पार्टी की ओर से दिये गये सम्मान से पूरी तरह से संतुष्ट, भ्रामक बातें न फैलाएं : प्रो. धूमल

मुख्यमंत्री केन्द्र प्रायोजित योजनाओं के बारे में जनता को गुमराह करने का कर रहे हैं प्रयास : प्रो. धूमल

शिमला: पूर्व मुख्यमंत्री व नेता प्रतिपक्ष प्रो. प्रेम कुमार धूमल ने कहा कि वर्तमान वित्तीय वर्ष में ही मोदी सरकार हिमाचल प्रदेश को पूर्व की यूपीए सरकार की तुलना में 4000 रू0 अधिक दे रही है। बावजूद इसके केन्द्र पर भेदभाव के आरोप लगाकर मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह केवल अवसरवादिता का परिचय दे रहे हैं। उन्होंने कहा केन्द्र सरकार प्रदेश की उम्मीद से अधिक धन उपलब्ध करवा रहा है। प्रदेश सरकार द्वारा इस धन का सही उपयोग नहीं होने की वजह से यह पैसा वापिस हो रहा है और अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए केन्द्र सरकार पर आरोप लगाकर मुख्यमंत्री जनता को गुमराह करने का प्रयास कर रहे हैं।

प्रो. धूमल ने कहा कि मुख्यमंत्री भले ही लगातार झूठ कहते रहें परन्तु वित मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों से उनके झूठ का परदाफास हो रहा है। 13वें वित आयोग से मिले लगभग 21000 करोड़ रू0 के मुकाबले प्रदेश को 14वें वित आयोग के माध्यम से 40625 करोड़ रू. मिले है, इसके अतिरिक्त अगले पांच वर्षों में केन्द्रीय करों में हिस्सेदारी के रूप में हिमाचल प्रदेश को 27764 करोड़ रू. मिलेंगे। जबकि पिछले पांच वर्षों में प्रदेश को मात्र 11131 करोड़ रू. मिले थे।

प्रो. धूमल ने कहा कि मुख्यमंत्री केन्द्र प्रायोजित योजनाओं के बारे में भी जनता को गुमराह करने का प्रयास कर रहे हैं। यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान वर्ष 2013-14 में प्रदेश को केन्द्र प्रायोजित योजनाओं के तहत 1736 करोड़ रू. मिले थे जबकि वर्तमान वितीय वर्ष में केन्द्र प्रायोजित विभिन्न योजनाओं के तहत प्रदेश को 4616 करोड़ रू. मिले हैं। इसके अतिरिक्त एफसी ग्रांट के रूप में प्रदेश को यूपीए शासनकाल के वर्ष 2013-14 में 1883 करोड़ रू. मिले थे जबकि मोदी सरकार इस वर्ष एफ0सी0 ग्रांट के रूप में प्रदेश को 8436 करोड़ दे रही है। इसी तरह केन्द्रीय कर में हिस्सेदारी के तहत पूर्व मेंमिले 2459 करोड़ रू. के मुकाबले हिमाचल प्रदेश को वर्तमान वितीय वर्ष 3744 करोड़ रू. मिल रहे हैं।

प्रो. धूमल ने कहा कि मोदी सरकार के एक वर्ष में ही हिमाचल प्रदेश को पूर्व की तुलना 4000 करोड़ रू. अधिक दिए गए, परन्तु सरकार की गलत आर्थिक नितियां, अन्धाधुन्ध खर्च व हारे व नकारे गए नेताओं को एशोआराम उपलब्ध करवाने के चलते यह पैसा पानी की तरह बहाया गया। विकास के कार्य पूरी तरह से ठप्प हो चुके हैं। इतना अधिक पैसा मिलने के बावजूद 9000 करोड़ का कर्जा लेकर वीरभद्र सरकार ने प्रदेश की गरीब जनता के ऊपर लाद दिया है। इस सरकार के दौरान भारी भ्रष्टाचार की वजह से केन्द्र के धन का सही उपयोग नहीं हो पा रहा है। प्रो. प्रेम कुमार धूमल ने मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को चुनौती देते हुए कहा कि वे तथ्यहीन व भ्रामक ब्यानवाजी करने के बजाए यूपीए सरकार के दौरान प्रदेश को मिले पैसे और वर्तमान मोदी सरकार द्वारा प्रदेश को दिए धन की तुलनात्मक आंकड़े जारी करें, अन्यथा इस तरह झूठ बोलना बन्द करें।

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