अधिवक्ता – रोहन सिंह चौहान
आजकल हर व्यक्ति को यात्रा करने के लिए निजी या सार्वजनिक वाहन का प्रयोग करना पड़ता है। वाहन के दुर्घटनाग्रस्त होने पर चोट आना भी संभव है। कई बार वाहन के दुर्घटनाग्रस्त होने पर यात्रियों को केवल गंभीर चोटें ही नहीं आती, बल्कि मृत्यु भी हो जाती है। हालाँकि इसमें वाहन में सवार यात्रियों का कोई दोष नहीं होता लेकिन कई बार चालक की लापरवाही या गलती का नुक्सान यात्रियों को ही उठाना पड़ता है। वाहन दुर्घटनाग्रस्त में हुए नुक्सान की क्षतिपूर्ति के लिए व्यक्ति मोटर दुर्घटना प्रतिकार विधि 1988 के अंतर्गत चालक, वाहन मालिक और बीमा कंपनी के विरुद्ध न्यायालय में पिटीशन दायर कर सकता है। इसके आलावा अगर कोई व्यक्ति वाहन में सवार न हो और सड़क के बाई ओर चल रहा हो और वाहन चालक की लापरवाही से उसे चोट लग जाए तो सभी नुक्सान की भरपाई भी इसी अधिनियम के अंतर्गत होगी। अत: वाहन दुर्घटना का मुख्य अभिप्राय हुआ की वाहन चालक की लापरवाही से वाहन दुर्घटनाग्रस्त करके किसी व्यक्ति को नुक्सान पहुँचाना। इस बारे में क्या आधिनियम व अधिकार हैं हमारे। ये जानने के लिए हम “अधिवक्ता रोहन सिंह चौहान” द्वारा आपको विस्तार पूर्वक जानकारी देने जा रहे हैं।
सबसे पहले तो आवश्यक है कि आपको पता हो कि कभी अगर वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो जाए तो किस प्रकार की सावधानियां बरती जाए। अगर आप किसी पब्लिक वाहन में किराया देकर सफ़र कर रहें है तो उस वाहन का टिकेट अपने पास ज़रूर रखें। वाहन के दुर्घटनाग्रस्त होने पर उसकी जानकारी नजदीक के पुलिस स्टेशन में दें और यदि मोटर दुर्घटना से चोटें आई हैं तो अपनी चोटों का डॉक्टर से मुआयना करवाएं और रिपोर्ट अपने पास रखें। इसके अतिरिक्त चालक का नाम पता, गाड़ी का नंबर और गाड़ी में सफ़र कर रहे व्यक्तियों के बारे में जानकारी होना आपके लिए आवश्यक है। इससे आपको न्यायालय में प्रतिकार प्राप्त करने में आसानी होगी। अगर सड़क पर पैदल चलते हुए दुर्घटना हो तो गाड़ी का नंबर नोट कर लें और नजदीकी पुलिस स्टेशन में तुरंत रिपोर्ट दर्ज करवाएं। अगर मोटर दुर्घटना में पैदल चलने वाले व्यक्तिओ की मृत्यु हो जाती है तो तो आस पास खड़े जिस भी व्यक्ति द्वारा एक्सीडेंट देखा गया है वो व्यक्ति नजदीकी पुलिस स्टेशन में सबसे पहले सूचना रिपोर्ट दर्ज करवा सकता है।
न्यायालय में वाहन दुर्घटना से हुए नुक्सान की क्षतिपूर्ति के लिए पिटीशन दायर करने की प्रक्रिया :
इस संभंध में मोटर दुर्घटना प्रतिकार अधिनियम की धारा 166 में पिटीशन दायर की जाती है। पिटीशन में दुर्घटना से सम्बंधित सभी तथ्यों को भरकर न्यायालय में दायर करें। इस पिटीशन पर 10 /- रूपये की कोर्ट फीस स्टाम्प लगेगी।
न्यायालय में प्रतिकार प्राप्त करने के लिए किन किन व्यक्तियों के विरुद्ध पिटीशन दायर कर सकते हैं –
मोटर दुर्घटना होने पर आप केवल उन्ही व्यक्तियों के विरुद्ध पिटीशन दायर कर सकतें हैं जो दुर्घटना से सम्बंधित हैं। इसमें मुख्य ये तीन आते हैं:
वाहन चालक।
दुर्घटनाग्रस्त मोटर वाहन का मालिक।
बीमा कंपनी जिससे मोटर को बीमित किया गया है।
