चमत्कारों से आस्था की ज्योत जगाने वाला दियोट सिद्ध “श्री बाबा बालकनाथ मन्दिर”

आधुनिक ढंग के निर्माण शिल्प के साथ शिखरनुमा शैली में बना है मन्दिर

गुफा मन्दिर में स्थापित है बाबा बालकनाथ की श्यामवर्णी संगमरमर की मूर्ति

हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर की धौलगिरि पर्वतश्रेणी के आंचल में प्रसिद्ध सिद्धपीठ श्री बाबा बालकनाथ मन्दिर समुद्रतल से 870 मीटर को ऊंचाई पर दियोट सिद्ध में स्थित है। इसी पहाड़ों की तलहटी में बाबा बालकनाथ की कर्मस्थली शाहतलाई है जहां बाबा ने घोर साधना कर लोक मानस में चमत्कारों से आस्था की ज्योत जगा दी थी। नैसर्गिक साधना की सशक्त स्थली गुफा मन्दिर बाबा बालकनाथ का मूल मन्दिर है। यह मन्दिर आधुनिक ढंग के निर्माण शिल्प के साथ शिखरनुमा शैली में बना है। इसका सुनहरी मुखद्वार भी नागर शिल्प के अनुरूप है। इस गुफा मन्दिर में बाबा बालकनाथ की श्यामवर्णी संगमरमर की मूर्ति स्थापित है। इस गुफा से नीचे की ओर “थड़ा” नामक सार्वजनिक पूजा स्थल है। इसकी समतल छत्त कंकरीट और सीमेंट से बनी है। यहां थड़े में भी बाबा की श्याम संगमरमर में बनी मूर्ति है। इसके साथ थड़े पर विष्णु, लक्ष्मी, श्री कृष्ण, शंकर-पार्वती, हनुमान, भैरव, गणपति आदि देवी-देवताओं की मूर्तियां भी देखी जा सकती हैं।

इस मन्दिर परिसर में मुख्य गुफा मन्दिर से ऊपर की ओर पहाड़ी पर चरणपादुका स्थल है। जहां शिखर शैली में एक नवीनतम मन्दिर बना है। इस मन्दिर में चरण पादुका के साथ-साथ बाबा बालकनाथ, शिव-पार्वती, गणपति, कार्तिकेय की मूर्तियां हैं। यहां शिखर शिल्प में बना एक शिव मन्दिर भी है जिसमें शिवलिंग प्रतिष्ठित है तथा शिव-पार्वती की मूर्तियां हैं। इसी चोटी पर राधा-कृष्ण का एक प्राचीन लघु मन्दिर गुम्बद शिल्प में बना है। इसमें बंसी बजईया कृष्ण की श्याम संगमरमर में तथा राधा रानी की श्वेत संगमरमर की मूर्तियों के दर्शन होते हैं। यहां भर्तृहरि का भी एक नया मन्दिर शिखर शैली में निर्मित है। इस मन्दिर में भर्तृहरि, ब्रह्मा, विष्णु, महेश, गणपति और बाबा बालकनाथ की मूर्तियां हैं। भर्तृहरि मन्दिर के साथ महंत कृपाल गिर और महंत शक्ति गिर की गुम्बदीय शैली में बनी समाधियां हैं। यहां दुर्गा चौक पर नवनिर्मित मन्दिर वज्रेश्वरी सिद्ध दुर्गा का है। इसमें भगवती दुर्गा की मूर्ति स्थापित है।

मन्दिर से कुछ ही दूरी पर गिरि सम्प्रदाय के महन्तों की समाधियां

यह स्थान मठ नाम से जाना जाता है

बाबा बालकनाथ मन्दिर में गुरू गद्दी परम्परा के पोषक रहे महंतों की समाधियां

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