जिला शिमला के थानाधार में प्रदेश का पहला “राष्ट्रीय गुठलीदार फल सम्मेलन” आयोजित

शिमला: जिला शिमला के थानाधार में गुठलीदार फल उत्पादक संघ, बागवानी विभाग तथा कृषि विज्ञान केंद्र के संयुक्त तत्वावधान में प्रदेश का पहला राष्ट्रीय गुठलीदार फल सम्मेलन सफलतापूर्वक आयोजित किया गया।
इस राष्ट्रीय आयोजन में नीति-निर्माताओं, वैज्ञानिकों, फल उत्पादकों और बागवानों सहित विभिन्न हितधारकों ने भाग लिया। सम्मेलन का उद्देश्य सेब की फसल के पूरक अथवा विकल्प के रूप में गुठलीदार फलों की अर्थव्यवस्था को सशक्त, टिकाऊ एवं विविध बनाना था।
इस कार्यक्रम में राजस्व, बागवानी, जनजातीय विकास एवं जन शिकायत निवारण मंत्री जगत सिंह नेगी ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करते हुए कहा कि बागवानी हिमाचल प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में किसानों की जीवनरेखा है। अब समय आ गया है कि सेब के साथ-साथ अन्य गुठलीदार फलों की वैज्ञानिक खेती को बढ़ावा देकर राज्य की बागवानी अर्थव्यवस्था को और अधिक स्थिर एवं समृद्ध बनाया जाए।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार गुठलीदार फलों की खेती को प्रोत्साहित करने हेतु आवश्यक नीति समर्थन, प्रशिक्षण, अनुसंधान और विपणन ढांचे को सुदृढ़ करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने उच्च गुणवत्ता वाले फलों के उत्पादन पर बल देते हुए हाई-डेंसिटी प्लांटेशन प्रणाली को अपनाने का आह्वान किया ताकि कम क्षेत्र में अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सके।
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि “न्यूजीलैंड जैसे देश सीमित भूमि पर उच्च गुणवत्ता का सर्वाधिक उत्पादन कर रहे हैं। हिमाचल में भी हमें इसी दिशा में कार्य करना होगा।”
उन्होंने कहा कि “सबसे बड़ी चुनौती उच्च गुणवत्ता वाले पौधरोपण सामग्री (प्लांट मटेरियल) की उपलब्धता है। जब तक हम अपने राज्य में ही गुणवत्तापूर्ण पौधे तैयार नहीं करेंगे, तब तक हाई-डेंसिटी तकनीक का पूर्ण लाभ नहीं मिल सकेगा।”
जगत सिंह नेगी ने बताया कि प्रदेश सरकार ने हाल ही में इटली की एक कंपनी के साथ एमओयू किया है, जिसके तहत शीघ्र ही 50 हजार हाई-डेंसिटी पौधे तैयार किए जाएंगे, ताकि गुणवत्तापूर्ण पौधों की कमी को दूर किया जा सके।
उन्होंने बागवानी विभाग को निर्देश दिए कि वह समय-समय पर ऐसे सम्मेलन आयोजित कर बागवानों व किसानों को हाई-डेंसिटी तकनीक और उच्च गुणवत्ता वाले फलों के बारे में जानकारी प्रदान करे।
उन्होंने दीपक सिंघा का विशेष रूप से धन्यवाद किया जिन्होंने सम्मेलन के आयोजन में विशेष योगदान दिया। उन्होंने कहा कि थानाधार, जो अपनी उत्कृष्ट फल उत्पादन परंपरा के लिए प्रसिद्ध है, इस आयोजन की मेजबानी कर गुठलीदार फल क्रांति के नए युग की शुरुआत का प्रतीक बना है। यह सम्मेलन गुठलीदार फल क्षेत्र के दीर्घकालिक विकास, अनुसंधान, सहयोग एवं नीति निर्माण के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में उभरा।

ऐसे सम्मेलन बागवानी क्षेत्र के समग्र विकास में होंगे अत्यंत उपयोगी – कुलदीप सिंह राठौर 

विशिष्ट अतिथि कुलदीप सिंह राठौर ने कहा कि इस प्रकार के सम्मेलन बागवानी क्षेत्र के समग्र विकास में अत्यंत उपयोगी सिद्ध होंगे क्योंकि यह किसानों, वैज्ञानिकों और नीति-निर्माताओं को एक साझा मंच प्रदान करते हैं। उन्होंने वैज्ञानिकों से आग्रह किया कि वह बागवानों के बगीचों में जाकर व्यावहारिक परीक्षण एवं सुझाव दें। उन्होंने कहा कि थानाधार में आयोजित यह सम्मेलन एक मील का पत्थर साबित होगा।

आधुनिक तकनीकों के बारे में दी जानकारी
सम्मेलन के दौरान विशेषज्ञों ने गुठलीदार फलों की खेती की आधुनिक तकनीकों, जलवायु-अनुकूल प्रजातियों के चयन, फलों में होने वाले रोगों की रोकथाम, कटाई के बाद प्रबंधन, प्रसंस्करण, मूल्य संवर्धन एवं विपणन रणनीतियों पर विस्तार पूर्वक विचार-विमर्श किया। वैज्ञानिकों ने जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों के अनुरूप नई प्रजातियों और उन्नत बागवानी तकनीकों पर भी प्रस्तुतियां दी।
प्रदर्शनी का आयोजन
इस अवसर पर बागवानी विभाग तथा विभिन्न कंपनियों द्वारा प्रदर्शनी स्टॉल लगाए गए, जिनमें गुठलीदार फलों की विभिन्न उन्नत किस्मों की जानकारी और तकनीकी नवाचारों का प्रदर्शन किया गया।
इन्होंने रखे विचार
इस अवसर पर प्रो. राजेश्वर सिंह चंदेल, कुलपति, डॉ. वाई.एस. परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी; विनय सिंह, निदेशक, बागवानी विभाग; सी. पॉलरासु, सचिव, बागवानी विभाग; तथा संजय मेहता, निदेशक, हिमाचल फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड ने भी अपने विचार साझा किए। 

तकनीकी सत्रों में विजय स्टोक्स (सेवानिवृत्त प्रोफेसर, आईआईटी कानपुर एवं सत्यनंद स्टोक्स के पोते), दीपक सिंघा (अध्यक्ष, स्टोन फ्रूट ग्रोवर्स एसोसिएशन), दिनेश ठाकुर, नीना चौहान, मनीका तोमर, जयंत शर्मा, अरविंद्र, गौरव शुक्ला, मनीष अग्रवाल, करण सिकरी एवं राम कुमार सिंह ईशान जयवर्धने, प्रबंधक (व्यापार योजना कार्यान्वयन), प्राथमिक उद्योग मंत्रालय, न्यूजीलैंड सरकार तथा इवान एंटोनियो बेनावेन्टो, हेड–एशिया प्रशांत (वैज्ञानिक प्राकृतिक, स्पेन) ने भारत के साथ गुठलीदार फल उत्पादन के क्षेत्र में चल रहे संयुक्त कार्यक्रमों की जानकारी दी।

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