हिंदी सिनेमा की दिग्गज अभिनेत्री आशा पारेख को दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड से नवाजा गया
हिंदी सिनेमा की दिग्गज अभिनेत्री आशा पारेख को दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड से नवाजा गया
नई दिल्ली: बेहतरीन अदाकारा आशा पारेख को भारतीय सिनेमा के सबसे बड़े सम्मान ‘दादा साहेब फाल्के’ पुरस्कार से शुक्रवार को सम्मानित किया गया। राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने यहां विज्ञान भवन में आयोजित 68वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में 79 वर्षीय पारेख को इस प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित किया।
वरिष्ठ अभिनेत्री ने कहा कि वह अपने 80वें जन्मदिन से एक दिन पहले यह पुरस्कार पाकर धन्य महसूस कर रही हैं। उन्होंने कहा, ‘ दादा साहब फाल्के पुरस्कार प्राप्त करना बहुत बड़े सम्मान की बात है। मेरे 80वें जन्मदिन से ठीक एक दिन पहले मुझे यह सम्मान मिला, मैं इसके लिए आभारी हूं। ‘
वर्ष 2020 के लिए यह पुरस्कार प्राप्त करने वाली पारेख ने कहा, ‘ यह भारत सरकार से मुझे मिलने वाला सबसे अच्छा सम्मान है। मैं जूरी को इस सम्मान के लिए धन्यवाद देना चाहती हूं।‘
भारतीय फिल्म जगत को ‘बेहतरीन स्थान‘ बताते हुए, अभिनेत्री ने कहा कि वह 60 साल बाद भी फिल्मों से जुड़ी हुई हैं। बाल कलाकार के तौर पर अपने करियर की शुरुआत करने वाली पारेख ने कहा, ‘हमारा फिल्म जगत सबसे अच्छी जगह है, और मैं इस जगत में युवाओं को दृढ़ता, दृढ़ संकल्प, अनुशासन और जमीन से जुड़े रहने का सुझाव देना चाहती हूं, और मैं आज रात पुरस्कार पाने वाले सभी कलाकारों को बधाई देती हूं।‘
दादा साहेब फाल्के पुरस्कार की पांच सदस्यीय चयन समिति ने सम्मान के लिए पारेख का चयन किया। इस समिति में आशा भोंसले, हेमा मालिनी, पूनम ढिल्लों, उदित नारायण और टीएस नागभरण शामिल हैं।
पारेख 1998-2001 तक केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) की पहली महिला अध्यक्ष भी रह चुकी हैं। साल 2017 में उन्होंने अपनी आत्मकथा ‘द हिट गर्ल‘ पेश की जिसका सह-लेखन फिल्म समीक्षक खालिद मोहम्मद ने किया था। उन्हें 1992 में देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया। पिछले साल, 2019 के लिए रजनीकांत को दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
1960-1970 के दशक में पारेख की शौहरत अभिनेता राजेश खन्ना, राजेंद्र कुमार और मनोज कुमार के बराबर थी। अपने पांच दशक लंबे करियर में अभिनेत्री ने 95 से ज्यादा फिल्मों में काम किया। इनमें ‘दिल देके देखो‘, ‘कटी पतंग‘, ‘तीसरी मंजिल‘ , ‘बहारों के सपने,’ ‘प्यार का मौसम’ और “कारवां” जैसी फिल्में शुमार हैं। उन्होंने 1952 में आई फिल्म ‘आसमान‘ से 10 साल की उम्र में एक बाल कलाकार के रूप में अपना करियर शुरू किया था और वह दो साल बाद बिमल रॉय की ‘बाप बेटी’ से चर्चा में आई थीं। पारेख ने 1959 में आई नासिर हुसैन की फिल्म ‘दिल देके देखो‘ में मुख्य किरदार निभाया था, जिसमें उन्होंने शम्मी कपूर के साथ अपनी अदाकारी के जलवे बिखेरे थे। पारेख ने 1990 के दशक के अंत में एक निर्देशक व निर्माता के तौर पर टीवी नाटक ‘कोरा कागज‘ का निर्देशन किया था, जिसे काफी सराहा गया।
वहीं अजय देवगन को फिल्म ‘तान्हाजी: द अनसंग वॉरियर‘ और सूर्या को फिल्म ‘सोरारई पोटारु‘ के लिए बेस्ट एक्टर का अवार्ड मिला।
इन कलाकारों को मिला पुरस्कार:-इस समारोह की शुरुआत सभी विजेताओं के नाम अनाउंस करने के साथ हुई। भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के आने के बाद यह समारोह आगे बढ़ा। सबसे पहले दीप प्रज्वलित किया गया उसके बाद एक-एक करके विजेताओं को अवॉर्ड्स दिए गए। इस समारोह के दौरान बेस्ट पापुलर फिल्म पुरस्कार- ताण्हाजी: द अनसंग वॉरियर को, बेस्ट फीचर फिल्म पुरस्कार- सोरारई पोटरू (तमिल) को, बेस्ट एक्टर का पुरस्कार- अजय देवगन (ताण्हाजी: द अनसंग वॉरियर) और सूर्या (सोरारई पोटरू) को, बेस्ट हिन्दी फिल्म का पुरस्कार- तुलसीदास जूनियर (आशुतोष गोवारिकर) को, बेस्ट डायरेक्टर का अवाॅर्ड- केआर सचिदानंदन (मलयालम फिल्म एके अय्यप्पनम कोशियुम के लिए) को, बेस्ट एक्ट्रेस का पुरस्कार- अपर्णा बालमुरली (सोरारई पोटरू) को और बेस्ट गीतकार का अवार्ड– मनोज मुन्तशिर (सायना) को दिया गया।इसके साथ अन्य कैटेगरी के लिए भी कई रीजनल फिल्मों और कलाकारों को अवार्ड दिया गया। इस कार्यक्रम के दौरान सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर भी मौजूद थे।