स्क्रब टायफस के लक्षण : तेज बुखार, सिर दर्द, लाल आंखे, निमोनिया व दिमागी बुखार

हिमाचल: प्रदेश में अब तक स्क्रब टायफस के 5333 टेस्ट ; 863 पॉजिटिव, 7 लोगों की मौत 

हिमाचल: प्रदेश के स्वास्थ्य मन्त्री  कर्नल (डॉ.) धनी राम शाण्डिल ने जानकारी देते हुए बताया कि प्रदेश में अब तक स्क्रब टायफस के 5333 टेस्ट किये गए हैं, जिनमें 863 व्यक्ति पॉजिटिव पाए गए और 7 व्यक्तियों की मृत्यु हुई, जो कि बहुत ही दुर्भाग्य पूर्ण एवं दु:खद है। वर्तमान परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए प्रदेश के सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों व वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षकों को दवाइयों के समुचित भंडारण को सुनिश्चित करने के लिए कहा है। स्क्रब टायफस की रोकथाम व उपचार के लिए उपयुक्त प्रबंधन के साथ सूचना, शिक्षा एवं संप्रेषण गतिविधियों को व्यापक रूप से संचालित करने के लिए भी कहा गया है।

स्वास्थ्य मन्त्री ने आम जन मानस से आग्रह किया है कि खेतों व झाड़ियों में काम करते समय पूरा शरीर खासकर टांगे, पांव व बाजू ढक कर रखें। शरीर की सफाई का विशेष ध्यान रखें। घर तथा आसपास के वातावरण को साफ रखें। घर के चारों तरफ घास खरपतवार न उगने दें। घर के अंदर व आसपास कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करें।  पालतू जानवरों की साफ-सफाई का नियमित रूप से ध्यान रखें। ध्यान देने  योग्य बात है कि यह रोग एक एक आदमी से दूसरे को नहीं फैलता है।  स्क्रब टाईफस का इलाज संभव है। बुख़ार कैसा भी हो डॉक्टरी परामर्श के बगैर किसी भी दवा का सेवन ना करें।

स्वास्थ्य विभाग के प्रवक्ता ने  जानकारी देते हुए बताया कि किसी व्यक्ति को तेज़ बुख़ार हो तो इसका एक कारण स्क्रब टाईफ़स भी हो सकता है, जिसमें मरीज़ को तेज़ बुखार जो कि 104 से 105 डिग्री तक हो सकता है।  स्क्रब टाईफस एक मौसमी जूनोटिक (पशु जन्य रोग) बीमारी है, आमतौर पर बरसात के मौसम में तेज़ बुख़ार के रोगियों की संख्या बढ़ जाती है। जिसके अधिकांश मामले बरसात के मौसम में होते हैं, जो घास काटने और सेब के मौसम के साथ मेल खाता है। यह रोग एक जीवाणु विशेष (रिकेट्सिया) से संक्रमित पिस्सू (माईट) के काटने से फैलता है।  यह जीवाणु चमड़ी के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है और स्क्रब टाईफ़स बुख़ार पैदा करता है। यदि जोड़ों में दर्द व कंपकंपी के साथ बुखार महसूस हो रहा है अथवा शरीर में ऐंठन, अकड़न या शरीर टूटा हुआ सा लग रहा है, अधिक संक्रमण के कारण गर्दन, बाजू के नीचे और कूल्हों के ऊपर गिल्टियाँ हो गई हैं, तो तुरंत अपने नज़दीकी स्वास्थ्य केंद्र में जाँच करवाएं।

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