मुख्यमंत्री नौकरी देने के नाम पर सत्ता में आए थे निकालने के नाम पर नहीं : जयराम ठाकुर

मुख्यमंत्री के अपने हलके में भी नौकरी से निकाले जा रहे 15 साल से नौकरी कर रहे लोग
प्रदेश मुख्यालय के मेडिकल कॉलेज आईजीएमसी में अस्थमा और डायबिटीज की टेस्टिंग किट भी नहीं

 चार-चार महीने के मानदेय के लिए भटक रहे हैं आईजीएमसी के सुरक्षा और सफाई कर्मी
शिमला:  पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने शिमला से जारी वक्तव्य में कहा कि सुक्खू सरकार अपने चुनावी वादे को भूल गई है और कांग्रेस द्वारा चुनाव के दौरान दी गई गारंटियों के विपरीत कार्य कर रही हैं। कांग्रेस सरकार में लोगों को नौकरी मिलना तो दूर की बात है, हर दिन नौकरियां छीनी जा रही हैं। कांग्रेस सरकार पांच लाख युवाओं को नौकरी देने के नाम पर सत्ता में आई थी नौकरी से निकालने के नाम पर नहीं। मुख्यमंत्री के अपने हलके नादौन में जलशक्ति के डिवीजन  से अब तक लगभग 80 से ज्यादा लोगों को नौकरी से निकाला जा चुका है और लोगों को निकाले जाने की तैयारी हो रही हैं। बिना किसी नोटिस के निकाले गए लोगों में ज्यादातर लोग ऐसे हैं जो पंद्रह साल से आउटसोर्स कर्मी के तौर पर अपनी सेवाएं दे रहे थे। सरकार द्वारा इस तरह से नौकरी लेना शर्मनाक और अमानवीय है। सरकार ने एक बार भी ऐसे लोगों के परिवार के बारे में नहीं सोचा। उस छोटी तनख्वाह से लोगों का परिवार पल रहा था। बच्चों की पढ़ाई से लेकर बुजुर्गों की दवाई का सहारा सरकार ने छीन लिया। सरकार इस तानाशाही से बाज आए और पहले से नौकरी कर रहे लोगों को निकालने से बाज आए।

जयराम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश में सरकार कहती है कि वह हिमाचल  की स्वास्थ्य सुविधा को विश्व स्तरीय बना रही है। दुनिया भर की इधर उधर की बातें कर साथी हैं  लेकिन प्रदेश के स्वास्थ्य महकमें की सच्चाई यह है कि राजधानी शिमला के आईजीएमसी में डायबिटीज की जांच करने वाली किट उपलब्ध नहीं है, थायराइड जांच में इस्तेमाल होने वाली किट नहीं है। जिसकी वजह से इतनी छोटी-छोटी जांच नहीं हो पा रही हैं। अगर यह हाल।राजधानी और प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल का है तो  दूर दराज  के इलाकों में स्वास्थ्य की क्या स्थिति होगी इसे अच्छी तरह से समझा जा सकता है।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि आईजीएमसी में काम करने वाले सफाई  और सुरक्षा कर्मियों चार-चार महीने से मानदेय नहीं मिला है। एक बहुत छोटी से आय में घर चलने वाले लोगों को सरकार द्वारा समय पर मानदेय न दिया जाना शर्मनाक है। ऐसा नहीं है कि मानदेय न मिलने की जानकारी सरकार के आला अफसरों और मुख्यमंत्री को नहीं है। मानदेय न मिलने की कई बार सीधे शिकायत मुख्यमंत्री से भी हो चुकी है और वेतन न देने को लेकर कई बार प्रदर्शन भी कर चुके हैं। जिसकी खबरें मीडिया में भरी पड़ी है। इसके बाद भी बेहद कम मानदेय पर कम करने वाले कर्मियों को भी सरकार चार-चार महीने का मानदेय नहीं दे रही है। यह इस सरकार की संवेदनहीनता है। सरकार सभी आउटसोर्स कर्मियों का समय से मानदेय जारी करे।

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