…जौ और गेहूं के पराल से पैरों के लिए तैयार की जाती हैं पूलें अब पांगी घाटी के परंपरागत पहरावे में नज़र आ रहा बदलाव जन उत्सवों के समय पंगवाल पहनते हैं अपना परंपरागत चोला (लिक्खड़), सिर पर...
“मृकुला मंदिर” में कलकत्ते वाली मां काली हुई थीं अवतरित कश्मीरी कन्नौज शैली में बना है माँ मृकुला का मंदिर मंदिर में लकड़ी की दीवारों पर एक ओर महाभारत के दृश्य, दूसरी तरफ रामायण के प्रसंग...
“किन्नौर” का प्राचीन इतिहास किन्नौरों को ‘खुनु-पा’ कहते हैं तिब्बती लोग किन्नौर को कनौर, कनावर, कुनावुर, कुनावर तथा कनौरिंङ भी कहते हैं। स्थानीय बोली में इसे कनौरिंङ कहा जाता है।...
शिमला की पहाड़ी रियासतों में सबसे बड़ी रियासत बुशैहर ”बशहर” हिमाचल प्रदेश का अपना प्राचीन इतिहास रहा है। वहीं अगर पुरानी पहाड़ी रियासतों के आपसी संबंध और सीमा विवाद की बात की जाए तो वो भी...
हिमाचल प्रदेश में बौद्ध धर्म की इतिहासिक श्रृंखला साक्ष्य के अभाव में बहुत अस्पष्ट है। चीनी यात्री ह्यूनत्सांग ने ने जो बौद्धमठ कुल्लू और कांगड़ा में देखे, उनके अवशेष अब विद्यमान नहीं हैं,...
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा घाटी में स्थित कांगड़ा किला और कांगड़ा राज्य की सीमाओं के नजदीक सुजानपुर किला अपनी ख़ास अहमियत लिए हुए है। कांगड़ा हिमाचल प्रदेश का ऐतिहासिक नगर व जिला है। प्राचीन...
गद्दी जनजाति हिमाचल प्रदेश की पश्चिमी सीमा पर पाई जाती है। इनकी क़द-काठी राजस्थान की मरुभूति के राजपूत समाज से मिलती है। यह भी अपने आप को राजस्थान के ‘गढवी’ शासकों के वंशज बातते हैं। इस...







