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चंद पंक्तियाँ मीना कौंडल की कलम से…दिग्गज नेता श्री वीरभद्र सिंह जी के नाम
बिना कुछ कहे ही तुम ऐसे कैसे चले गये
आँखों से ओझल होकर तुम आज कहाँ चले गये
ना कोई है, ना कोई होगा तुम सा
अपनों को तो छोड़ो तुम गैरों को भी रुला कर चले गये….
राजनीती में कोई आपसा सानी ना था
व्यक्तित्व में आपसा कोई धानी ना था
जिन्दगी बेबाकी से जिओ, आप हमें ये बताकर चले गये…..
छोटे बड़े का आपने कभी भेद ना किया
अमीरी गरीबी को लेकर किसी से मतभेद ना किया
सबसे जुदा होकर दिलों में खुद को बसाकर चले गये……
आपके जाने से राजनीतिक गलियारे में सुनापन हो गया
लोग कह रहे हैं…आज एक युग का अंत हो गया
पक्ष तो छोड़ो आप तो विपक्ष को भी अपना कायल बनाकर चले गये….
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