हिम धरोहर व इतिहास (Page 8)

आधुनिकता भरे माहौल में आज भी परंपरागत गहनों को सजीव रखे ... किन्नौरी महिलाओं का श्रृंगार

श्रृंगार और परिधान “किन्नौर” की परंपरा के विशेष परिचायक

आधुनिकता भरे माहौल में आज भी परंपरागत गहनों को सजीव रखे … किन्नौरी महिलाओं का श्रृंगार सिर से पांव तक गहनों से लदी किन्नौरी महिलाओं का श्रृंगार इनकी संस्कृति की सजीवता का प्रतीक  हिमाचल के...

हिमाचल की उत्कृष्ट कलाएं एवं वास्तुकला विश्वभर में विख्यात

हिमाचल की उत्कृष्ट कलाएं एवं वास्तुकला विश्वभर में विख्यात

हिमाचल प्रदेश की प्राचीन कलाएं, मंदिरों के वास्तुशिल्प, लकड़ी पर खुदाई, पत्थरों और धातुओं की मूर्तियां तथा चम्बा रूमालों आदि के रूप में आज भी सुरक्षित है। हिमाचल अपनी सांस्कृतिक विरासत तथा...

हिमाचल: पांगी की पारंपरिक वेशभूषा की एक उत्कृष्ट विशेषता…

…जौ और गेहूं के पराल से पैरों के लिए तैयार की जाती हैं पूलें अब पांगी घाटी के परंपरागत पहरावे में नज़र आ रहा बदलाव जन उत्सवों के समय पंगवाल पहनते हैं अपना परंपरागत चोला (लिक्खड़), सिर पर...

मृकुला-प्राचीन मन्दिर बौद्ध तांत्रिक देवी वज्रवराह को समर्पित रहा है

सातवीं शताब्दी से लाहौल-स्पीति के उदयपुर गांव में बसा “मृकुला देवी मंदिर”

“मृकुला मंदिर” में कलकत्ते वाली मां काली हुई थीं अवतरित कश्मीरी कन्नौज शैली में बना है माँ मृकुला का मंदिर मंदिर में लकड़ी की दीवारों पर एक ओर महाभारत के दृश्य, दूसरी तरफ रामायण के प्रसंग...

देव स्थली व प्राकृतिक सौंदर्य से विभोर “किन्नौर”

“किन्नौर” का प्राचीन इतिहास किन्नौरों को ‘खुनु-पा’ कहते हैं तिब्बती लोग किन्नौर को कनौर, कनावर, कुनावुर, कुनावर तथा कनौरिंङ भी कहते हैं। स्थानीय बोली में इसे कनौरिंङ कहा जाता है।...

पुरानी पहाड़ी रियासत के आपसी संबंध और सीमा विवाद "बुशैहर"

हिमाचल इतिहास: पुरानी पहाड़ी रियासत के आपसी संबंध और सीमा विवाद “बुशैहर”

शिमला की पहाड़ी रियासतों में सबसे बड़ी रियासत बुशैहर ”बशहर” हिमाचल प्रदेश का अपना प्राचीन इतिहास रहा है। वहीं अगर पुरानी पहाड़ी रियासतों  के आपसी संबंध और सीमा विवाद की बात की जाए तो वो भी...

हिमाचल "बौद्ध धर्म" इतिहास, गलेशियर में छिपी नदी की तरह

हिमाचल: बौद्ध धर्म के पुनरूत्थान के सम्बंध में गुगे राज्य का अभूतपूर्व योगदान

हिमाचल प्रदेश में बौद्ध धर्म की इतिहासिक श्रृंखला साक्ष्य के अभाव में बहुत अस्पष्ट है। चीनी यात्री ह्यूनत्सांग ने ने जो बौद्धमठ कुल्लू और कांगड़ा में देखे, उनके अवशेष अब विद्यमान नहीं हैं,...