जेल में सजा पाने वाले समस्त अपराधियों को एक ही श्रेणी में रखना तर्क संगत नहीं : डॉ. बिंदल

  • कारागार में महिला अपराधियों को पुरूषों की अपेक्षा विशेष सुविधाएं प्रदान आवश्यक
  • प्रदेश के कारागार में सजा काट रही महिला व पुरूष बेकरी, फर्नीचर, सिलाई, कढाई, बुनकर, आचार-मुरब्बे व अन्य खाद्य सामग्री बनाकर न केवल अपने परिवार की आर्थिकी को सुदृढ कर रहे हैं बल्कि मानसिक व शारीरिक तौर पर स्वस्थता पाने में सफल हुए हैं

शिमला: देश में महिला व पुरूष कैदियों के पुनर्वास के लिए सरकार द्वारा विभिन्न योजनाएं व कार्यक्रम चलाये गए हैं, जिससे कैदियों को समाज की मुख्यधारा में शामिल होने का सुअवसर प्राप्त हो सके। यह बात आज हिमाचल प्रदेश विधान सभा अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल ने महिला कैदियों के अधिकारों पर नालदेहरा में आयोजित दो दिवसीय कांफ्रैंस के समापन समारोह की अध्यक्षता करते हुए कही।

उन्होंने कहा कि कारागार में महिला अपराधियों को पुरूषों की अपेक्षा विशेष सुविधाएं प्रदान आवश्यक है। जेल में सजा पाने वाले समस्त अपराधियों को एक ही श्रेणी में रखना तर्क संगत नहीं है। जेल विभाग व स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा अपराधियों को सुधारने व उन्हें समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए भरसक प्रयास किए जा रहे हैं। यह प्रयास समाज में शांति, बदलाव व समृद्धि लाने के लिए अत्यंत आवश्यक है।

उन्होंने कहा कि जेल विभाग द्वारा कैदियों के विकास तथा श्रम को उपयोग करने के उद्देश्य से हर हाथ को काम नीति के अंर्तगत प्रत्येक कैदी को विभिन्न प्रकार के काम आबंटित किए गए हैं । प्रदेश के कारागार में सजा काट रही महिला व पुरूष बेकरी, फर्नीचर, सिलाई, कढाई, बुनकर, आचार-मुरब्बे व अन्य खाद्य सामग्री बनाकर न केवल अपने परिवार की आर्थिकी को सुदृढ कर रहे हैं बल्कि मानसिक व शारीरिक तौर पर स्वस्थता पाने में सफल हुए हैं।  दो दिवसीय कान्फ्रैंस मे देश के 16 प्रदेशों के कारगार महानिदेशको ने अपने प्रदेश में कारगारों के कैदियों के पुर्नवास व उनके परिवार की आर्थिक मदद के लिए चलाए जा रहे कार्यक्रमों के बारे में विस्तृत जानकारी की।

 

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