राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखाओं में हो रही है वृद्धि; देश भर में संघ की चल रहीं 83 हजार से अधिक शाखाएं

 14-25 आयु वर्ग के युवा बड़ी संख्या में संघ से जुड़ रहे

शिमला: अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की तीन दिवसीय बैठकें बेंगलुरू में आयोजित की गई। इन बैठकों में संघ की 100वीं वर्षगांठ के अवसर पर संगठनात्मक विस्तार, सामाजिक सेवा, राष्ट्रीय एकता और हिंदू समाज की सुरक्षा पर विशेष जोर दिया गया है। अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में भारत की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित रखने और सामाजिक समरसता को बढ़ावा देने पर बल दिया गया।
अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक: संगठनात्मक विस्तार, सामाजिक प्रभाव, सद्भाव और एकता के संबंध में शिमला में बुधवार को प्रेसवार्ता आयोजित की गई। इसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हिमाचल प्रांत के संघचालक डॉ. वीर सिंह रांगड़ा, विभाग संघचालक राजकुमार वर्मा और प्रांत प्रचार प्रमुख  प्रताप समयाल जी विशेष रूप से उपस्थित रहे।
पत्रकारवार्ता को संबोधित करते हुए डॉ. वीर सिंह रांगड़ा ने अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक का सारांश मीडिया कर्मियों के समक्ष रखा। उन्होंने कहा कि यह बैठक बेंगलुरु के जनसेवा विद्याकेन्द्र, चन्नेनहल्ली में आयोजित की गई। सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत और सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने भारत माता को पुष्पांजलि अर्पित कर सत्र का शुभारंभ किया । इसमें 1,443 कार्यकर्ता बैठक में शामिल हुए।
उन्होंने बताया कि प्रतिनिधि सभा में संघ के 100वें वर्ष में संगठन के विस्तार और सुदृढ़ीकरण पर विशेष जोर दिया गया। उन्होंने संगठनात्मक विस्तार की जानकारी देते हुए कहा कि संघ की शाखाओं में वृद्धि हो रही है। प्रतिदिन 83,129 शाखाएँ 51,570 स्थानों पर लगती हैं, जो कि पिछले वर्ष की तुलना में 10,000 अधिक है। उन्होंने जानकारी दी कि साप्ताहिक मिलन 32,147, मासिक मंडली 12,091, जबकि कुल (शाखा-मिलन-मंडली) 1,27,367 हैं ।
ग्रामीण क्षेत्रों में विस्तार: 58,981 ग्रामीण मंडलों में से 39,917 में नियमित शाखाएँ और मिलन हुए । पिछले वर्ष की तुलना में 3,050 की वृद्धि हुई है । इनमें युवाओं की भागीदारी ज्यादा रही है। उन्होंने कहा कि 14-25 आयु वर्ग के युवा बड़ी संख्या में संघ से जुड़ रहे हैं । उन्होंने बताया कि 2,453 स्वयंसेवकों ने दो वर्षों तक पूर्णकालिक सेवा के लिए समर्पण किया। उन्होंने बताया कि गत वर्ष 4,415 प्रारंभिक वर्ग आयोजित किए गए, 2,22,962 लोगों ने भाग लिया । संघ की वेबसाइट पर 12,72,453 लोगों ने जुड़ने की इच्छा व्यक्त की।
उन्होंने हिमाचल प्रदेश में संगठनात्मक स्थिति भी मीडियाकर्मियों के समक्ष रखी । उन्होंने कहा कि संघ की दृष्टि से हिमाचल में कुल जिले 26 हैं, कुल स्थान 737, कुल शाखाएँ 1004, साप्ताहिक मिलन 327 और संघ मंडली 156 हैं ।
उन्होंने संघ के सामाजिक कार्य और प्रमुख गतिविधियाँ भी बताई। उन्होंने कहा कि 89,706 सामाजिक सेवा गतिविधियाँ संचालित है । शिक्षा क्षेत्र में 40,920, चिकित्सा सेवाओं में 17,461, स्वावलंबन 10,779, अन्य सामाजिक कार्य 20,546 है । उन्होंने सामाजिक समरसता के प्रयास पर प्रतिनिधि सभा में की गई बैठक का ब्यौरा देते हुए बताया कि 1,084 स्थानों पर मंदिर प्रवेश प्रतिबंध और जल स्रोत भेदभाव जैसी गलत प्रथाओं को समाप्त करने के प्रयास हुए हैं । इसके अलावा 260 से अधिक स्थानों पर सफाई कर्मचारियों के लिए भोजन, चिकित्सा जांच और स्वच्छता उपकरण उपलब्ध कराना।
उन्होंने महाकुंभ प्रयागराज और पर्यावरणीय पहल पर भी जानकारी साझा की।

नेत्र कुंभ: 2,37,964 लोगों का नेत्र परीक्षण, 1,63,652 चश्मे वितरित, 17,069 मोतियाबिंद ऑपरेशन । ‘एक थैला – एक थाली’ अभियान : 14,17,064 स्टील प्लेटें और 13,46,128 कपड़े के थैले एकत्र किए गए ।
राष्ट्रीय मुद्दों पर संघ की प्रतिक्रिया
मणिपुर हिंसा: हिंसाग्रस्त लोगों के लिए राहत शिविर और आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति । राष्ट्रपति शासन से स्थिति में सुधार की गुहार लगाई ।
उत्तर-दक्षिण विभाजन: राजनीतिक रूप से प्रेरित मुद्दा, संघ सामाजिक और सामुदायिक नेताओं के माध्यम से हल करने में विश्वास करता है । भाषा विवाद पर उन्होंने कहा कि संघ मातृभाषा को प्राथमिकता देने का पक्षधर रहा है।

 बांग्लादेश के हिंदू समाज के साथ एकजुटता से खड़े रहने का आह्वान
प्रतिनिधि सभा द्वारा पारित प्रस्ताव में बांग्लादेश के हिंदू और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों पर हो रहे निरंतर अत्याचारों पर गहरी चिंता व्यक्त की गई है। इस्लामी कट्टरपंथी तत्वों द्वारा मंदिरों और धार्मिक स्थलों की तोड़फोड़, महिलाओं पर अत्याचार, जबरन मतांतरण और संपत्ति लूट जैसे कृत्य गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन हैं। हिंदुओं की जनसंख्या 1951 में 22 प्रतिशत थी, जो अब घटकर 7.95 प्रतिशत रह गई है, जिससे उनके अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है।  विश्वभर के हिंदू समाज और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को एकजुट होकर बांग्लादेशी हिंदुओं के समर्थन में खड़ा होना चाहिए ताकि उनके मानवाधिकारों की रक्षा सुनिश्चित की जा सके ।
संघ शताब्दी का संकल्पः समरस और संगठित हिंदू समाज का निर्माण
डॉ. वीर सिंह रांगड़ा जी ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शताब्दी के अवसर पर यह आवश्यक है कि हम हिंदू समाज की संगठित और समरस संरचना को सशक्त बनाने का संकल्प लें। संघ ने पिछले 100 वर्षों में व्यक्ति निर्माण के माध्यम से राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया है । यह प्रयास समाज में प्रेम, आत्मीयता और सेवा की भावना को केंद्र में रखकर विभाजनकारी तत्वों से ऊपर उठने की प्रेरणा देता है।

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