मानव अधिकार: ऐसे हक जो हमारे जीवन और हमारे मान-सम्मान से जुड़े हों
अधिवक्ता – रोहन सिंह चौहान
हर व्यक्ति को अपने अधिकारों के बारे में जानकारी होना आवश्यक है। मानव अधिकार का मतलब है ऐसे हक जो हमारे जीवन और हमारे मान-सम्मान से जुड़े हों। मानव अधिकार जो कानून के तहत आते हैं। इसी विषय पर इस बार हमें जानकारी दे रहें हैं हमारी कानून व्यवस्था कॉलम के लिए अधिवक्ता रोहन सिंह चौहान।
मानव अधिकार आयोग की स्थापना 12 अक्टूबर 1993 में हुई। जिसके उद्देश्य नौकरशाही पर रोक लगाना, मानव अधिकारों के हनन को रोकना तथा लोक सेवक द्वारा उनका शोषण करने में अंकुश लगाना। मानवाधिकार की सुरक्षा के बिना सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक आज़ादी खोखली है मानवाधिकार की लड़ाई हम सभी की लड़ाई है। आदमी गौरा हो या काला, हिन्दू हो या मुस्लमान, सिख हो या ईसाई, हिंदी बोले या कोई अन्य भाषा सभी केवल इंसान हैं और संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा घोषित मानवाधिकारों को प्राप्त करने का अधिकार है। मानव अधिकार का मतलब ऐसे हक़ जो हमारे जीवन और मान-सम्मान से जुड़े हैं। ये हक़ हमें जन्म से मिलते हैं, हम सब आज़ाद हैं। अच्छे माहौल में रहना हमारा हक़ है। हमें इलाज़ की अच्छी सहूलियत मिले। हमें और हमारे बच्चों को पढ़ाई-लिखाई की अच्छी सुविधा मिले। पीने का पानी साफ मिले। जाति, धर्म, भाषा-बोली के कारण हमारे साथ भेदभाव न हो। हमें हक़ है कि हम सम्मान के साथ रहे। कोई हमें अपना गुलाम नहीं बना सके। हम कहीं भी बेरोकटोक आना-जाना कर सकते हैं। हम बेरोकटोक बोल सकते हैं, लेकिन हमारे बोलने से किसी के मान-सम्मान को चोट नहीं पहुंचनी चाहिए। हमें आराम करने का अधिकार है। हमें यह तय करने का अधिकार है की हमारे बच्चे को किस तरह की शिक्षा मिले। हर बच्चे को जीने का अधिकार है, उसे अच्छी तरह की शिक्षा मिले। यदि हमें हमारा हक़ दिलाने में सरकारी महकमा हमारी मदद नहीं कर रहा है तो हम मानव अधिकार आयोग में शिकायत कर सकते हैं। आयोग में सीधे अर्जी देकर शिकायत कर सकते हैं।इसके लिए वकील की जरूरत नहीं है। शिकायत किसी भी भाषा या बोली में कर सकते हैं हिंदी में हो तो अच्छा है। शिकायत लिखने के लिए कैसे भी कागज़ का इस्तेमाल करें, स्टैम्प पेपर की कोई जरूरत नहीं होती। आयोग के दफ्तर में टेलीफोन नम्बर पर भी शिकायत दर्ज कर सकते हैं। आजकल ऑनलाइन भी शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
मानव अधिकार
एनडी मानवाधिकार मनुष्य के वे मूलभूत सार्वभौमिक अधिकार हैं, जिनसे मनुष्य को नस्ल, जाति, राष्ट्रीयता, धर्म, लिंग आदि किसी भी दूसरे कारक के आधार पर वंचित नहीं किया जा सकता।
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1829 – राजा राममोहन राय द्वारा चलाए गए हिन्दू सुधार आंदोलन के बाद भारत में ब्रिटिश राज के दौरान सती प्रथा को पूरी तरह समाप्त कर दिया गया।
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1929 – नाबालिगों को शादी से बचाने के लिए बाल विवाह निरोधक कानून पास हुआ।
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1947 – ब्रिटिश राज की गुलामी से भारतीय जनता को आजादी मिली।
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1950 – भारतीय गणतंत्र का संविधान लागू हुआ।
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1955 – भारतीय परिवार कानून में सुधार। हिन्दू महिलाओं को मिले और ज्यादा अधिकार।
