- सभी महाविद्यालयों में आरम्भ किए जाएंगे ‘पास’ पाठ्यक्रमः मुख्यमंत्री
- शिक्षकों से और अधिक निष्ठा व सम्पर्ण से कार्य करने का आग्रह
- प्राध्यापकों की शिकायतों व जायज मांगों का जल्द होगा निपटारा
शिमला: मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कहा कि विद्यार्थी अपनी इच्छा से पास कोर्स व ऑनर कोर्स चुन सकेंगे और प्रदेश के सभी महाविद्यालयों में पास कोर्सिस आरम्भ किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि शैक्षणिक सत्र 2013-14 में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय द्वारा लागू ‘च्वाईश बेसड क्रैडिट सिस्टम’ (सीबीसीएस) के अन्तर्गत विद्यार्थियों पर ऑनर्स कोर्स जबरदस्ती नहीं थोपे जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि ऑनर कोर्स कुछ चयनित महाविद्यालयों में ही आरम्भ किए जाएंगे, जहां विद्यार्थी इन विषयों को पढ़ना चाहते हैं। मुख्यमंत्री आज यहां राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (रूसा) की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए बोल रहे थे।
वीरभद्र सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने सीबीसीएस मॉडल पर विद्यार्थियों को पास कोर्स तथा ऑनर कोर्स में से चुनने की स्वतंत्रता दी है। उन्होंने कहा कि यदि सीबीसीएस को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के समान लागू किया जाए तो यह विद्यार्थियों के व्यापक हितों के लिए बेहतर होगा। रूसा प्रणाली की अच्छाईयों तथा बुराईयों के बारे में भी इस अवसर पर बताया गया और मुख्यमंत्री ने प्रदेश के सभी महाविद्यालयों में पास कोर्स आरम्भ करने के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री ने एमफिल व पीएचडी प्राध्यापकों को यूजीसी नियमों के अनुसार पूर्व में दी जा रही वेतनवृद्धि को वापिस लेने तथा इसका समायोजन उनके वेतन से किए जाने के मामले को गलत बताया। उन्होंने कहा कि मामले का निपटारा करने के लिए यह मुद्दा शीघ्र ही मंत्रिमण्डल की बैठक में लाया जाएगा। वीरभद्र सिंह ने कालेज प्राध्यापकों की जायज मांगों को अविलंब पूरा करने के साथ उनकी समस्याओं का निपटारा करने का भी आश्वासन दिया। यद्यपि कॉलेज प्राध्यापकों को परीक्षा और मूल्यांकन के समय दबाब की रणनीति अपना कर अपनी मांगों को मनवाने का प्रयास नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि अध्यापन कार्य के अलावा भी विद्यार्थियों के भविष्य के प्रति भी अध्यापकों की जिम्मेवारी बनती है। उन्होंने कहा कि निजी लाभ के लिए विद्यार्थियों के हितों की उपेक्षा नहीं की जा सकती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कॉलेज प्राध्यापकों की उचित मांग और देय लाभ को शीघ्र प्रदान किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार ने प्राध्यापकों की जायज मांगों को कभी भी पूरा करने से इंकार नहीं किया। मुख्यमंत्री ने युवा वर्ग के उज्ज्वल भविष्य के निर्माण और विद्यार्थियों को अच्छे नागरिक बनाने के लिए प्राध्यापकों से कड़ी मेहनत करने का आहवान किया।
रूसा के तहत छठे समेस्टर का परिणाम घोषित होने पर मुख्यमंत्री ने कहा कि अध्यापन कार्य के साथ प्राध्यापकों की यह नैतिक जिम्मेवारी और कर्तव्य भी है कि वे परीक्षा परिणामों का मूल्यांकन समय पर करें। यदि वे ऐसा करने से मना करते हैं अथवा इसका बहिष्कार करते हैं, तो आपातकालीन परिस्थितियों में दूसरे कॉलेजों में अनुबंध आधार पर कार्यरत अध्यापकों को इस कार्य के लिए बुलाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सरकार छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ करने और उन्हें क्षति पहुंचाने वाले ऐसे कृत्य को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि परीक्षाओं का संचालन और मूल्यांकन अध्यापकों के दायित्वों में शामिल है।
उन्होंने कहा कि कॉलेज प्राध्यापकों के पदोन्नति अवसरों को रोका नहीं जा रहा है और वह चाहते हैं कि उनका स्टाफ खुश और संतुष्ट रहे। उन्होंने राज्य सरकार के अधिकारियों को निर्देश दिए कि अध्यापकों की मांगों को लेकर आक्रोश में परिवर्तित होने से पूर्व उनके समयबद्ध निपटारे के लिए तत्काल पग उठाएं। उन्होंने कहा कि सरकार प्राध्यापकों की पदोन्नति करने के साथ उनकी जायज मांगों को पूरा करने और देय वार्षिक वृद्धि को समय पर जारी कर रही है। उन्होंने कहा कि दूसरे प्रदेशों के समान वित्तीय लाभ देने व इससे संबंधित अन्य सुझाव का सम्बन्ध है, सरकार अपने राज्य के वित्तीय माँडयूल के आधार पर मानदंडों के अनुसार कार्य करेगी।