अगर किसी जातक की कुंडली में कालसर्प दोष हो तो नागपंचमी के दिन करें भगवान शिव और नागदेवता की पूजा : कालयोगी आचार्य महेंद्र कृष्ण शर्मा

अगर किसी जातक की कुंडली में कालसर्प दोष हो तो नागपंचमी के दिन करें भगवान शिव और नागदेवता की पूजा : कालयोगी आचार्य महेंद्र कृष्ण शर्मा

हर साल सावन के शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन नागपंचमी का त्यौहार मनाया जाता है। इस दिन नाग देवता के 12 स्वरूपों की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि नाग देवता की पूजा करने और रुद्राभिषेक करने से भगवान शंकर प्रसन्न होते हैं और मनचाहा वरदान देते हैं। यह भी मान्यता है कि इस दिन सर्पों की पूजा करने पंडित जीसे नाग देवता प्रसन्न होते हैं। कालयोगी आचार्य महेंद्र कृष्ण शर्मा ने हिम शिमला लाइव को जानकारी देते हुए बताया कि प्राचीन धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक, अगर किसी जातक की कुंडली में कालसर्प दोष हो तो उसे नागपंचमी के दिन भगवान शिव और नागदेवता की पूजा करनी चाहिए।

  • हिंदू धर्म का महत्वपूर्ण त्योहार नाग पंचमी आज 13 अगस्त को पूरे देश में मनाया जा रहा है। हिंदी पंचांग के अनुसार नाग पंचमी का पर्व हर साल सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। नाग पंचमी के दिन भगवान शिव और नाग देवता की पूजा की जाती है। इससे वे प्रसन्न होते हैं और इनकी कृपा से काल सर्प दोष व राहु-केतु का कुप्रभाव समाप्त हो जाता है।

    ज्योतिष शास्त्र की गणनाओं के अनुसार, इस बार नाग पंचमी पर 108 साल बाद एक दुर्लभ योग बन रहा है. इस बार नाग पंचमी पर उत्तरा योग और हस्त नक्षत्र का विशेष संयोग बन रहा है। साथ ही शिन नक्षत्र भी लग रहा है। यह शिन नक्षत्र काल सर्प दोष से मुक्ति के लिए विशिष्ट फलदायी होता है। ज्योतिषाचार्यों का मानना है कि इस दुर्लभ योग में भगवान शिव व नाग देवता की विधि पूर्वक पूजा करने से काल सर्प का दोष व राहु-केतु के कुप्रभाव कम हो जाते हैं।

  • क्‍यों मनाई जाती है नाग पंचमी

नागपंचमी मनाने के पीछे कई प्रचलित कहानियां हैं। ऐसी मान्यता है कि समुद्र मंथन के बाद जो विष निकला उसे पीने को कोई तैयार नहीं था। अंतत: भगवान शंकर ने उसे पी लिया। भगवान शिव जब विष पी रहे थे, तभी उनके मुख से विष की कुछ बूंद नीचे गिरी और सर्प के मुख में समा गई। इसके बाद ही सर्प जाति विषैली हो गई। सर्पदंश से बचाने के लिए ही इस दिन नाग देवता की पूजा की जाती है।

मान्यता है कि सर्प ही धन की रक्षा के लिए तत्पर रहते हैं और इन्हें गुप्त, छुपे और गड़े धन की रक्षा करने वाला माना जाता है। नाग, मां लक्ष्मी की रक्षा करते हैं। धन-संपदा व समृद्धि की प्राप्ति के लिए नाग पंचमी मनाई जाती है। इस दिन श्रीया, नाग और ब्रह्म अर्थात शिवलिंग स्वरुप की आराधना से मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है और साधक को धनलक्ष्मी का आशिर्वाद मिलता है।

  • ज्योतिषीय कारण भी

नाग पंचमी पर नाग देवता की पूजा करने के उपरोक्त धार्मिक और सामाजिक कारण तो हैं ही साथ ही इसके ज्योतिषीय कारण भी हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली में योगों के साथ-साथ दोषों को भी देखा जाता है। कुंडली के दोषों में कालसर्प दोष एक बहुत ही महत्वपूर्ण दोष होता है। कालसर्प दोष भी कई प्रकार का होता है। इस दोष से मुक्ति के लिये भी ज्योतिषाचार्य नाग पंचमी पर नाग देवता की पूजा करने के साथ-साथ दान दक्षिणा का महत्व बताते हैं।

