सोलन: प्राकृतिक कृषि पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित, 17 राज्यों के प्रतिभागियों ने लिया हिस्सा

सोलन: नेशनल सेंटर फॉर मैनेजमेंट ऑफ एग्रीकल्चर एक्सटेंशन (मैनेज), हैदराबाद के सहयोग से डॉ. यशवंत सिंह परमार औदयानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी द्वारा ‘प्राकृतिक कृषि पद्धतियों के माध्यम से पुनर्योजी कृषि’ पर तीन दिवसीय ऑनलाइन प्रशिक्षण का आयोजन किया गया।

आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मेघालय, मिजोरम, पंजाब, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल सहित 17 राज्यों के नब्बे प्रतिभागियों ने प्रशिक्षण में भाग लिया। मॉरीशस का एक प्रतिभागी भी इस प्रशिक्षण का हिस्सा रहा। इसके अलावा, मैनेज के व्हाट्सएप ग्रुप के प्रतिभागी और नौणी विवि के छात्र और संकाय भी ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल हुए। प्रतिभागियों में विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों के छा त्र, किसान, एफपीओ प्रतिनिधि, प्रबंधक, निदेशक, केवीके वैज्ञानिक और संकाय शामिल रहे। माननीय कुलपति प्रो राजेश्वर सिंह चंदेल, जिन्होंने प्राकृतिक खेती पहल का नेतृत्व किया है, ने प्रशिक्षण कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह में प्रतिभागियों को संबोधित किया। नौणी विश्वविद्यालय से डॉ. सुभाष चंद्र वर्मा और मैनेज के उप निदेशक डॉ. बी रेणुका रानी प्रशिक्षण के समन्वयक रहे जबकि डॉ. सुधीर वर्मा और डॉ. सुभाष शर्मा सह-समन्वयक थे।

डॉ. सुभाष वर्मा, डॉ. कुलदीप सिंह ठाकुर,  डॉ. सुधीर वर्मा, डॉ. उपेंद्र सिंह, डॉ. रोहित बिष्ट, डॉ. प्रमोद शर्मा, डॉ. राकेश शर्मा और डॉ. सुभाष शर्मा ने प्राकृतिक खेती के विभिन्न पहलुओं पर लेक्चर दिया। प्राकृतिक खेती के इतिहास, कृषि पारिस्थितिकी और प्राकृतिक खेती की अवधारणाओं और सिद्धांतों, इस पद्धति के तहत विभिन्न कृषि विज्ञान और कीट-रोग नियंत्रण उपायों, फसल गहनता, कटाई के बाद के प्रबंधन और उपज की गुणवत्ता, अर्थशास्त्र और प्राकृतिक खेती के सभी पहलुओं को शामिल किया गया। प्राकृतिक कृषि राज्य परियोजना कार्यान्वयन इकाई से डॉ. मनोज गुप्ता और टिकाऊ खाद्य प्रणाली, उद्यमिता और प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ आशीष गुप्ता ने भी प्रमाणन प्रक्रिया और एफपीओ के गठन पर प्रतिभागियों को संबोधित किया। विश्वविद्यालय और हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा की गई पहलों के बारे में बताया गया।

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