शिमला: नेता प्रतिपक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल ने आज प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से कहा कि वर्ष 1974 में मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह जब अपने परिवार का खर्च चलाने के लिए अपनी सम्पतियां बेच रहे थे मैं तब भी आयकर देता था। इसलिए मुख्यमंत्री पुस्तैनी अमीर होने का दम न भरें और कहा कि वह कुण्ठा और मजबूरी को भली भान्ति समझते हैं क्योंकि जब भी उनके भ्रष्टाचार के मामले उजागर होते हैं तो वह दूसरों पर व्यक्तिगत छींटाकसी व वे-सिर पैर आरोपों पर उतर आते है।
प्रो. धूमल ने कहा कि मुख्यमंत्री ने द्वेष भावना व पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर मन घन्डत शिकायतों के आधार दुषप्रचार की राजनीति शुरू की है। झूठी शिकायतों पर विजलैंस की जॉंच शुरू करवाकर भले ही वह उनकी छवि को कितना भी मलीन करने की कोशिशें कर लें, परन्तु सच्चाई परिवर्तित नहीं होगी। विजलैंस द्वारा शुरू की गई जॉंच में षडयन्त्र इस बात से समझा जा सकता है कि अभी तक उनके खिलाफ की गई शिकायत की प्रतिलिपि उपलब्ध नहीं करवाई गई है।
प्रो. धूमल ने कहा कि वह पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि सी.बी.आई. सहित कोई जॉंच एजैंन्सी उनकी सम्पति की जॉंच करें उन्हें कोई आपति नहीं हैं परन्तु दुर्भावना से ग्रस्ति होकर उनके रिश्तेदारों की सम्पतियों का जिक्र करना न तो न्यायोचित है और न ही कानून संमत है । वह भी उन परिस्थितियों में जब ग्रेटर कैशाल की सम्पति को जब्त होने पर मुख्यमंत्री उसे अपने बेटे की सम्पति बताकर पल्ला झाड़ने की कोशिश कर चुके हैं । मुख्यमंत्री पहले यह बताएं कि आखिरकार क्यों उन्होंने पांच हजार रू. में बेची अपनी सम्पति को 26 लाख रू. अधिगृहीत करवाया?
प्रो. धूमल ने कहा कि वह सार्वजनिक जीवन में सूचिता के पक्षधर रहे है और अपने कार्यकाल में उन्होंने सार्वजनिक जीवन में पारदर्शिता लाने के लिए कानून भी बनाया था जिसके अनुसार अवैध ढंग से अर्जित किसी भी सम्पति को जब्त करके उसे जनलाभ के उपयोग में लाया जाएगा। इसलिए दूसरों पर कीचड़ उछालने से पूर्व मुख्यमंत्री अपने दामन में लगे भ्रष्टाचार के छीटों को साफ करें। दूसरों पर लांछन लगाने से उनका भ्रष्टाचार कम नहीं होगा। वेहतर यही होगा कि वह अपने ऊपर लगे आरोपों का जबाव दें और जन विकास के कार्य करें।