात्मक प्रभावों के बारे में बताया और किसानों से अपनी भावी पीढ़ी को प्राकृतिक खेती अपनाने पर जोर दिया।
एच.एफ.आर.आई. के निदेशक डॉ. संदीप शर्मा ने औषधीय पौधों के महत्व पर विस्तृत जानकारी दी और किसानों को औषधीय पौधों की खेती से फसल विविधीकरण अपनाने और समृद्ध वन संपदा के संरक्षण के लिए प्रेरित किया। उन्होंने किसानों से कहा कि ये भविष्य हैं, और भविष्य में अच्छा मुनाफा कमाने के लिए किसानों को वर्तमान में ही इनकी खेती करनी चाहिए।
नौणी विश्वविद्यालय के निदेशक अनुसंधान डॉ. संजीव चौहान ने किसान-वैज्ञानिक सहयोग और जलवायु अनुकूल खेती की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने वैज्ञानिकों से समय-समय पर किसानों के पास जाकर उनकी समस्याओं का समाधान करने पर भी ज़ोर दिया। उन्होंने बताया कि इस वर्ष कई बगीचों में पत्ती संबंधित बीमारियां आई लेकिन जिन किसानों ने विश्वविद्यालय की सिफारिशों का पालन किया था उनके बागीचों में पत्ते बिल्कुल सही रहे।
इस अवसर पर डॉ. अश्विनी कटवाल ने रासायनिक खेती के दुष्प्रभावों और भविष्य की चुनौतियों पर चर्चा की। कार्यक्रम का समापन केवीके शिमला की प्रभारी डॉ. उषा शर्मा के धन्यवाद प्रस्ताव के साथ हुआ। उन्होंने कहा कि किसानों की जागरूकता बढ़ाने के लिए भविष्य में भी इस तरह के कार्यक्रम नियमित रूप से आयोजित किए जाएंगे।