Himachal government announces new pay scales for its employees, Period of contractual employees reduced from three years to two years

अनाथ बच्चों का भविष्य संवार रही प्रदेश सरकार, प्रतिष्ठित स्कूलों में करवाया दाखिला

इन बच्चों को रोजगारपरक उच्च शिक्षा के लिए दी जा रही आर्थिक सहायता, ताकि आत्मनिर्भर बन सके

शिमला : मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू के नेतृत्व में वर्तमान प्रदेश सरकार ने अनाथ बच्चों के उज्ज्वल भविष्य को संवारने के लिए ठोस कदम उठाए हैं। प्रदेश सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि अनाथ बच्चे भी समाज के अन्य बच्चों की तरह गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त कर सकें। इसी उद्देश्य से प्रदेश सरकार ने उन्हें राज्य के नामी शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश दिलाने की पहल की है। इस पहल के माध्यम से यह बच्चे, जिन्होंने कम उम्र में अपने माता-पिता को खो दिया और कभी अच्छी शिक्षा का सपना भी नहीं देख पाए थे, अब प्रतिष्ठित विद्यालयों में पढ़कर अपने सपनों को साकार करने का अवसर पा रहे हैं।
प्रदेश सरकार के एक प्रवक्ता ने आज यहां बताया कि मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू के प्रयासों से अब अनाथ बच्चों को प्रदेश के नामी स्कूलों में दाखिला दिलाया जा रहा है। सोलन स्थित पाइनग्रोव पब्लिक स्कूल में चार, शिमला के तारा हॉल स्कूल में तीन और दयानन्द पब्लिक स्कूल में आठ अनाथ बच्चों का दाखिला करवाया गया है। इस पहल का उददेश्य इन बच्चों को शिक्षा, खेलकूद और सह-पाठयक्रम गतिविधियों में अन्य विद्यार्थियों के समान अवसर प्रदान करना है, ताकि वे स्वयं को वंचित न समझें।
प्रवक्ता ने कहा कि सरकार बेहतर शैक्षणिक अवसर उपलब्ध करवाने के लिए अन्य प्रतिष्ठित विद्यालयों से भी संपर्क स्थापित कर रही है। इन बच्चों को रोजगारपरक उच्च शिक्षा के लिए आर्थिक सहायता भी दी जा रही है ताकि वे आत्मनिर्भर बन सके। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू की दूरदर्शी नेतृत्व के परिणामस्वरूप प्रदेश सरकार ने अनाथ बच्चों के लिए ‘मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना’ भी शुरू की है। यह योजना प्रदेश के अनाथ बच्चों को शिक्षा सहित अन्य सुविधाएं सुनिश्चित करने के उद्देश्य से शुरू की गई है।
प्रवक्ता ने कहा कि मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू के नेतृत्व में वर्तमान सरकार ने पदभार संभालने के उपरांत प्रदेश के सभी अनाथ बच्चों को ‘चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट’ का दर्जा प्रदान किया है। इसके तहत उनकी देखभाल, सुरक्षा और शिक्षा की जिम्मेदारी 27 वर्ष की आयु तक राज्य सरकार वहन करेगी।  आईटीआई, पॉलिटेक्निक, इंजीनियरिंग और फार्मेसी कॉलेजों सहित सभी सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त और निजी तकनीकी शिक्षा संस्थानों में अनाथ बच्चों के लिए प्रत्येक पाठ्यक्रम में एक सीट आरक्षित की गई है, जिससे उन्हें अन्य विद्यार्थियों के समान व्यावसायिक प्रशिक्षण प्राप्त करने के अवसर प्राप्त हो सकेंगे।

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