हिमाचल: प्रदेश स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड लिमिटेड का रवैया दुर्भाग्यपूर्ण – पावर इंजीनियर्स एसोसिएशन

पावर इंजीनियर्स एसोसिएशन ने कहा- मुख्यमंत्री के समक्ष रखेंगे मुद्दे; अपील करेंगे  कि HPSEBL में नियमित  प्रबंध निदेशक लगाए ताकि भविष्य में ऐसे समस्याओं का सामना न करना पड़े

हिमाचल: हिमाचल पावर इंजीनियर एसोसिएशन (एचपीईए) ने शिमला से जारी प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से कहा कि प्रदेश स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड लिमिटेड के प्रबंधन पिछले कल को जारी किये गए आदेश  से यह स्पष्ट है की बोर्ड प्रबन्धन जमीनी सचाई से कोसों दूर है।  एक तरफ पूरा प्रदेश एक आपदा के दौर से गुज़र है जहाँ पूरे प्रदेश की सड़कें, पानी और बिजली  वयवस्था को अभूतपुर्व नुकसान हुआ है, जिस के लिए तीनों ही विभागों के कर्मचारी दिन रात काम में लगे हुए हैं, वहीँ उस समय इस तरह के आदेश  पारित  करना  बोर्ड प्रबंधन की अपरिपक्वता को दर्शाता है।

हिमाचल पावर इंजीनियर एसोसिएशन (एचपीईए)

पावर इंजीनियर्स एसोसिएशन ने कहा जहाँ मुख्यमंत्री ने अनेक मंचों  से फ्रोंटलीने वर्कर्स की तारीफ की है, वहीँ बोर्ड प्रबन्धन ने इस तरह के उद्देश पारित करके यह दर्शाया है कि उनके लिए अभियंताओं और कर्मचारियों की इस मेहनत के कोई मायने नहीं।

उन्होंने कहा कि यह प्रबधन का ऐसा पहला  फैसला नहीं है। इस से पहले भी  हाल ही में प्रबंधन ने ऐस कई  निर्णय लिए हैं जिस से यह साबित हो जाता है कि वह बिजली बोर्ड जैसे एक बड़ी आर्गेनाईजेशन को चलाने  में असक्षम हैं। जहाँ पहले बोर्ड प्रबन्धन इस बात पे अड़ा रहा कि 50,000 से ऊपर सभी टेंडर ऑनलाइन मोड में होने चाहिए, पर उन्हें अपनी गलती का एहसास इस आपदा के दौरान हुआ, और तब आनन फानन में 2,00,000 तक टेंडर ऑफलाइन करनी की इजाज़त दे दी। जब इस से पहले पावर इंजीनियर इस मामले को उठाते  रहे तो उनकी बात को अनसुना कर दिया।

पावर इंजीनियर्स एसोसिएशन ने कहा कि इसी तरह से OPS के मुद्दे पर भी प्रबंधन का रवैया समझ से परे है। जहाँ एक तरफ माननीय मुख्या मंत्री ने कई मर्तबा एलान किया है कि HPSEBL में OPS लागू जरूर होगी, वहीँ बोर्ड प्रबन्धन इसको लागू करने के बजाय इसे लटकाने की कोशिशों में लगा है।

पावर इंजीनियर्स एसोसिएशन ने कहा कि बोर्ड प्रबन्धन अपना पूरा समय बोर्ड के बेहतरी की जगह गलतियां निकलने में बिता रहा है, और अपने काम को पूरी तरह से अनदेखा कर रहा है। जैसे की HPPSC द्वारा मार्च , 2023 में सहायक अभियंता के 55 पदों का परिणाम घोषित किया था, परन्तु अभियंताओं के कमी से जझूने के बावजूद , इन्हें अभी तक नियुक्ति नहीं दी गयी है। यह सत्य है कि बिजली बोर्ड एक विनियमित इकाई है जिसे HPERC के आदर्शों का पालन करना होता है, पर यदि कोई  आदेश HPSEBL के हित में नहीं आता है, तो यह बोर्ड प्रबंधन की ही गलती है जो अपनी बात को HPERC के समक्ष नहीं रख पाए। अगर कोई गलत फैसला हो गया है, तो उसे ट्रिब्यूनल में चुनौती देना का फैसला भी बोर्ड प्रबंधन का है।  शायद यह सब इस वजह से हो रहा है कि बोर्ड में पूर्णकालिक प्रबंध निदेशक नहीं है।  पावर इंजीनियर ने यह फैसला किया है की यह सारे मुद्दे मुख्यमंत्री के समक्ष रखेंगे और उन से अपील करेंगे  कि HPSEBL में नियमित  प्रबंध निदेशक लगाए ताकि भविष्य में ऐसे समस्याओं का सामना न करना पड़े।

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