हर मोटर वहां का बीमा करना आवश्यक होता है, इसलिए मोटर वाहन से जो नुक्सान होता है उसकी भरपाई का दयित्व बीमा कंपनी का ही होता है। इसलिए क्षतिपूर्ति सम्बन्धी आदेश जो न्यायालय पारित करता है उसे आप बीमा कंपनी से ही आसानी से प्राप्त कर सकते हैं।
पिटीशन में नुक्सान की भरपाई और लिए कार्यवाही करने के लिए आपके पास दुर्घटना से सम्बंधित सभी मुख्य दस्तावेज़ होने जरूरी
पिटीशन दायर करने से पहले आवश्यक दस्तावेज़ जो आपके पास होने चहिये:
न्यायालय में पिटीशन दायर करने में आपको कोई परेशानी उठानी नहीं पड़ेगी, लेकिन पिटीशन में नुक्सान की भरपाई और लिए कार्यवाही करने के लिए आपके पास दुर्घटना से सम्बंधित सभी मुख्य दस्तावेज़ होने जरूरी हैं। ये मुख्य दस्तावेज़ प्रथम सूचना रिपोर्ट, चोट आने पर डॉक्टर मुआयना की रिपोर्ट और यदि मृत्यु हो गयी है तो पोस्टमार्टम की रिपोर्ट। हालाँकि कुछ दस्तावेज़ ऐसे भी हैं जोकि केवल वाहन मालिक के पास से ही प्राप्त होंगे जैसे रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट, फिटनेस सर्टिफिकेट, दुर्घटनाग्रस्त वाहन की बीमा पालिसी और वाहन चालक का ड्राइविंग लाइसेंस। इन्हें आप पिटीशन दायर करने से पहले प्राप्त करें। अगर व्यक्ति इन दस्तावेजों को देने से इनकार करता है तो आप इन्हें आर.टी .ओ. ऑफिस से प्राप्त कर सकते हैं।
दुर्घटना हुई जगह पर उस क्षेत्र के न्यायालय में पिटीशन दायर करना आवश्यक नहीं :
अगर कोई व्यक्ति हिमाचल का रहने वाला है और दिल्ली में किसी वाहन से उसकी दुर्घटना हो गयी है तो ऐसा आवश्यक नहीं है की दिल्ली के न्यायालय में ही पिटीशन दायर हो। व्यक्ति जिस स्थान पर रहता है, वह उस स्थान पर वाहन पिटीशन दायर कर सकता है। अधिनियम के धरा 166(2) में इसे इस प्रकार से उपबंधित किया गया है की दावाकर्ता अपने आवेदन को जिस स्थान पर दुर्घटना हुई है उसकी अधिकारिता रखने वाला दावा न्यायाधिकरण या जहां पर दावाकर्ता रहता या निवास करता है या व्यापार संचालित करता है वहां पर प्रतिराक्षार्थी पिटीशन दाखिल कर सकता है।
वाहन दुर्घटना से मृतक के परिवार वालों को रु.50,000 /-की अंतरिम राशि तुरंत पाने का अधिकार
अधिनियम की धारा 140 के अंतर्गत अगर किसी व्यक्ति की वाहन दुर्घटना में मृत्यु हो जाती है तो मृतक के परिवार वालों को अंतरिम क्षतिपूर्ति के रूप में 50 हज़ार रूपये पाने का अधिकार होता है। बाकी धनराशी मुख्य पिटीशन के निस्तारण पर प्राप्त की जा सकती है।
वाहन दुर्घटना में स्थायी निर्योग्यता होने पर 25 हज़ार रूपये की धनराशी अंतरिम क्षतिपूर्ति के रूप में प्राप्त की जा सकती है :
अधिनियम की धारा 140 में ऐसे व्यक्ति को जिसे दुर्घटना के वजह से स्थायी निर्योग्यता आई है, वह व्यक्ति 25 हज़ार रूपये की राशि अंतरिम क्षतिपूर्ति के रूप में प्राप्त करने का अधिकारी होता है। इसके लिए व्यक्ति को डॉक्टर की रिपोर्ट दिखानी होगी जिससे ये सिद्ध हो जाये की दुर्घटना से उसे वास्तव में स्थायाई निर्योग्यता पहुँचाने वाली चोट आई है। वाहन वहां अधिनियम 1988 की धारा 142 के स्थ्यायाई निर्योग्यता में निम्नलिखित चोटों का उल्लेख किया गया है…..
