हिमाचल: प्रदेश विधानसभा मॉनसून सत्र…

हिमाचल: प्रदेश में प्राकृतिक आपदा प्रभावितों के मुद्दे पर मंगलवार को राज्य विधानसभा के मॉनसून सत्र में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोंक-झोंक हुई। नियम 102 के तहत पारित संकल्प पर चर्चा के दूसरे दिन सत्तापक्ष और विपक्ष के सदस्यों ने नारेबाजी की, जब कांग्रेस विधायक सुंदर ठाकुर ने केदारनाथ और भुज त्रासदी में तत्कालीन यूपीए सरकार के आंकड़े पेश करते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने अभी तक हिमाचल की कोई मदद नही की है। इस दौरान पक्ष-विपक्ष में कुछ देर हंगामा हुआ।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार प्राकृतिक आपदा प्रभावितों को राहत पैकेज देने की घोषणा कर चुकी है और इसके लिए हर तरह की कटौती की जाएगी। सरकार के पास सीमित बजट है, ऋण भी एक सीमा तक ही ले सकते हैं। अगर विशेष पैकेज के लिए जरूरत पड़ी तो  सरकार विधायक निधि में कटौती करेगी। उन्होंने कहा कि विपक्ष राष्ट्रीय आपदा शब्द ही नहीं निकाल रहा।

विधानसभा सदन में प्रश्नकाल के दौरान विधायक केएल ठाकुर के करुणामूलक नौकरियों के सवाल का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्व सरकार ने इस मामले पर कुछ काम नहीं किया। प्रदेश सरकार ने इस मामले पर विचार करने के लिए कमेटी बनाई है। कमेटी के साथ दो बार चर्चा हो चुकी है। जल्द कार्य योजना सामने लाई जाएगी। न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता के हिसाब से सरकार करुणामूलक नौकरियां देगी।

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार पनविद्युत परियोजनाओं में प्रदेश के हित नहीं बिकने देगी।

विभिन्न सरकारी संस्थानों को बंद करने के मुददे पर हंगामा

वहीं  नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि यह सरकार दस महीने में प्रदेश को दस साल पीछे कर दिया। जनता की मांग पर जन प्रतिनिधि के निवेदन पर संस्थान खोले गये। मुख्यमंत्री ने बिना किसी कारण से सभी संस्थानों को बंद कर दिया। 1050 से ज़्यादा कार्यरत संस्थानों को एक दिन में डिनोटिफ़ाई कर दिया गया। आज तक प्रदेश के किसी मुख्यमंत्री ने ऐसा नहीं किया। ऐसा करके सिर्फ़ लोगों को दुःखी करने का काम किया गया। 

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि एशिया का सबसे बड़ा फार्मा हब बद्दी-नालागढ़ है, लेकिन वहां पर बीडीओ का ऑफिस नहीं था, एसडीएम का ऑफिस नहीं था। जन प्रतिनिधियों और लोगों की मांग पर हमने बीडीओ और एसडीएम का ऑफिस खोला और सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सत्ता में आते ही उसे डिनोटीफाई कर दिया। इसके बाद जब बद्दी के विधायक और सीपीएस ने कहा कि बद्दी में बीडीओ और एसडीएम के ऑफिस नहीं हैं। मुख्यमंत्री ने घोषणा कर दी कि बद्दी में बीडीओ और एसडीएम के दफ़्तर खुलेंगे। मुख्यमंत्री ने अपने पद का मज़ाक़ बनाया। जब संस्थान को खोलना था तो उसे बंद क्यों कर दिया गया। 

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार यह बताए कि जनहित के लिए खोले गये संस्थान बंद क्यों किए? क्या इसी व्यवस्था परिवर्तन की बात सरकार कर रही थी। उन्होंने कहा कि हमारे पहले की सरकार ने आचार संहिता लगते लगते संस्थानों को खोला। बिना किसी पद और बजट के प्रावधान के ही संस्थान खोल दिये। हमने उन संस्थानों को बंद नहीं किया। उसे चलाने के रास्ते निकाले। उन संस्थानों को चलाया। इस सरकार में मुख्यमंत्री ने आठ-आठ महीनें के कार्यरत संस्थाओं को बंद कर दिया। इस तरह बदले की भावना से काम करने वाली सरकार आज तक प्रदेश में नहीं आई। 

अगर नहीं चाहिए संस्थान तो विधायक लिख कर दें

 नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि हमारे द्वारा खोले गये संस्थान अगर लोगों की मांग पर नहीं थे तो कांग्रेस के विधायक यह लिख कर दे दें कि उनके विधानसभा क्षेत्र में खोले गये संस्थान की आवश्यकता नहीं हैं। चाहे वह स्कूल हों, कॉलेज हों, पटवार सर्किल हो, जल शक्ति विभाग के डिवीज़नल या सर्किल ऑफिस हों, पीडब्ल्यूडी या बिजली विभाग के कार्यालय हों या बी.डी.ओ. और एस.डी.एम. दफ़्तर। यह सभी संस्थान ग़लत खोले गये हैं। 

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