CM के जवाब से असंतुष्ट विपक्ष ने किया वाकआउट; जयराम ठाकुर बोले- मुख्यमंत्री झूठ बोलने के बजाय प्रदेश के हितों का रखे ध्यान

हिमाचल: प्रदेश विधानसभा में शुक्रवार को मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने बजट पर चर्चा का जवाब दिया। इस इस दौरान मुख्यमंत्री के जवाब से असंतुष्ट विपक्षी सदस्यों ने हंगामा किया और नारेबाजी करते हुए सदन से बाहर चले गए।  मुख्यमंत्री ने चार दिनों तक चली बजट पर चर्चा का जवाब देते हुए पूर्व की भाजपा सरकार के समय लिए गए कर्ज और उन्हें केंद्र सरकार से मिली विभिन्न ग्रांट का जिक्र किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्व की सरकार ने पर्याप्त धनराशि होने के बावजूद कर्मचारियों और पेंशनरों को नए वेतनमान का एरियर नहीं दिया।

मुख्यमंत्री के जवाब से असंतुष्ट होकर भारतीय जनता पार्टी के विधायक मंडल द्वारा सदन से वॉक आउट करने के बाद मीडिया के प्रतिनिधियों से बात करते हुए नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री हर वक्त झूठ बोलते हैं। जब हम भारतीय जनता पार्टी की सरकार सत्ता में आई थी तो हमें  50 हजार करोड़ का कर्ज विरासत में मिला था। कोरोना जैसी महामारी के बाद भी हमने विकास कार्य रुकने नहीं दिया। हमने कांग्रेस सरकार के समय  2016 से लंबित पड़े वेतन आयोग की सिफारिश को लागू किया। 5 साल के कार्यकाल के दौरान पूर्व सरकार द्वारा लिए गए कर्ज के बदले 38276 करोड रुपए ब्याज और ऋण अदायगी के रूप में दिया। हमारी सरकार की ऋण वापसी दर 95 फीसदी से ज्यादा थी। हमारी सरकार के पहले 2 साल के कार्यकाल में ऋण अदायगी 131.5 फीसदी था। यानी की अगर हमारी सरकार ने ₹100 का कर्ज लिया तो ₹131 रुपए की कर्ज अदायगी की। कोरोना के आने की वजह से पूरे दुनिया ने आर्थिक संकट देखा और हिमाचल अछूता नहीं था। इसलिए मुख्यमंत्री इधर-उधर की बातें करने के बजाय सीधे-सीधे अपनी नाकामी को स्वीकार करें और आगे से जितना समय उनके पास है प्रदेश के हितों की रक्षा पूरी ईमानदारी से करें। इधर-उधर की बातें करके केंद्र सरकार  और पूर्व की भाजपा सरकार पर आरोप लगाकर अब वह बच नहीं सकते हैं। उनके द्वारा लिए गए असंगत फैसले और उनकी कार्य प्रणाली की वजह से पूरे प्रदेश की बार-बार किरकिरी हुई है और लोगों को बार-बार असुविधा का सामना करना पड़ा है।

एक जिम्मेदार पुलिस अधिकारी की सोशल मीडिया पोस्ट से समझे जा सकते हैं हालात – जयराम

पत्रकारों द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि अधिकारियों की प्रताड़ना की वजह से हिमाचल प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड के मुख्य अभियंता की जान जा चुकी है। इस मामले में सरकार द्वारा अधिकारियों को बचाया जा रहा है और उन्हें संरक्षण दिया जारहा है।  प्रदेश में बेहद अहम पद पर बैठे पुलिस अधिकारी द्वारा एक के बाद एक दो सोशल मीडिया पोस्ट की गई है। इससे प्रदेश में अधिकारियों द्वारा की जा रही अराजकता का अंदाजा लगाया जा सकता है। प्रदेश में आज तक इस तरीके के हालात नहीं थे। मुख्यमंत्री को ऐसे मामले में निजी रूप से हस्तक्षेप करना चाहिए। जिससे किसी भी कर्मचारी या अधिकारी को किसी प्रकार की समस्या न हो। 

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