अध्यापकों के प्रदर्शन के मूल्यांकन के लिए स्थापित होगा निरीक्षण निदेशालय

  • मुख्यमंत्री का प्राथमिक शिक्षा प्रणाली के सुदृढ़ीकरण पर बल
  • जेबीटी के भरे गए 1197 पद, टीजीटी के 1533 तथा सीएण्डवी के 847 नए पद
  • पाठशालाओं में स्थापित होगी वायोमिट्रिक मशीनें
  • मौजूदा स्कूलों का होगा सुदृढ़ीकरण

शिमला: मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कहा कि वह व्यक्तिगत रूप से विद्यार्थियों की, विशेषकर प्राथमिक पाठशालाओं में मासिक अथवा त्रैमासिक परीक्षा प्रणाली को आरम्भ करने के पक्षधर हैं, ताकि उनके प्रदर्शन का बेहतर आंकलन किया जा सके। उन्होंने कहा कि प्रत्येक बच्चे के प्रदर्शन का मूल्यांकन करने तथा कमजोर विद्यार्थियों के प्रति और अधिक ध्यान देने के साथ-साथ अध्यापकों के प्रदर्शन का मूल्यांकन करने की भी आवश्यकता है।

वीरभद्र सिंह ने यह बात आज यहां उच्च एवं प्रारम्भिक शिक्षा विभाग के उप-निदेशकों, जिला परियोजना अधिकारियों एवं उच्च पाठशालाओं के प्रधानाचार्यों तथा कलस्टर प्रमुखों के लिए हिमाचल प्रदेश में गुणात्मक शिक्षा पर आयोजित सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए कही। मुख्यमंत्री ने कहा कि अध्यापकों को परीक्षाओं से प्रत्येक बच्चे के प्रदर्शन तथा पाठशालाओं में शिक्षा के स्तर का पता चलेगा। उन्होंने कहा कि पढ़ाई में कमजोर बच्चों को प्रोत्साहित करना तथा उन्हें दक्ष बनाने के लिए व्यक्तिगत तौर पर उनका ध्यान रखना अध्यापकों का नैतिक दायित्व है।

वीरभद्र सिंह ने कहा कि प्राथमिक शिक्षा विद्यार्थियों को शैक्षिक तथा निजी तौर पर विकसित करने का आधार है और प्रदेश सरकार प्राथमिक शिक्षा प्रणाली को और सुदृढ़ करने पर बल दे रही है। उन्होंने कहा कि ग्रडिंग प्रणाली से मूल शिक्षा का ढांचा कमजोर हुआ है, क्योंकि बच्चा उच्च कक्षाओं में बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाता और बाद की अवस्था में सीखने के लिए देरी हो जाती है। उन्होंने कहा कि सरकार ने पहली कक्षा से विद्यार्थियों को हिन्दी, गणित तथा अंग्रेजी पढ़ाना अनिवार्य किया है, ताकि उच्च शिक्षा के दौरान बच्चे बेहतर प्रदर्शन कर सकें।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार स्कूलों में बायोमिट्रिक मशीनें लगाने पर विचार कर रही है, ताकि समय की पाबंदी को सुनिश्चित बनाया जा सके। उन्होंने कहा कि अनुपस्थिति पर नियंत्रण रखने के उददेश्य से पहले चरण में 136 पाठशाओं में जुलाई माह तक बायोमिट्रिक मशीनें लगा दी जाएंगी। उन्होंने कहा कि इस तरह की और मशीनें पाठशालाओं में चरणबद्ध तरीके से स्थापित की जाएंगी। वीरभद्र सिंह ने कहा कि सरकार विद्यार्थियों को अपने करियर में आगे बढ़ने के लिए बेहतर विकल्प प्रदान करने के लिए ललित कला, संगीत व विज्ञान इत्यादि विषयों के विशेष कॉलेज खोलने पर विचार कर रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में पर्याप्त शिक्षण संस्थान खोले जा चुके हैं और अब वर्तमान स्कूलों में सभी प्रकार की बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध करवाकर तथा गुणात्मक शिक्षा प्रदान करने के लिए रिक्त पदों को भर कर इन्हें सुदृढ़ करने की आवश्यकता है।

राज्य में निरीक्षण निदेशालय के गठन की बात को दोहराते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इस निदेशालय में प्रशिक्षित अध्यापकों को नियुक्त किया जाएगा जो अध्यापकों के प्रदर्शन का मूल्यांकन करेंगे और उन्हें उचित कार्रवाई करने तथा स्कूलों का औचक निरीक्षण करने की शक्तियां दी जाएंगी। उन्होंने कहा कि अध्यापकों का ध्येय विद्यार्थियों को परीक्षा उत्तीर्ण करवाना ही नहीं होना चाहिए बल्कि उन्हें विद्यार्थियों को मेरिट में ले जाने के लिए प्रयास करने होंगे। यदि अध्यापक अपने उददेश्य को प्राप्त करने के लिए समर्पण भाव से कार्य करें तो उनके विद्यार्थी मेरिट हासिल कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव अध्यापकों एवं विद्यार्थियों दोनों के लिए बेहतर होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि अध्यापकों पर बड़ी जिम्मेवारी है और उन्हें अपने व्यवसाय को एक मिशन के तौर पर अपनाना चाहिए, क्योंकि उन पर बच्चों के व्यक्तित्व को विकसित करने तथा उन्हें एक जिम्मेवार नागरिक बनाने की बड़ी जिम्मेवारी है। उन्होंने अध्यापकों से आग्रह किया कि शिक्षकों को राजनीतिक गतिविधियों में संलिप्त होने के बजाए अपने व्यवसाय के प्रति और अधिक ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि उनके पास शिक्षा विभाग का दायित्व है ऐसे में उनक ध्यान विद्यार्थियों व उनकी पढ़ाई की ओर अधिक है, क्योंकि वे प्रदेश के बेहतर भविष्य को आकार दे सकते हैं।

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