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1973 – केशवानंद भारती वाद में उच्चतम न्यायालय ने निर्धारित किया कि संविधान संशोधन द्वारा संविधान के मूलभूत ढाँचे में परिवर्तन नहीं किया जा सकता। (जिसमें संविधान द्वारा प्रदत्त कई मूल अधिकार भी शामिल हैं)
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1989 – अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति (अत्याचारों से सुरक्षा) एक्ट 1989 पास हुआ।
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1992 – संविधान में संशोधन के जरिए पंचायत राज की स्थापना, जिसमें महिलाओं के लिए एक तिहाई आरक्षण लागू हुआ। अजा-अजजा के लिए भी समान रूप से आरक्षण लागू।
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1993 – प्रोटेक्शन ऑफ मून राइट्स एक्ट के तहत राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग की स्थापना।
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2001 – खाद्य अधिकारों को लागू करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने अतिरिक्त आदेश पास किया।
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2005 – सूचना का अधिकार कानून पास।
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2005 – रोजगार की समस्या हल करने के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी एक्ट पास।
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2005 – भारतीय पुलिस के कमजोर मानव अधिकारों के लिए सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस सुधार के निर्देश दिए।
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मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा
10 दिसंबर 1948 को यूनाइटेड नेशन्स की जनरल एसेम्बली ने मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा को स्वीकृत और घोषित किया। इस ऐतिहासिक कार्य के बाद ही एसेम्बली ने सभी सदस्य देशों से अपील की कि वे इस घोषणा का प्रचार करें और देशों या प्रदेशों की राजनीतिक स्थिति पर आधारित भेदभाव का विचार किए बिना विशेषतः स्कूलों और अन्य शिक्षा संस्थाओं में इसके प्रचार, प्रदर्शन और व्याख्या का प्रबंध करें। इस घोषणा में न सिर्फ मनुष्य जाति के अधिकारों को बढ़ाया गया बल्कि स्त्री और पुरुषों को भी समान अधिकार दिए गए। मानव अधिकार से तात्पर्य उन सभी अधिकारों से है जो व्यक्ति के जीवन, स्वतंत्रता, समानता एवं प्रतिष्ठा से जुड़े हुए हैं। यह अधिकार भारतीय संविधान के भाग-तीन में मूलभूत अधिकारों के नाम से वर्णित किये गये हैं और न्यायालयों द्वारा प्रवर्तनीय है । इसके अलावा ऐसे अधिकार जो अंतर्राष्ट्रीय समझौते के फलस्वरूप संयुक्त राष्ट्र की महासभा द्वारा स्वीकार किये गये हैं और देश के न्यायालयों द्वारा प्रवर्तनीय है, को मानव अधिकार माना जाता है । इन अधिकारों में प्रदूषण मुक्त वातावरण में जीने का अधिकार, अभिरक्षा में यातनापूर्ण और अपमानजनक व्यवहार न होने संबंधी अधिकार, और महिलाओं के साथ प्रतिष्ठापूर्ण व्यवहार का अधिकार शामिल है।
जांच कार्य से संबंधित प्राप्त अधिकार