  • भगवान कृष्ण का आशीर्वाद : नागपंचमी को लेकर एक कहानी यह भी प्रचलित है कि भगवान कृष्ण ने उन्हें यह वरदान दिया था कि जो भी जातक नाग देवता को दूध पिलाएगा, उसे जीवन में कभी कष्ट नहीं होगा। दरअसल, एक बार कालिया नाम के नाग ने प्रतिशोध में पूरी यमुना नदी में विष घोल दिया। इसके बाद यमुना नदी का पानी पीने से बृजवासी बेहोश होने लगे। ऐसे में भगवान कृष्ण ने यमुना नदी के अंदर बैठे कालिया को बाहर निकालकर उससे युद्ध किया। युद्ध में कालिया हार गया और यमुना नदी से उसने अपना सारा विष सोख लिया। भगवान कृष्ण ने प्रसन्न होकर कालिया को वरदान दिया और कहा कि सावन के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन नागपंचमी  का त्योहार मनाया जाएगा और सर्पों की पूजा की जाएगी।sr

कहते हैं नाग पंचमी की पूजा का संबंध धन से जुड़ा हुआ है। दरअसल शास्त्रों में ऐसा माना जाता है कि नाग देव गुप्त धन की रक्षा करते हैं। इस कारण यह माना जाता है कि नागपंचमी के दिन नागों की पूजा करने से जीवन में धन-समृद्धि का भी आगमन होता है। इस दिन व्रती को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। जिस व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प दोष होता है तो उसे इस दोष से बचने के लिए नाग पंचमी का व्रत करना चाहिए। 

  • नागदेव के पूजन से लाभ :- देश के अलग-अलग प्रांतों में नागदेव की अलग-अलग तरह से पूजा संपन्न की जाती है। नागदेव के पूजन करने व इनके मंत्रों के जाप करने से कभी-कभी घर में सर्प प्रवेश नहीं करता है। नागदेव के मंत्र ॐ कुरु कुल्ले हुं फट स्वाहाके जाप से नागदेव प्रसन्न होते हैं और काटने से मृत्यु नहीं होती है। यदि मृत्यु हो भी जाए तो उसे मुक्ति मिलती है।

नागपंचमी के दिन इन आठ नागों की होती है पूजा

  1. अनन्त 2. वासुकि 3. पद्म 4. महापद्म 5. तक्षक, 6. कुलीर 7. कर्कट 8. शंख।

नाग पंचमी की पूजा विधि:

  •  नाग पंचमी के दिन अनन्त, वासुकि, पद्म, महापद्म, तक्षक, कुलीर, कर्कट और शंख नामक अष्टनागों की पूजा की जाती है।

  •  चतुर्थी के दिन एक बार भोजन कर पंचमी के दिन उपवास करके शाम को भोजन करना चाहिए।

  • पूजा करने के लिए नाग चित्र या मिट्टी की सर्प मूर्ति बनाकर इसे लकड़ी की चौकी के ऊपर स्थापित करें।

  •  हल्दी, रोली, चावल और फूल चढ़कर नाग देवता की पूजा करें।

  •  कच्चा दूध, घी, चीनी मिलाकर सर्प देवता को अर्पित करें।

  •  पूजन करने के बाद सर्प देवता की आरती उतारी जाती है।

  •  अंत में नाग पंचमी की कथा अवश्य सुनें

 नाग पंचमी और श्री कृष्ण का संबंध: नाग पंचमी की पूजा का एक प्रसंग भगवान श्री कृष्ण से जुड़ा हुआ भी बताते हैं। बालकृष्ण जब अपने दोस्तों के साथ खेल रहे थे तो उन्हें मारने के लिये कंस ने कालिया नामक नाग भेजा। पहले उसने गांव में आतंक मचाया। लोग भयभीत रहने लगे। एक दिन जब श्री कृष्ण अपने दोस्तों के साथ खेल रहे थे तो उनकी गेंद नदी में गिर गई। जब वे उसे लाने के लिये नदी में उतरे तो कालिया ने उन पर आक्रमण कर दिया। फिर क्या था कालिया की जान पर बन आई। भगवान श्री कृष्ण से माफी मांगते हुए गांव वालों को हानि न पंहुचाने का वचन दिया और वहां से चला गया। कालिया नाग पर श्री कृष्ण की विजय को भी नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है।

नाग पंचमी पर क्या करें क्या न करें   : इस दिन भूमि की खुदाई नहीं की जाती। नाग पूजा के लिये नागदेव की तस्वीर या फिर मिट्टी या धातू से बनी प्रतिमा की पूजा की जाती है। दूध, धान, खील और दूब चढ़ावे के रूप में अर्पित की जाती है। जीवित सर्प को दूध पिलाकर भी नागदेवता को प्रसन्न किया जाता है।

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