अधिवक्ता – रोहन सिंह चौहान
अक्सर किराएदारों को बेदखली और किराया सम्बन्धी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। हालांकि कानून किरायदारों के पक्ष में ही है लेकिन प्रारम्भिक चरणों में किरायदारों द्वारा आलस/सुस्ती के कारण इन्हें बाद में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। मकान मालिक और किराएदार के बीच के संबंध किराएदारी कानूनों से शासित होते हैं जो कि प्रत्येक राज्य के लिए अलग-अलग हैं। इन कानूनों में प्रावधान हैं कि मकान मालिक कब-कब मकान खाली करवा सकता है। यदि मकान मालिक के पास कानून में वर्णित कारणों में से कोई कारण उपलब्ध है तो वह किरायेदार से मकान खाली करवा सकता है। सामान्य रूप से किराएदार यदि किराएदारी की तमाम शर्तों का पालन करता रहता है और मकान मालिक को स्वयं अथवा अपने परिवार के किसी सदस्य के लिए परिसर की सद्भाविक और युक्तियुक्त आवश्यकता नहीं है तो वह किराएदार से मकान खाली नहीं करवा सकता है। लेकिन ऐसा कोई कानून नहीं है कि किराएदार से मकान मालिक मकान खाली न करवा सकता हो।
जी हाँ इस बार आपको कानून व्यवस्था में “किराएदारी कानून क्या है ” के बारे में शिमला के अधिवक्ता रोहन सिंह चौहान विस्तार से जानकारी देने जा रहे हैं।
सामान्य रूप से निम्न कारणों मकान मालिक मकान खाली कराने का अधिकारी होता है-
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यदि किरायेदार ने पिछले चार से छह माह से किराया अदा नहीं किया हो।
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किरा़येदार ने जानबूझ कर मकान को नुकसान पहुँचाया हो।
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किरायेदार ने मकान में कोई नया निर्माण करवा लिया हो।
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किरायेदार ने मकान मालिक की लिखित स्वीकृति के बिना मकान या उस के किसी भाग का कब्जा किसी अन्य व्यक्ति को सोंप दिया हो।
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यदि किरायेदार मकान मालिक के हक से इन्कार कर दिया हो।
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किरायेदार मकान का उपयोग किराये पर लिये गये उद्देश्य के अलावा अन्य कार्य के लिए कर रहा हो।
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यदि किरायेदार को मकान किराए पर किसी नियोजन के कारण दिया गया हो और किरायेदार का वह नियोजन समाप्त हो गया हो।
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किरायेदार ने अपनी आवश्यकता हेतु मकान का निर्माण कर लिया हो या ऐसे मकान का कब्जा हासिल कर लिया हो।
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किरायेदार ने जिस प्रयोजन के लिए मकान किराये पर लिया हो पिछले छह माह से उस प्रयोजन के लिए काम में न ले रहा हो।
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मकान मालिक को राज्य या स्थानीय निकाय के आदेश के अनुसार या मानव आवास के अनुपयुक्त हो जाने के कारण मकान के पुनर्निर्माण की आवश्यकता हो।
इन कारणों के अलावा कुछ राज्यों में कुछ अन्य कारण भी मकान खाली कराने के लिए मकान मालिक को उपलब्ध हो सकते हैं अथवा कुछ कारण अनुपलब्ध भी हो सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए आपको अपने नगर के किसी वकील से संपर्क करना चाहिए अथवा किराया कानून की पुस्तक लेकर उसका अध्ययन कर लेना चाहिए।
किराया अनुबंध का अधिकार
यदि कोई हो, किराया समझौते जमा राशि, मासिक किराया राशि, रख-रखाव शुल्क और नोटिस की अवधि सहित किरायेदारी के सभी खंड शामिल हैं सुनिश्चित करें।
किराये की प्राप्तियां
सुनिश्चित करें कि आप हर महीने किराये की प्राप्तियां लें जिसमें पानी का बिल, बिजली बिल इत्यादि लिखे हों। अगर भविष्य में कभी कोई विवाद हो तो यह इस बात का सबूत है कि आप समय पर किराया दे रहे हैं।
सम्पति का आम भाग उपयोग करने का अधिकार
सम्पति का आम भाग जैसे खेल का मैदान, पार्किंग, जिम, कॉमन हॉल इत्यादि का उपयोग। अगर इनके उपयोग के लिए अतिरिक्त शुल्क दे रहे हैं तो सुनिशिचत करें कि ये आपके अनुबंध में स्पष्ट लिखा हो।
गैर कानूनी बेदखली
मकान मालिक बिना वैध कारण के आपको घर से नहीं निकाल सकता। ऐसा करने के लिए उसे पहले लिखित नोटिस जारी करना पड़ेगा।
अनुबंध रदद् करने का अधिकार
