भारतीय परम्परा, संस्कृति एवं जीवनशैली अपनाएं: राज्यपाल

शिमला: राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने लोगों से भारतीय परम्परा, संस्कृति और जीवनशैली को अपनाने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि भारतीय मान्यता एवं परम्परा में योग का महत्वपूर्ण स्थान है और मौजूदा परिप्रेक्ष्य में योग से जीवन को सुखी और समाज को सही राह दिखाई जा सकती है। वह आज सोलन ज़िले के सुबाथू स्थित ध्यान योग आश्रम एवं आयुर्वेद शोध संस्थान, कठनी में आयोजित योग शिविर में बोल रहे थे। स्वामी ब्रह्मऋषि योगतीर्थ जी महाराज ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। इससे पूर्व, उन्होंने कठनी में ब्रह्मबोध धाम, पातंजल योग अनुसंधान तपोभूमि का लोकार्पण भी किया।

आचार्य देवव्रत ने कहा कि योग निरोग रहने का मूलमंत्र है। महर्षि पतंजलि ने अष्टांग योग के माध्यम से लोगों को निरोग रहने का मूलमंत्र प्रदान किया है। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता जताई कि वर्तमान मंे योग के प्रकाश से पूरा विश्व आलौकिक हो रहा है। राज्यपाल ने कहा कि भारतीय संस्कृति में योग के साथ-साथ धर्म के महत्व को भी स्वीकार किया गया है, क्योंकि धर्म समाज को जोड़ता है। जिसमें सबका सुख निहित हो और जो व्यक्ति को अहिंसा एवं सत्य के मार्ग पर चलना सिखाए वह धर्म कहलाता है। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि वे धर्म के सार को समझें और राष्ट्र के विकास मंे अपना योगदान दें। समाज से अज्ञान और पाखण्ड को दूर करने के लिए ज्ञान हासिल करें और उसे हर व्यक्ति तक पहुंचाएं ताकि सभी ज्ञान से लाभान्वित हो सकें।

उन्होंने ध्यान योग आश्रम एवं आयुर्वेद शोध संस्थान कठनी में योग एवं सत्संग के माध्यम से जनहित में किए जा रहे कार्यों की सराहना की। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद एवं प्राकृतिक चिकित्सा के द्वारा मनुष्य को अनेक असाध्य रोगों से बचाया जा सकता है तथा आश्रम में इन पद्धतियों का व्यापक प्रयोग किया जा रहा है। उन्होंने इस अवसर पर आश्रम को 2 लाख रुपये प्रदान करने की घोषणा की। उन्होंने समाज कल्याण एवं आश्रम के द्वारा सभी के कल्याण के लिए कार्य करने वाली विभूतियों का सम्मानित भी किया।

आचार्य देवव्रत ने आश्रम की गौशाला, पुस्तकालय एव औषधालय का दौरा किया एवं व्यवस्था की सराहना की।

सम्बंधित समाचार

अपने सुझाव दें

Your email address will not be published. Required fields are marked *