अधिनियम के अन्तर्गत किसी शिकायत की जांच करते समय आयोग को सिविल प्रक्रिया संहिता-1908 के अन्तर्गत सिविल न्यायालय के समस्त अधिकार प्राप्त हैं। विषेश रूप से संबंधित पक्ष को तथा गवाहों को सम्मन जारी करके बुलाने तथा उन्हें आयोग के सामने उपस्थित होने के लिए बाध्य करने एवं शपथ देकर परीक्षण करने का अधिकार, किसी दस्तावेज का पता लगाने और उसको प्रस्तुत करने का आदेश देने का अधिकार, शपथ पर गवाही लेने का अधिकार और किसी न्यायालय अथवा कार्यालय से कोई सरकारी अभिलेख अथवा उसकी प्रतिलिपि की मांग करने का अधिकार। गवाहियों तथा दस्तावेजों की जांच हेतु कमीशन जारी करने का अधिकार। आयोग में पुलिस अनुसंधान दल भी है। जिसके द्वारा प्रकरणों की जांच की जाती है।
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Sep 21, 2016 - 04:57 PM
हमे और हमारे इस संगठन मे कार्यकर्ताओं को बल मिलेगा
तुरन्त सुझाव दें ताकि समाज मे पनप रहे भ्रष्टाचार को समाप्तिकरण कर सके हमारी संगठनों के सदस्य
Sep 25, 2016 - 11:10 PM
Sir i am a teacher I want to know is there any relaxation in working hour of that lady who has small kid below five six month because we have only 135days maternity leave. Please help me sir
Nov 08, 2016 - 05:29 PM
बहुत आच्छा हे। पुस्तक
अपना अधिकार जानाकारी हुआ।
मे बहुत खुश हू जी कि आपना लिखा ।कोई
Nov 10, 2016 - 01:39 AM
Mai yae Khana chata hu ki Jo humare smj mai Jo ladkiya hai shadi Kay bad unko Kisi cheez kay leya tang kayu Kiya jata hai Kya vo kisi ki beti nhi hai bs mai itna chata hu ki ladkiyo ki izt ki Jay or unka sman Kiya jay
Nov 17, 2016 - 08:34 AM
बहुत ही अच्छी जानकारी मिली , लेकिन इसके साथ साथ मानवाधिकार हनन की शिकायत आयोग मे कैसे कर सकते हैं की जानकारी उदाहरण स्वरूप दी जाए तो और भी अच्छा रहेगा !
Nov 22, 2016 - 02:54 PM
I need your help plz help me
Dec 10, 2016 - 09:11 AM
बहुत ही सार गर्भित जानकारी दी गई है।
धन्यवाद।
पढ़कर ज्ञान बढ़ा।
Dec 10, 2016 - 08:53 PM
धन्यवाद सर जी।
Dec 13, 2016 - 07:27 AM
आपकी जानकरी बहुत अछी लगी हे आपको बहुत बहुत धन्यवाद यदि कोई वरिष्ट अधिकारी मानवाधिकर का दूर अपयोग करता हे तो उसकी शिकायत कहा और कैसे करे ये और उस पर कितने दिनों में कार्यवाही हो सकती हे और उसके लिए क्या क्या सबूत की आवश्यकता होती हे शिकायतकर्ता को कृपया कर के बताए
Dec 17, 2016 - 10:49 PM
National human rights ko apna what’s app complaint number launch krna chahiye jisse lo aasani se apni complaint pahucha sake
Dec 31, 2016 - 05:58 AM
सर जैसे कि अर्ध सैनिक बलों में आपतकाल स्थिति ना होने पर जवानों से कितनी कितनी ड्यूटी ले सकते हैं और जैसे कि अर्ध सैनिक बलों में कुछ जवान अधिकारियों के खास हो जाते हैं और कोई ड्यूटी भी नहीं देते वह रजिस्टर मैं भी उनकी कोई ड्यूटी भी नहीं दी जाती है अगर कोई जवान शिकायत करता है तो उसके खिलाफ सभी अधिकारी मोर्चा संभाल लेते हैं उसके साथ सभी अधिकारी मानसिक रुप से परेशान करते हैं टाइम से छुट्टी नहीं दे पाते और सभी जितने भी कोर्स हैं उसमें उसी को डालते रहता है सर इसके लिए कोई कानून या कोई अधिकार है
Jan 01, 2017 - 10:33 PM
I want to join you
Jan 02, 2017 - 06:50 PM
क्या कोई भी आम नागरिक अपने राज्य के मुख्यमंत्री या देश के प्रधानमंत्री से मिल सकता है ? यदि हाॅ तो कैसे?
Jan 10, 2017 - 11:17 AM
Bhut achhi jankari mili . main chahta hu Ki is I prakar se aao gyanwardhan karte rahe. Thank you
Apr 27, 2017 - 12:31 PM
बहुत महत्वपूर्ण जानकारी दी है आपने