अगर किरायेदार आवास से खुश नहीं है तो वह समझोते को रदद् कर सकता है। इसके लिए उसे माकन मालिक को सूचित करना होगा और आपसी सहमती के बाद अनुबंध रदद् हो जायेगा। यदि कोई अग्रिम किराया दिया है तो वापस मिलेगा।
किन आधारों पर बेदखली संभव है:
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अगर 15 दिन से अधिक अवधि तक किराया जानबूझकर न दिया हो
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बिना मकान मालिक के लिखित अनुमति के किसी और को घर का कब्ज़ा देना
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घर का उपयोग किसी अन्य कारण के लिए करना जिसका जिक्र अनुबंध में नहीं है।
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ऐसा कार्य करना जिससे सम्पति को नुकसान हो।
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घर का उपयोग किसी भी गैरकानूनी कार्य के लिए करना।
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यदि पड़ोसियों ने लिखित में शिकायत की है।
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यदि मकान मालिक को घर की अपने लिए या अपने परिवार के सदस्य के लिए वास्तव में ज़रुरत है।
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यदि घर बहुत खस्ता हालत में है और उसकी मरम्मत बहुत ज़रूरी है।
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अगर मकान मालिक वास्तव में घर को गिराकर नया घर बनाना चाहता है।
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कई ऐसे मामले सामने आते हैं, जब किरायेदार समय पर रेंट का भुगतान नहीं करता है और मकान खाली करने से भी आनाकानी करता है। ऐसे में मकान मालिक को कोर्ट-कचहरी के चक्कर लगाने पड़ते हैं। इससे आसानी से बचा जा सकता है रेंट एग्रीमेंट की बारीकियां समझकर।
किराए की शर्त
रेंट एग्रीमेंट में किराए संबंधी शर्तों का स्पष्ट विवरण होना चाहिए। किरायेदार कब, कैसे किराया का भुगतान करेगा इसका विवरण एग्रीमेंट में होना चाहिए। एग्रीमेंट में किराएदार रेंट के अलावा और कौन-कौन से दूसरे शुल्कों का भुगतान करेगा इसका भी विवरण होना चाहिए। यदि आप घर का मेंटेनेंस का भी खर्च किराएदार से लेना चाहते हैं तो इसका भी जिक्र रेंट एग्रीमेंट में करें।
रेंटल प्रॉपर्टी का इस्तेमाल
रेंट एग्रीमेंट में किराए पर दिए जा रहे मकान या फ्लैट का इस्तेमाल कैसे होगा, इसका भी विवरण होना चाहिए। यदि मकान को आवासीय इस्तेमाल के लिए दिया जा रहा है तो किराएदार इसमें व्यवसायिक काम शुरू नहीं कर सकता। इसके अलावा मकान में कितने लोग रहेंगे, इसका भी विवरण दें।
किराएदार की जिम्मेदारी
रेंट एग्रीमेंट में किराएदार की जिम्मेदारी का स्पष्ट विवरण डालें। एग्रीमेंट में एक क्लॉज हो कि किराएदार हाउसिंग सोसाइटी के नियमों को मानेगा। मकान को किसी भी प्रकार से नुकसान नहीं पहुंचाएगा। यदि ऐसा पाया जाता है तो इसके लिए किराएदार जिम्मेदार होगा, जिसके लिए उसे भुगतान करना होगा।
रेंट एग्रीमेंट समाप्त होने का समय
रेंट एग्रीमेंट में किराएदार के रहने की अवधि और रेंट खत्म होने की तारीख का विवरण होता है। इसमें साफ लिखा जाए कि रेंटखत्म होने पर किराएदार को किन शर्तों को मानना होगा। समय से पहले रेंटखत्म होने की शर्त भी रखी जा सकती है। इसके लिए नोटिस का समय का भी लिखा होना चाहिए।
मकान मालिक के लिए जरूरी बातें
मकान मालिक रेंट एग्रीमेंट का पंजीकरण जरूर कराएं। यदि किसी भी तरह का विवाद किराएदार से होता है तो आप कोर्ट में प्रस्तुत कर सकते हैं। रेंट पर माकान देते वक्त बिल्डिंग का फोटो भी लें। यदि किराएदार ने बिल्डिंग में किसी भी प्रकार की क्षति पहुंचाई है तो फोटो को सबूत के तौर पर कोर्ट में प्रस्तुत कर जुर्माना वसूल सकते हैं।
कई बार किराएदार मकान मालिक को जानकारी दिए बिना किराएदार रख लेता है। यह गैरकानूनी है। किराएदार को को-टेनेंट रखने का अधिकार नहीं है। ऐसी स्थिति में आप किराएदार को माकान खाली करने या अधिक किराए के लिए कह सकते हैं।
किराएदार का बैकग्राउंड चेक करें
किराए पर मकान देने से पहले किराएदार का बैकग्राउंड चेक करना बहुत जरूरी होता है। मकान मालिक को कई माध्यमों से इसकी जांच करनी चाहिए। यह पता लगाना चाहिए कि संभावित किराएदार को मकान किराया पर दिया जा सकता है या नहीं।
किराएदार का पेशा क्या है, कहां से ताल्लुक रखता है आदि कुछ मुख्य बातों की जानकारी लेकर न सिर्फ किराए से इनकम में इजाफा किया जा सकता है, बल्कि किसी पचड़े में फंसने से भी बचा जा सकता है।