शिमला: शिमला के सांसद वीरेन्द्र कश्यप ने गत दिवस संसद में शून्यकाल में आकाशवाणी व दूरदर्शन केन्द्रों पर पिछले 10 वर्ष से 30 वर्षो से कार्य कर रहे कैजुएल आर्टिस्टों को नियमित करने की सरकार से मांग की। उन्होने संसद में मामला उठाते हुए कहा कि आकाशवाणी व दूरदर्शन केन्द्रों पर पिछले 10 वर्ष से 30 वर्षो से लगातार सेवाकार्य करने वाले कैजुएल आर्टिस्टों (आकस्मिक उद्घोषको/कम्पीयरों) का चयन विधिवत चयन प्रक्रिया के तहत विज्ञापनोपरांत लिखित परीक्षा, साक्षात्कार उत्तीर्ण होने पर किया गया था और ये प्रशिक्षणोंपरांत तथा वाणी प्रमाणपत्र प्रशिक्षण के पश्चात 10 से 30 वर्ष के अनुभव के साथ आकाशवाणी व दूरदर्शन केन्द्रों में सेवा कार्य कर रहे है।
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार ने वर्ष 1978 कैजुएल आर्टिस्टों के नियमतिकरण की नीति बनाई और उक्त नीति के तहत वर्ष 1981 में कैजुएल आर्टिस्टों को कैजुएल जनरल असिस्टेंट, कॉपिस्ट, न्यूज रीडर एवं न्यूज रीडर कम ट्रांसलेटर के संग आकस्मिक उद्घोषक वर्ग को भी नियमितिकरण का लाभ दिया गया। इसी भर्ती नियम के अनुसार ब्।ज् नई दिल्ली ने वर्ष 1992 में आदेश पारित कर विभाग को कैजुएल आर्टिस्टों को नियमितिकरण करने की नीति बनाकर उचित कार्यवाही करने को कहा और विभाग ने वर्ष 1995 में काफी कैजुएल आर्टिस्टों को नियमित कर नियमितिकरण का लाभ दिया। परन्तु आज भी सैकड़ो कैजुएल आर्टिस्ट बचे हुए है। अतः मेरा सरकार से अनुरोध है कि आकाशवाणी व दूरदर्शन केन्द्रों पर पिछले 10 वर्ष या उससे अधिक सेवा करने वाले कैजुएल आर्टिस्टों को नियमित किया जाए।