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आखों दृष्टि या किसी एक आँख या कान की श्रवण शक्ति का क्षीण हो गयी हो या शरीर का कोई अंग क्षीण हो गया हो।
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किसी अंग या जोड़ों के किसी भाग में उसकी क्षमताओं में स्थायी कमी आई हो।
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सिर या चेहरे का पर गंभीर चोट हो।
केवल तीसरे पार्टी को ही दुर्घटना से हुए नुक्सान की भरपाई करेगी बीमा कंपनी:
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तीसरे पार्टी से अभिप्राय: ऐसे व्यक्ति से होता है जो वाहन में सवार यात्री या सड़क में चलने वाला व्यक्ति या ऐसे गाड़ी
वाहन दुर्घटना मुआवजा व नुक्सान की क्षतिपूर्ति के लिए पिटीशन दायर की प्रक्रिया
पर सवार सभी व्यक्ति जिनकी बिना गलती के वाहन चालक ने गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त की। हालाँकि अगर वाहन के दुर्घटनाग्रस्त होने पर उसके चालक को चोटें आतीं हैं या उसकी मृत्यु हो जाती है तो बीमा कम्पनी का उस नुक्सान को पूरा करने का दायित्व नहीं होता।
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दुर्घटनाग्रस्त वाहन चालक की क्षतिपूर्ति के लिए पिटीशन :
क्योंकि बीमा कंपनी तृतीय पक्षकार को हुए नुक्सान की ही भरपाई करती है इसलिए वाहन चालक अपनी गलती से हुए नुकसान के लिए बीमा कंपनी के पास नहीं जा सकता। इन मामलों में क्षतिपूर्ति हेतु करमकार प्रतिकर अधिनियम 1923 के अंतर्गत सक्षम न्यायालय में पिटीशन दे सकतें हैं। जबकि वाहन अधिनियम 1988 में भी ये व्यवस्था कर दी गई है कि व्यक्ति मोटर दुर्घटना दावा न्यायधिकरण में पिटीशन देकर वाहन मालिक से क्षतिपूर्ति के रूप में प्रतिकार प्राप्त कर सकता है।
दुर्घटना के बाद पिटीशन दायर करने का समय:
इस सम्बन्ध में पहले ये व्यवस्था थी, कि दुर्घटना होने के एक वर्ष के अंदर ही आप न्यायालय में पिटीशन फाइल कर दें, लेकिन अब इसको समाप्त करते हुए दावा न्यायाधिकरण में पिटीशन को घटना करीत होने के एक वर्ष के अंदर फाइल करना ज़रूरी नहीं है। अगर आपके पास दावा फाइल करने में विलम्ब का संतोषजनक स्पष्टीकरण है तो पिटीशन को एक वर्ष की अवधि समाप्त होने के बाद भी फाइल कर सकतें हैं। हालाँकि प्रत्येक व्यक्ति का यही प्रयास रहना चहिये कि वो प्रतिकार दावा शीघ्र से शीघ्र फाइल कर दे।
प्रतिकार निर्धारण करने की प्रक्रिया:
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Feb 22, 2017 - 05:23 PM
दावा Court me pace hone ke baad Court Ki Kya prakriya Hogi step to step Jankari de please