DGP के खिलाफ SP ने लगाए गंभीर आरोप…

हिमाचल: प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड के चीफ इंजीनियर विमल नेगी मौत मामले की जांच हाई कोर्ट ने सीबीआई को सौंप दी है। जांच टीम में हिमाचल का कोई भी अफसर शामिल नहीं होगा।

वहीं इसी बीच शिमला के पुलिस अधीक्षक (एसपी) संजीव गांधी ने प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (DGP) के खिलाफ खुलकर मोर्चा खोलते हुए उन्हें गैरजिम्मेदार बताया है। यह विवाद हिमाचल पावर कॉरपोरेशन के चीफ इंजीनियर विमल नेगी की रहस्यमयी मौत की जांच को लेकर उठा है, जिसमें एसपी ने डीजीपी द्वारा हाईकोर्ट में दाखिल किए गए शपथपत्र को भ्रामक और पक्षपातपूर्ण बताया है।

एसएसपी शिमला संजीव कुमार गांधी ने शनिवार को पत्रकार वार्ता कर बताया कि इसलिए हमारी एसआईटी इस मामले को दोबारा अदालत में लेकर जाएगी। जो हमने जांच की है, उसे सुरक्षित करवाना चाहते हैं ताकि विमल नेगी को न्याय मिल सके। हाल ही में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपने के आदेश दिए, जिसके बाद एसपी शिमला ने अपनी एसआईटी की जांच प्रक्रिया को रोक दिया। लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी टीम द्वारा की गई जांच और जुटाए गए साक्ष्य एक प्रीविलेज डॉक्यूमेंट हैं, जिन्हें वे अदालत में प्रस्तुत कर संरक्षित करना चाहेंगे। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि डीजीपी द्वारा दाखिल किए गए शपथपत्र में कई असत्य बातें हैं, जिन्हें वह कोर्ट में उजागर करेंगे।

उन्होंने कहा कि इस मामले में हाईकोर्ट में याचिका दायर करेंगे और सारी सच्चाई कोर्ट  के समक्ष रखेंगे। विमल नेगी को न्याय दिलाकर रहेंगे। उन्होंने कहा, शिमला पुलिस ने विमल नेगी मौत मामले में ईमानदारी से जांच की है। शिमला पुलिस विमल नेगी को न्याय दिलाना चाहती है। इसलिए सभी पहलुओं पर जांच की जा रही थी। अदालत का फैसला आने के बाद जांच का काम रोका है। जांच अधिकारी के तौर पर पूरी एसआईटी हाईकोर्ट जाएगी। अदालत में पुनर्विचार याचिका दायर की जाएगी।

उन्होंने कहा कि 25-26 वर्षों का मैंने ईमानदारी भरा अपना पुलिस कॅरियर तपस्या की तरह लगाया है। अगर कोई मेरी इस ईमानदारी व प्रोफेशनल अखंडता पर सवाल उठाता है तो मैं पुलिस का पद छोड़ना पसंद करूंगा।

एसपी संजीव गांधी ने बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि डीजीपी के निजी स्टाफ का एक व्यक्ति नशा तस्करी के मामलों में संजय भूरिया नामक गैंग से जुड़ा पाया गया है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब राज्य के शीर्ष पुलिस अधिकारी का स्टाफ ही ऐसे गंभीर अपराधों में लिप्त हो, तो आम जनता को कानून पर विश्वास कैसे होगा?

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