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एसजेवीएन ने कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई को दिया 1 करोड़ रुपए का सहयोगofit After Tax (PAT) Recorded an Increase of 44.93 %

केंद्रीय कैबिनेट ने दी एसजेवीएन अरुण-3 हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट (नेपाल का भाग) के ट्रांसमिशन कंपोनेंट के लिए निवेश प्रस्ताव को मंजूरी

शिमला: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने अरुण 3 जल विद्युत परियोजना के ट्रांसमिशन घटक (नेपाल हिस्सा) के लिए जून 2017 के मूल्य स्तर पर 1236.13 करोड रुपए की अनुमानित लागत की निवेश मंजूरी दे दी है। वर्तमान मंजूरी नेपाल में अरुण जलविद्युत परियोजनासे बिजली की निकासी के लिए नेपाल के क्षेत्र के भीतर पड़ने वाली लगभग 217 किलोमीटर लंबी 400 केवी डीसी डीडिंग(नेपाल में) बथनाहा (अंतरराष्ट्रीय सीमा) बरास्ता ढालकेबार (नेपाल में) ट्रांसमिशन लाइन में निवेशार्थ है। 11 मई,2018 को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा नेपाल के प्रधानमंत्री के.पी.शर्मा संयुक्‍त रूप से एसजेवीएन की 900 मेगावाट की अरुण-3  जल विद्युत परियोजना की आधारशिला रखी।

एसजेवीएन लिमिटेड के अध्‍यक्ष एवं प्रबंध निदेशक नंदलाल शर्मा ने परियोजना के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि परियोजना के पारेषण घटक के निर्माण में लगभग 3500 व्यक्तियों के लिए प्रत्‍यक्ष रोजगार परिकल्पि‍त है। परियोजना से नेपाल सरकार को 21.9% मुफ्त बिजली मिलेगी तथा स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के मौके सृजित करके, स्थानीय उद्योगों की मजबूती तथा उद्यमशीलता का विकास होने से क्षेत्र के विकास में सहायता मिलेगी। नेपाल के पास भुगतान आधार पर लगभग 7.8%  बिजली को खरीद सकने का भी विकल्‍प होगा। शेष बिजली नेपाल से भारत को निर्यात की जाएगी।अतः भारत में बिजली की मांग भी अरुण-3 परियोजना से पूरी होगी।

नंदलाल शर्मा ने आगे बताया कि एसजेवीएन ने नेपाल में 900 मेगावाट अरुण 3 जल विद्युत परियोजना अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धी बिडिंग के जरिए हासिल की है।  परियोजना के लिए 5 साल की निर्माणावधि सहित 30  वर्षों की अवधि के लिए बि‍ल्‍ड,ओन, ऑपरेट तथा ट्रांसफर (बूट) आधार पर निर्माण करने के लिए नेपाल सरकार तथा एसजेवीएन लिमिटेड के मध्य  एक समझौता ज्ञापन पर मार्च 2008 में साइन हुए थे। परियोजना विकास करार नवंबर 2004 में साइन किया गया।अरुण-3 जल विद्युत परियोजना पूर्वी नेपाल में संखुवासभा जिले में अरुण नदी पर स्थित है। इस रन ऑफ द रिवर स्कीम में बाएं किनारे पर प्रत्येक 225 मेगावाट चार उत्पादन इकाइयों से युक्त भूमिगत विद्युत गृह के साथ 70 मी. ऊंचा कंक्रीट ग्रेविटी तथा 11.74 किलोमीटर लंबी सुरंग (एचआरटी) की परिकल्पना है।

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